make skin healthy and beautiful
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त्वचा भले ही शरीर का बाहरी हिस्सा है परंतु इसी के माध्यम से बहुत से रोग शरीर में प्रवेश करते हैं यह त्वचा यदि हमें आकर्षक दिखाती है तो यही हमें रोगी भी बनाती है। ऐसे में कैसे बनाएं त्वचा को स्वस्थ, सुंदर व रोग मुक्त? आइए जानते हैं।

त्वचा रोगों को दूर करने के उपाय

छुआरे की गुठली सिरके के साथ पत्थर पर घिसकर इसका लेप मुहांसों पर लगाएं। एक घंटे बाद धो डालें।
मसूर की दाल को बारीक पीसकर, दूध में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इस लेप को मुहांसों पर लगाएं और थोड़ी देर बाद पानी से धो डालें।
एक बादाम सुबह पानी में डालकर रखें। शाम को छिलका हटाकर पत्थर पर घिसकर लेप बना लें। इसमें 10-15 बूंद नींबू का रस टपका दें और बराबर मात्रा में ग्लिसरीन मिला लें। इसे चेहरे पर लेप करें और घण्टे भर बाद कुनकुने पानी से धो डालें।

एक तोला मलाई में चौथाई नींबू निचोड़कर रोजाना मुंह पर लगाने से चेहरे का रंग साफ होगा और मुहांसे खत्म हो जाएंगे। गीले मुहासों पर न लगाएं। शंख को साफ पत्थर पर पानी के साथ घिसकर कील-मुंहासों पर लगाने से मुंहासे ठीक हो जाते हैं। मुहांसे होने पर कब्ज नहीं होनी चाहिए और गरम तले हुए तथा मिर्च-मसालेदार पदार्थ नहीं खाने चाहिए। सुबह-शाम दोनों वक्त शौच अवश्य जाना चाहिए।

मुल्तानी मिट्टी के साथ मेंहदी और आंवला को भिगोकर रख दें, सुबह सबको मिलाकर उसमें पीसी हुई हल्दी, दही, मक्खन, जौ का आटा, गेहंू का महीन पिसा हुआ आटा, चने का आटा, मकई का आटा मिलाकर (आधा-आधा मुट्ठी) लेप बनाकर उसको मुहासों पर लगायें।

त्रिफला चूर्ण में बेसन और हल्दी मिलाकर, इसका लेप मुंहासों पर लगायें।
फिटकरी और कालीमिर्च समान मात्रा में पीसकर गाढ़ा लेप मुंहासे पर लगायें। अच्छा हो यदि साथ ही चन्दन भी घिस लें। रात को लेप लगाकर सो जायें और सुबह मुंह धो लें फिर हल्की-सी क्रीम लगा लें।
लाल चन्दन, जायफल तथा कालीमिर्च समान भाग में लेकर पानी में पीसकर लगाने से मुंहासे ठीक हो जाते हैं।

चर्म रोग

खाज, खुजली, छाजन, कुष्ठ रोग में लहसुन को जल के साथ पीसकर लगाने से शीघ्र लाभ होगा। आधा लीटर लहसुन रस में 100 मिली स्प्रिट डालकर रखें। इसे फुरेरी से लगाएं।
गन्ने का सिरका आधा चम्मच, शहद डेढ़ चम्मच दोनों मिलाकर चर्म रोग वाली जगह पर लगाएं। सभी चर्म रोगों से छुटकारा मिल जायेगा।
चर्म रोग होने पर लाल मिर्च पाउडर डालकर पकाये हुए सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है।
हल्दी की गांठ से छाजन वाली जगह रगड़कर ऊपर से पिसी हल्दी का गाढ़ा-गाढ़ा लेप कर दें। लाभ मिलने तक प्रयोग करें।
त्वचा की खुश्की तथा छूत के रोगों का असर दूर करने के लिये हल्दी के तेल से मालिश लाभदायक रहती है।
चर्म रोग में हरड़ बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। इसका कई दिनों तक सेवन करने से चर्म रोग चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों न हो, नष्ट हो जाता है। 5 ग्राम हरड़ के चूर्ण भोजन के बाद 15 मिनट के अन्दर लेते रहने से रोग का शमन होता है।

फोड़े फुंसी होंगे नस्ट

ऌफोड़े-ऌफुंसी तो दिखने में काफी छोटे लगते हैं पर यदि इनका इलाज समय से और सावधनीपूर्वक न किया जाए तो यह गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। इनका इलाज देसी विधि द्वारा प्रभावी एवं सफल है।

