Puerperal Fever
Puerperal Fever Credit: Istock

Overview: डिलीवरी के बाद आ रहा है बुखार, तो प्यूरपेरल फीवर की तुरंत जांच कराएं

डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को प्‍यूरपेरल फीवर का सामना करना पड़ता है। समय पर जांच और ट्रीटमेंट से समस्या को ठीक किया जा सकता है।

Puerperal Fever: डिलीवरी के बाद महिलाओं को बुखार का आना एक गंभीर स्थिति हो सकती है, जिसे प्यूरपेरल फीवर या प्यूरपेरल पायरिक्सिया कहा जाता है। यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो प्यूरपेरल फीवर जानलेवा भी साबित हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्यूरपेरल सेप्सिस 15-44 वर्ष की आयु की महिलाओं में ये बीमारी न केवल विकासशील देशों में, बल्कि विकसित देशों में भी देखी जा रही है। अधिकांश पोस्‍टपार्टम ट्रांजिशन अस्पताल से छुट्टी के बाद होते हैं, जो आमतौर पर डिलीवरी के 24 घंटे बाद होता है। तो चलिए जानते हैं प्‍यूरपेरल फीवर के संभावित कारण, लक्षण और उपचार के बारे में।

क्‍या है प्‍यूरपेरल फीवर

Puerperal Fever-प्‍यूरपेरल फीवर में बरतें सावधानी
What is puerperal fever?

डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को संक्रमण यानी इंफेक्‍शन के कारण बुखार आ जाता है। ये संक्रमण डिलीवरी के दौरान या बाद में उत्‍पन्‍न होने वाली चोटों या जटिलताओं के कारण होता है जो जननांग मार्ग को प्रभावित करती है। यह स्थिति तब होती है जब प्रसव के पहले 10 दिनों के भीतर शरीर का तापमान 100.4 डिग्री फॉरेनहाइट या उससे अधिक हो जाता है। प्‍यूरपेरल फीवर मातृ मृत्‍यु के प्रमुख कारणों में से एक है। यदि इस प्रकार के इंफेक्‍शन का समय रहते इलाज किया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है। 

प्यूरपेरल फीवर के कारण

डिलीवरी के बाद बुखार का सबसे आम कारण संक्रमण है, विशेष रूप से प्यूरपेरल सेप्सिस। इसके अलावा, अन्य कारणों में शामिल हैं।

– वेजाइना में संक्रमण

– पेरिनियल घाव का संक्रमण 

– मूत्र पथ के संक्रमण जैसे सिस्टिटिस (मूत्राशय की सूजन) और पाइलोनेफ्राइटिस

– एंडोमेट्राइटिस 

– स्तन संक्रमण जैसे मास्टिटिस और स्तन में फोड़ा 

– सिजेरियन सेक्शन के घाव में फोड़ा होना

– पैर की मांसपेशियों में थक्का जमना 

– नोसोकोमियल संक्रमण, जो अस्पताल या स्वास्थ्य सुविधाओं की वजह से होते हैं 

– अस्वच्छ परिस्थितियों में घर पर प्रसव 

– निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति 

– कुपोषण और एनीमिया

– पहली बार प्रसव (प्राइमिपैरिटी) 

– झिल्ली का लंबे समय तक फटना 

– लंबा प्रसव या बार-बार योनि परीक्षण 

– सिजेरियन डिलीवरी 

प्‍यूरपेरल फीवर के लक्षण

प्यूरपेरल फीवर के लक्षण समस्या और संक्रमण की स्थिति पर निर्भर करते हैं।

– हल्का से मध्यम बुखार 

– असहजता या बीमारी का अनुभव 

– शरीर में दर्द 

– ठंड लगना 

– सिरदर्द 

– भूख में कमी 

– निचले पेट में दर्द 

– योनि स्राव या घाव से दुर्गंधयुक्त स्राव

प्‍यूरपेरल फीवर का उपचार

प्‍यूरपेरल फीवर में बरतें सावधानी
Treatment of puerperal fever

चिकित्सीय उपचार: स्वास्थ्य सेवा प्रदाता ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं, जो आमतौर पर 48 घंटों के लिए नसों के माध्यम से दी जाती हैं। दर्द और बुखार से राहत के लिए एनाल्जेसिक और एंटीपायरेटिक दवाएं दी जा सकती हैं। 

सामान्य उपाय: सामान्‍य उपाय में पर्याप्त आराम, बार-बार पेरिनियल और एपिसियोटॉमी की देखभाल, पहले 24 घंटों में बर्फ पैक का उपयोग और बाद में सिट्ज़ बाथ, संतुलित आहार, और दैनिक घाव की देखभाल शामिल है।

प्‍यूरपेरल फीवर की रोकथाम

– घाव क्षेत्र को साफ और सूखा रखें। 

– प्रेग्‍नेंसी के दौरान किसी भी संक्रमण का इलाज करें। 

– एनीमिया और अन्य कमजोर करने वाली स्थितियों का उपचार करें। 

– डिलीवरी के दौरान अस्वच्छ प्रक्रियाओं से बचें। 

– किसी भी प्रक्रिया के दौरान एंटीसेप्टिक और एस्पेटिक उपायों का पालन करें। 

– लंबे प्रसव या जटिल डिलीवरी के बाद प्रोफिलैक्टिक एंटीबायोटिक्स दें।