Healthy Food Benefits: एक संतुलित आहार में हमेशा प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर होना जरूरी है, जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक हैं।
स्टार्च से दूर रहें
अपने भोजन में स्टार्च रहित फल और सब्जियां शामिल करें, जैसे कि सेब, नाशपाती और हरी पत्तेदार सब्जियां क्योंकि स्टार्च वाले भोजन से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हम सब ज्यादातर एक जैसे ही चीजें खाते हैं, जैसे- आलू, संतरा, गाजर, मछली, चिकन, बैंगन, ब्रेड आदि।
इनमें बस थोड़ी-बहुत मात्रा में फर्क होता है। लेकिन क्या हम सबको इन्हीं चीजों से एक जैसी ताकत, न्यूट्रिएंट्स और सेहत मिलती है? शायद नहीं! कुछ लोग अपने खाने से ज्यादा फायदे निकाल लेते हैं और इसकी वजहें बहुत सिंपल होती हैं। यहां तीन अहम वजहें बताई गई हैं। जरा देखिए, आप इनमें से कौन-सी फॉलो करते हैं और कौन-सी नहीं।
अपने खाने की थाली को सिर्फ स्वाद ही नहीं, रंग-रूप से भी हैप्पी रखें। अगर खाना फीका हो, या देखने में अच्छा न लगे, तो हमारे शरीर में उससे मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स भी कम हो जाते हैं। हां, ये बात साइंस भी कहता है। ऐसी कई शोध हैं, जो यह बताती हैं कि जब दिमाग को किसी खाने में मजा
आने की उम्मीद होती है, तो पाचन तंत्र ज्यादा सक्रिय हो जाता है और शरीर ज्यादा अच्छे से पोषण को अवशोषित करता है।
मतलब ये कि अगर आप एक रंग-बिरंगी थाली और ताजे फल-सलाद खा रहे हैं, तो उसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स आपके शरीर को ज्यादा अच्छे से मिलेंगे, जबकि उबली हुई व बोरिंग दिखने वाली पत्तागोभी की डिश के साथ ऐसा ना हो। तो खाने का स्वाद ही नहीं, उसका लुक भी मायने रखता है।
फलों और रंगों की बात करें तो यह जानना जरूरी है कि यह कोई घिसी-पिटी बात नहीं है, बल्कि एक सच्चाई है कि फलों और सब्जियों से भरपूर आहार लगभग सभी पुरानी बीमारियों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। अगर आप सच में लंबी उम्र और बीमारी से दूरी चाहते हैं, तो अपनी थाली में
रोजाना कम से कम 5 तरह के अलग- अलग रंगों वाले फल और सब्जियां जरूर शामिल करें। हां, बस इतनी सी बात, लेकिन हम फिर भी नहीं करते। क्यों? कभी टाइम नहीं मिलता, तो कभी बस इन्हें अपनी डाइट में पर्याप्त मात्रा में शामिल करने में रुचि नहीं रखते।

अब वक्त आ गया है इस आदत को बदलने का। आजकल सेहत की दुनिया सिर्फ प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट जैसे मैक्रो- न्यूट्रिएंट्स तक ही सीमित नहीं है। अब तो साइंस भी मानती है कि फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट हमारी सेहत के लिए बहुत ही
जरूरी हैं। यही वो चीजें हैं जो हमारे शरीर को रिपेयर करती हैं, एनर्जी देती हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं।
इसलिए कोशिश कीजिए कि आपकी थाली में ज्यादा से ज्यादा रंग हों। इससे आपकी सेहत को उतना ही ज्यादा फायदा मिलेगा। और हां, छिलकों को फेंकना बंद कीजिए क्योंकि इन्हीं छिलकों में सबसे ज्यादा पोषण होता है। अगर आप इन्हें हटा देंगे, तो समझिए कि खाने के असली फायदे से खुद को दूर कर रहे हैं। और ऐसा तो आप बिल्कुल नहीं चाहेंगे, है ना?
इसके अलावा, जब हम खाना पकाते हैं, तो यह जरूरी है कि सब्जियों को बहुत छोटे टुकड़ों में न काटें। वास्तव में, उन्हें जितना हो सके, साबुत या बड़े टुकड़ों में ही पकाएं। यूएस की एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विस के
मुताबिक, कटे हुए आलू की तुलना में, साबुत पकाए जाने पर आलू में 50 प्रतिशत अधिक पोटैशियम होता है। वहीं, एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि साबुत पकाए गए गाजर में कैंसर से लड़ने वाले कंपाउंड
25 प्रतिशत अधिक होते हैं। यही बात अन्य सब्जियों पर भी लागू होती है। एक और जरूरी बात यह है कि काटने के बाद सब्जियों को ज्यादा देर तक पानी में न छोड़ें क्योंकि इससे ज्यादातर इलेक्ट्रोलाइट्स निकल जाते हैं। बेहतर होगा कि उन्हें धोएं और फिर काटकर तुरंत पकाएं। इन आसान बदलावों को अपनाएं क्योंकि आजकल के समय में शरीर को जितना पोषण मिले उतना बेहतर है।
सब्जियों और फलों को लंबे समय तक काटकर छोड़ने से उनके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कोशिश करें कि जिन फलों को बिना काटे ही खाया जा सकता है उन्हें साबूत ही खाएं। फलों और सब्जियों को तुरंत काटे और तुरंत पकाएं या खाएं। सेब, केला, नाशपाती और पपीता जैसे फलों को लंबे समय तक काटकर न रखें ऐसा करने से पोषक तत्वों की कमी और फल दूषित हो सकते हैं, ऐसे में अगर उनका सेवन किया जाए तो आपको फूड पॉइसनिंग या पेट खराब होने
का खतरा हो सकता है।