सहजन की जड़ का लेप और सेक करें

जौ, गेहूं और मूंग को घी में पीसकर लेप करें। खस, चन्दन और मुलहठी को दूध में पीसकर लेप करें।
चने का क्षार फोड़े-फुंसियों पर लगाने से वे पक जाते हैं। इससे दूषित रक्त निकल जाता है व फोड़े-फुंसियां ठीक हो जाती हैं। अरबी के पत्तों को जलाकर उसकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े ठीक हो जाते हैं। गाजर को उबालकर उसकी पोटली बनाकर बांधने से जख्म अच्छे होते हैं।

पीपल की छाल पीसकर लगाने अथवा उसके दूध का फाहा लगाने से फोड़े-फुंसियों से राहत मिलती है। मेथी की पोटली बांधने से फोड़े की सूजन कम होती है और दर्द भी कम होता है। नीम की छाल को पीसकर बनाया गया लेप दिन में दो-तीन बार लगाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं, लाभ न होने तक प्रयोग जारी रखें। बड़ की जटाएं, नीम की छाल, गेंदा की पत्ती, तुलसी के बीज पीसकर लेप करें।

बबूल की छाल और कत्था-इनका काढ़ा बनाकर उसके पानी में कपड़ा भिगोकर बांधें। मूली के बीज, शलगम के बीज, अलसी, तिल, राई, अरंडी के बीज, बिनौले, सरसों, सन के बीज-इन्हें पीसकर गुनगुना लेप करें।

आक की जड़, तम्बाकू के पत्ते, लहसुन-इन्हें पीस लें व गुनगुना कर लेप करें।
नीम विषैले फोड़ों, पुरानी त्वचा की व्याधि, कोढ़ तथा किसी भी प्रकार के रोगाणु के आक्रमण में फायदा करता है।

नीम के तेल की मालिश समस्त प्रकार के फुंसी-फोड़े, खुजली आदि में लाभदायक होती है। इसकी छाल, फूल, पत्ते, बीज व तेल का प्रयोग अधिक किया जाता है।

पुनर्नवा के मूल का काढ़ा पीने से कच्चा फोड़ा और मूढ़ फोड़ा भी मिट जाता है।

फुंसी को जल्दी पकाने के लिए अस्थि शृंखला के पत्ते को कूटकर तेल में गर्म कर पोटली बांध देने से फुंसी जल्दी पक जाती है।

इसकी पत्तियों को पीसकर लुगदी बनाकर और पोटली तैयार कर फोड़े पर बांधने से फोड़ा पककर फूट जाता है, चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

जल जाने पर अपनाएं ये उपाय

काली मसूर की दाल को तवे पर जलाकर कोयला कर लें तथा बारीक पीसकर शीशी में भरकर रख लें। आवश्यकता पड़ने पर गोले के तेल में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे न तो छाले पड़ेंगे और न ही जले का निशान रहेगा।

जले हुए स्थान पर गाय का गोबर लगा दें, फौरन आराम आ जाता है तथा निशान भी नहीं रहता।
कच्चा आलू पीसकर लगाने से लाभ होगा।

शरीर के किसी भी जले अंग पर सिरस के पत्ते मलने से लाभ होता है।

अमलतास के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से जले हुए अंग को आराम मिलता है।

बड़ की कोपलों को गाय के दूध से बने दही में पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से राहत पहुंचती है।

जले अंग पर सरसों का तेल लगाएं।

100 ग्राम पानी में 10 ग्राम शहद मिलाकर घूंट-घूंटकर पी लें। दो घंटे बाद पचास ग्राम पानी में पांच ग्राम शहद मिलाकर पी लें। इस प्रकार दिन-भर में लगभग 25 ग्राम शहद पी डालें। एक सप्ताह में ही आंतों के घाव समाप्त हो जाएंगे।

जल जाने पर नारियल का तेल लगा दें।

बरगद के पत्ते को दही में पीसकर जले स्थान पर लेप करें, जलन में शांति का अनुभव होगा और घाव भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

गूलर के पत्तों को पीसकर लगा दें। जलन जाती रहेगी, फफोले व निशान भी नहीं पड़ेंगे।
आग से जलने पर मेथी के दानों को पानी में पीसकर लेप करने से जलन दूर होती है, फफोले नहीं पड़ते।

जले हुए अंग पर तुरन्त ग्वार पाठे के गूदे का लेप कर देने से जलन शान्त होती है और फफोले भी नहीं पड़ते हैं।

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