Overview:
इंटरनेशनल हाइपरहाइड्रोसिस सोसाइटी के अनुसार दुनियाभर के करीब 38.5 करोड़ लोग इस समस्या से ग्रसित हैं। हाइपरहाइड्रोसिस में शरीर अपने तापमान को ठीक तरीके से नियंत्रित नहीं कर पाता है।
Hyperhidrosis Treatment: भीषण गर्मी का दौर शुरू हो चुका है। एक बार फिर लोग पसीने से तरबतर नजर आएंगे। लेकिन क्या आपने महसूस किया है कि कुछ लोगों पसीना बहुत ज्यादा आता है। उनकी हथेलियां, तलवे तक पसीने से भीग जाते हैं। माथे से पसीना टपकता रहता है। यह स्थिति सिर्फ गर्मी के कारण नहीं होती। मेडिकल की भाषा में इसे नाम दिया गया ‘हाइपरहाइड्रोसिस’ यानी ज्यादा पसीना आना। आइए जानते हैं क्या है हाइपरहाइड्रोसिस।
जूझ रहे हैं करोड़ों लोग

इंटरनेशनल हाइपरहाइड्रोसिस सोसाइटी के अनुसार दुनियाभर के करीब 38.5 करोड़ लोग इस समस्या से ग्रसित हैं। हाइपरहाइड्रोसिस में शरीर अपने तापमान को ठीक तरीके से नियंत्रित नहीं कर पाता है। जिसके कारण जरूरत से ज्यादा पसीना आने लगता है। पसीना एक तरल पदार्थ है। यह शरीर की पसीने की ग्रंथि यानी एक्राइन ग्लैंड्स से निकलता है। त्वचा में इन ग्लैंड्स का जाल बिछा होता है।
ऐसे समझें इस साइंस को
दरअसल पसीना, शरीर के तापमान को नियंत्रित करके गर्मी बढ़ने से रोकता है। इससे शरीर ठंडा रहता है। यही कारण है कि किसी भी फिजिकल एक्टिविटी के दौरान और गर्म मौसम में शरीर अपने आप को ठंडा रखने के लिए ज्यादा पसीना बनाने लगता है। तापमान कंट्रोल नहीं होने के कारण पसीने की ग्लैंड्स से जरूरत से ज्यादा पसीना निकलने लगता है।
आखिर क्यों होता है हाइपरहाइड्रोसिस
हाइपरहाइड्रोसिस होने के कई कारण हैं। यह दो प्रकार का होता है, प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस और सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस। प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस आमतौर पर अनुवांशिक होता है। कई बार यह हार्मोनल चेंज के कारण भी होता है। यह छोटी उम्र या टीनएज में शुरू होने की आशंका होती है। वहीं सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस डायबिटीज, थायराइड, मेनोपॉज, मोटापा, लो ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, तनाव या ज्यादा दवाएं लेने के कारण होता है। कई बार कैफीन, मसालेदार भोजन और निकोटीन के कारण भी यह हो सकता है।
इसलिए जरूरी है समाधान
शरीर से ज्यादा पसीना आना भले ही एक नेचुरल प्रोसेस हो, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह तनाव का कारण बन जाता है। ज्यादा पसीना आने के कारण लोग अपना कॉन्फिडेंस खोने लगते हैं। हर समय के गीलेपन के कारण कई बार इंफेक्शन का डर बना रहता है। स्किन पर रेशैज, जलन और रेडनेस की शिकायत हो सकती है। यह गीलापन आपको असहज कर सकता है।
संभव है हाइपरहाइड्रोसिस का इलाज
अगर आपके हाथ-पैरों, चेहरे और अंडरआर्म्स में बहुत ज्यादा पसीना आता है तो हो सकता है कि आप हाइपरहाइड्रोसिस से पीड़ित हों। हालांकि इसका इलाज संभव है। अगर आप ज्यादा पसीना आने से परेशानी महसूस कर रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क कर दवाएं ले सकते हैं। अगर दवाओं से भी समस्या का समाधान न हो तो आयनटोफोरेसिस थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसमें हाथ-पैरों को माइल्ड इलेक्ट्रिक करंट वाले पानी में डुबोते हैं। जिसके कारण एक्राइन ग्लैंड्स अस्थायी रूप से डी-एक्टिव हो जाती हैं।
ये थेरेपी आएंगी काम
हाइपरहाइड्रोसिस की समस्या से निजात पाने के लिए आप बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन लगवा सकते हैं। इससे एक्राइन ग्लैंड को एक्टिव करने वाली नसें ब्लॉक की जाती हैं। इससे कई महीने तक आपको इस परेशानी से निजात मिल सकती है। वहीं माइक्रोवेव थेरेपी के माध्यम से आप एक्राइन ग्लैंड्स को स्थायी रूप से ब्लॉक कर सकते हैं। कुछ लोग स्वेट ग्लैंड रिमूवल सर्जरी का भी सहारा लेते हैं। हालांकि इससे स्किन पर और सेहत पर कुछ दुष्प्रभाव नजर आ सकते हैं।
ऐसे बचें हाइपरहाइड्रोसिस से
अगर आप सर्जरी करवाए बिना हाइपरहाइड्रोसिस को ठीक करना चाहते हैं तो आपको कुछ आसान तरीके अपनाने होंगे। जैसे हमेशा कॉटन से ढीले कपड़े पहनें। इससे आपको पसीना कम आएगा और यह सूखेगा भी जल्दी। नियमित रूप से शरीर को साफ करें। ज्यादा मसालेदार या तला हुआ भोजन न करें। क्योंकि ये भी हाइपरहाइड्रोसिस को बढ़ाते हैं। एंटी पर्सपिरेंट्स प्रोडक्ट का यूज करें, इनसे पसीना कम आएगा और पसीने से दुर्गंध भी कम होगी। आप अंडरआर्म्स पर फिटकरी लगा सकते हैं। इससे भी समस्या कम आएगी।
