Reasons of Heart Attack: आमतौर पर कहा जाता है कि अगर आप फिट रहेंगे तो हमेशा बीमारियों से दूर रहेंगे। लेकिन पिछले कुछ अरसे से यह उक्ति गलत साबित हो रही है। आजकल युवाओं; खासकर 40 साल से अधिक उम्र में फिटनेस के प्रति बढ़ता रूझान और बाॅडी बिल्डिंग करने के लिए जिम जाने का बढ़ता ट्रेंड जानलेवा साबित हो रहा है। ट्रेंड को फोलो करने के चक्कर में अकसर भूल जाते हैं कि हर किसी की शारीरिक बनावट अलग-अलग होती है और सबके लिए एक्सरसाइज का लेवल भी अलग होता है। हालांकि फिटनेस के लिए एक्सरसाइज जरूरी है लेकिन लगातार फिट दिखने की चाह में अधिक वर्कआउट करना शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है और हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट की वजह बन रहा है। आयदिन किसी सेलिब्रेटी या कोई बड़ी हस्ती या आसपास के व्यक्ति को अचानक हार्ट अटैक या हार्ट अरेस्ट होने से मौत की खबरें इसका प्रमाण हैं।
पहले हार्ट अटैक के बड़ी उम्र (60 साल की उम्र के बाद) के लोगों में होने वाली बीमारी माना जाता थाए लेकिन अब युवा भी तेजी से इसका शिकार बन रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक अब 25-30 वर्ष के युवाओं को भी हार्ट अटैक आ जाता है। कार्डियोलाॅजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत में हर मिनट में 35-50 साल की उम्र के 4 लोगों को हार्ट अटैक आता है। हार्ट अटैक से मरने वाले लोगों में 25 प्रतिशत की उम्र 35 वर्ष से कम होती है।
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भारी-भरकम एक्सरसाइज करना क्यों है खतरनाक?

हालांकि हार्ट अटैक गतिहीन जीवनशैली जी रहे लोगों में ज्यादा देखने को मिलते हैं जो दिन भर में किसी तरह का शारीरिक व्यायाम नहीं करते। लेकिन फिटनेस के प्रति अवेयर लोगों के लिए अगर एक्सरसाइज करना जुनून बन जाए। यानी वो रोजाना ओवर जिमिंग या 3-4 घंटे एक्सरसाइज करने लगें या अच्छा दिखने की चाह में भारी-भरकम एक्सरसाइज करने लगें- तो यह उनके दिल के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के हिसाब से जो लोग हाइपरट्राॅफिक काॅर्डियोमायोपैथी या कोरोनरी हार्ट डिजीज के मरीज हैं। जिम में घंटो एक्सरसाइज करने पर उन्हें हार्ट राइम डिस्आर्डर का जोखिम रहता है। उनका ब्लड प्रेशर कम होने लगता है और हार्ट पर क्रोनिक स्ट्रेस बढ़ने लगता है। जिससे हार्ट की वाॅल्व का नुकसान पहुंचता है, हार्ट बीट गड़बड़ाने लगती है और वेंटिकुलर टेकीकार्डिया या कार्डिएक अरेस्ट का खतरा रहता है।
कई युवा जल्दी बाॅडी बिल्डिंग की चाह में प्रोटीन, वे-प्रोटीन या स्टेराॅयड जैसे स्टीमुलेंट का सेवन करते हैं। लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से हार्ट ज्यादा एक्टिवेट हो जाता है और एरिदमिया यानी हार्ट बीट घटने-बढ़ने की शिकायत शुरू हो जाती है। जो हार्ट अटैक का कारण बनते हैं। एसोसिएटिड एशिया रिसर्च फाउंडेशन की रिसर्च के हिसाब से भारत में बाॅडी बिल्डिंग करने वाले करीब 30 लाख लोग स्टेराॅयड लेते हैं जिनमें से 73 प्रतिशत लोग 16-35 वर्ष के हैं।
इसके अलावा भारी-भरकम वर्कआउट पूरी गाइडेंस और सावधानी के बिना करना हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। वर्कआउट करते समय किसी कारणवश शरीर में रक्त संचार धीमा होना या ब्लड क्लाॅटिंग होना भी हार्ट अटैक का कारण बनता है। फैमिली हिस्ट्री वाले व्यक्तियों को भी रिस्क अधिक होता है। जेनेटिक कारणों से उनके दिल में शार्ट सर्केट होने लगता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी मेटाबाॅलिक सिंड्रोम बीमारियां भी हार्ट अटैक के रिस्क को बढ़ाती हैं। कोलेस्ट्राॅल के कारण आर्टरीज में 70 प्रतिशत से अधिक ब्लाॅकेज है तो एंजाइना या सीने में दर्द होता है क्योंकि एक्सरसाइज के दौरान समुचित मात्रा में ब्लड के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

