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जले हुए अंग पर तुरन्त ग्वार पाठे यानी एलोवेरा के गूदे का लेप कर देने से जलन शान्त होती है और फफोले भी नहीं पड़ते हैं।
काली मसूर की दाल को तवे पर जलाकर कोयला कर लें तथा बारीक पीसकर शीशी में भरकर रख लें। आवश्यकता पड़ने पर गोले के तेल में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे न तो छाले पड़ेंगे और न ही जले का निशान रहेगा।
जले हुए स्थान पर गाय का गोबर लगा दें, फौरन आराम आ जाता है तथा निशान भी नहीं रहता।
कच्चा आलू पीसकर जले के स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
शरीर के किसी भी जले अंग पर सिरस के पत्ते मलने से लाभ होता है।
अमलतास के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से जले हुए अंग को आराम मिलता है।
आग या गर्म पानी से जले हुए अंग पर तिल को पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
बड़ की कोपलों को गाय के दूध से बने दही में पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से राहत पहुंचती है।
बरगद के पत्ते को दही में पीसकर जले स्थान पर लेप करें, जलन में शांति का अनुभव होगा और घाव भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
गूलर के पत्तों को पीसकर लगा दें। जलन जाती रहेगी, फफोले व निशान भी नहीं पडेंगे।
आग से जलने पर मेथी के दानों को पानी में पीसकर लेप करने से जलन दूर होती है, फफोले नहीं पड़ते।