Garlic :
gunon se bharapoor

  Garlic : वैद्यराज लहसुन तीक्ष्ण चरचरा तथा चिकना होता है। जो मुख्य रूप से शरीर के नाड़ी संस्थान पर प्रभाव डालता है। यह सूजन को नष्ट करने वाला, उत्तेजना देने वाला, मस्तिष्क को बल देने वाला है। शरीर की सभी इंद्रियों की शक्ति का विकास करते हुए कफ की दुर्गन्ध को नष्ट करता है। दर्द को नष्ट करता है। पेट की अग्नि बढ़ाता है और यकृत को उत्तेजना तथा हृदय को शक्ति देता है। आदि ग्रंथों में प्राप्त विवरण के अनुसार लहसुन की उत्पत्ति गरुड़ (मेघ) ने इंद्र से अमृत का अपहरण किया, तब जो बिंदु गिरे वही लहसुन के रूप में उत्पन्न हो गए, से बताई जाती है। आचार्य मनु ने इसको काम उद्वीपक एवं तीव्र गंध के कारण ब्राह्मणों के लिए वर्जित कहा था। इसी कारण तब से लेकर आज तक हमारे देश में करोड़ों परिवारों में लहसुन का उपयोग वनस्पति होने बावजूद नहीं किया जाता है।

पिछले दिनों हार्टकेयर ऑफ फाउंडेशन ऑफ इंडिया व आई जे.सी.पी. अकादमी ऑफ कन्टीन्युइंग मेडिकल एजुकेशन की तरफ से चौंका देने वाली जानकारी सामने आई कि लहसुन में कॉलेस्ट्रॉल कम करने एवं सिकुड़ी हुई धमनियों में रक्त का थक्का न जमने देने की अद्भुत क्षमता होती है। उनके शोध के अनुसार लहसुन में अनेक स्वास्थ्यवर्धक घटक पाए जाते हैं। इनमें विटामिन ‘ए व ‘सी फास्फोरस, पोटैशियम सल्फर, सेलेनियम व कई सारे अमीनो एसिड भी इनमें सम्मिलित हैं। इन सम्मिलित यौगिकों में एलीसिन नामक सल्फर यौगिक महत्त्वपूर्ण है। इसी के कारण लहसुन को काटने या पीसने पर तीखी गंध उत्पन्न होती है। लहसुन की आधी अथवा एक कली प्रतिदिन सेवन करने पर कॉलेस्ट्रॉल का स्तर नीचा करने में मदद मिलती है। यदि ताजे लहसुन का उपयोग किया जाए तो लाभ और अधिक होता है एवं थक्का बनने से रोकते हैं, इसके प्रभाव से प्लेटलेट्स चिकनी हो जाती है। जैसा कि रक्त के थक्के धमनियों में फंस जाने के कारण धमनियों में रक्त संचार प्रभावित होता है जिसकी वजह से हार्ट अटैक, लकवा, हृदय कैंसर आदि रोगों को जन्म देता है। जिन भागों में लहसुन का उपयोग होता है वहां पेट व आंतों का कैंसर कम देखने को मिलता है। लहसुन शरीर में संक्रमित जीवाणु जनक एंजाइम के निर्माण को भी काफी हद तक रोकता है। भारत के अलावा भी विश्व के अनेक देशों में लहसुन पर अनेक शोध कार्य किए जा रहे हैं। लहुसन का उपयोग संजीवनी औषधियों की भांति अनादि काल से होता आ रहा है। संभवत: इसका प्रमुख कारण आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में उपयोग किए जाने वाले छह रसों में से पांच रस एवं अन्य अनेक द्रव्य अकेले इस लहसुन में मिलता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने भी इसे शरीर में कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने वाला प्रमुख कारक प्रमाणित कर दिया है। शरीर में कॉलेस्ट्राल की अधिक मात्रा हृदय रोग, लकवा तथा कैंसर आदि प्राण घातक रोगों के प्रसार का कारण बनती है। लहसुन निम्न प्रकार स्वास्थ्यदायक गुणों से भरा है।

  • पाचन शक्ति बढ़ाकर मल को बाहर करता है तथा कब्ज नहीं होने देता है।
  • यह चेहरे के रंग को निखारता है और स्मृति व स्मरण शक्ति बढ़ाता है।
  • इसके सेवन से बल-बुद्धि वीर्य की वृद्धि होती है।
  • यह नेत्र कष्टों में लाभ करता है।
  • यह दीर्घायु बनाता है।
  • वह मांस को क्षय होने से रोकता है।
  • इसके प्रयोग से दांत तथा केश मजबूत रहते हैं।
  • हड्डियों की अनेक बिमारियों को दूर कर देता है।
  • और यदि इनमें सूजन हो तो उसे नष्ट करता है। सूजन व पथरी में इसका प्रयोग रामबाण है। रक्त को शुद्ध करता है।
  • लहुसन अत्याधिक प्रतिरोधक है जिसके प्रयोग से घाव में मवाद सूखने लगता है, घाव शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
  • पेट के कीड़े व कब्ज नष्ट करता है। हृदय रोगों को नष्ट करके हृदय को बलवान बनाता है। वायु व कफ के रोगियों के लिए अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक है।
  • इसका प्रयोग दमा, खांसी, लकवा, जोड़ों के दर्द तथा आंतों की दुर्बलता में लाभ पहुंचाता है। द्य सभी व्याधियों में स्त्रियों के लिए भी अत्यंत उपयुक्त व लाभदायक है।
  • गर्म पानी में लहुसन का रस मिलाकर गरारा करने से गला ठीक हो जाता है।
  • लहसुन को कुचलकर या बारीक पीसकर उसका रस दो-चार बूंद रुई पर लें और इसे हर समय सूंघते रहें। इससे फेफड़ों के क्षय में बहुत शीघ्र लाभ मिलता है।
  • लहसुन के जवां जलाकर मिट्टी के बर्तन में ढंककर उनका कोयला बना लें और फिर कोयले को पीसकर उतना ही काला नमक मिलाएं। इसकी दो रत्ती मात्रा शहद या मलाई के साथ सुबह-शाम चाटने से काली खांसी ठीक होती है।
  • लहुसन के रस की बीस से तीस बूंदें आवश्यकतानुसार अनार के रस या शर्बत में मिलाकर पीने से हर प्रकार की खांसी में तुरंत लाभ मिलता है। द्य मिर्गी के बेहोश रोगी को लहसुन कूटपीसकर सुंघा देने से रोगी होश में आ जाता है। मिर्गी रोगी को लहसुन जवां छीलकर दूध में पकाकर लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से रोग से मुक्ति मिलती है। इस प्रकार चिकित्सा जगत में लहसुन के अनेक विविध प्रयोगों के कारण इसका विशेष महत्त्व है।

सावधानी- यदि आप पहले से कोई दवाई ले रहे हैं और साथ में ऐसे किसी सप्लीमेंट का प्रयोग करते हैं तो यह और भी हानिकारक है। यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए। घरेलू मसालों तथा औषधियों का उपयोग अक्सर छोटी-मोटी बिमारियों में किया जाता है। हल्दी से लेकर लौंग तक और प्याज से लेकर लहसुन तक लगभग हर चीज औषधीय गुणों से भरी होती है। लहसुन का प्रयोग भी इसी श्रेणी में आता है। हृदय रोगियों के लिए यह बहुत लाभकारी है या फिर इससे रक्त का शुद्धीकरण होता है। अक्सर लोग लहसुन की कली का प्रयोग करते हैं। कुछ लोगों के घर में लहसुन का प्रयोग वर्जित होता है या उन्हें लहसुन की गंध पसंद नहीं होती, इसलिए वे लहसुन के सप्लीमेंट्स का धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं। लेकिन इस ओर खास ध्यान देने की आवश्यकता है, यह आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकता है। इसलिए इनका प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतें तथा चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही प्रयोग करें।

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