व्यक्ति को ये लक्षण लंबे समय तक रहते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते हैं। लेकिन बाॅडी बिल्डिंग के जुनून में कुछ लोग इन्हें नजरअंदाज करते रहते हैं जिसका खामियाजा भी भुगतते हैं। अगर ऐसे लक्षण महसूस हों या एक्सरसाइज करते समय कोई भी परेशानी हो, तो हृदय रोग विशेषज्ञ को तुरंत कंसल्ट करना चाहिए।
- फिजीकली फिट दिखने वाले लोगों को लगातार थकावट रहना
- सीने मे दर्द या एंजाइना पेन हो जो कुछ मिनटों में खत्म न हो। सीने की बाईं तरफ या बीचोंबीच कसाव, जकड़न महसूस होना।
- शरीर के दूसरे हिस्सों में दर्द महसूस होना। जब दर्द सीने से हाथों, जबड़े, गर्दन, पीठ और पेट की ओर जाता महसूस होना।
- चलने पर दर्द ज्यादा होना जबकि आराम करते समय कम हो जाना।
- गले में चोकिंग या खिंचाव आना।
- घुटन या घबराहट महसूस होना,
- मितली या उल्टी जैसा लगना
- चक्कर आना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- दिल की धड़कन अनयिमित होना, सांस लेने में तकलीफ होना, जोर-जोर से सांस लेना पड़े।
- एकाएक बहुत कमजोरी आना और एक्सरसाइज करने में असमर्थ होना
हार्ट हेल्दी रखने के लिए कितनी एक्सरसाइज जरूरी?

फिटनेस और अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमित फिजीकल एक्सरसाइज करना एक बेहतरीन माध्यम है जो व्यक्ति को हृदय की बीमारी से दूर रखता है। अगर नियमित रूप से माॅडरेशन में एक्सरसाइज की जाए तो ये हृदय रोग ही नहीं, मेटाबाॅलिज्म यानी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्राॅल जैसी बीमारियों के स्तर को दुरुस्त बनाए रखने में सहायक होती हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार हार्ट को हेल्दी रखने के लिए व्यक्ति को सप्ताह में 180 मिनट की फिजीकल एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। जो लोग एक्सरसाइज नहीं करते हैं उन्हें शुरुआत में 5-10 मिनट तक एक्सरसाइज करनी चाहिए। जिसे वे अपनी शारीरिक क्षमता और हृदय गति के हिसाब से रोजाना 30-60 मिनट तक बढ़ा सकते हैं। सप्ताह में 5 दिन वे वाॅकिंग, ब्रिस्क वाॅक, जाॅगिंग, दौड़ना, साइकलिंग, सीढ़ी चढ़ना, एरोबिक, स्विमिंग, डांस जैसी एक्सरसाइज कर सकते हैं।
लेकिन बहुत ज्यादा यानी रोजाना घंटों फिजीकल एक्सरसाइज करना या भारी-भरकम एक्सरसाइज करना शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। जरूरी है कि इन एक्सरसाइज को करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए और अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार करनी चाहिए। एक्सरसाइज हार्ट बीट के आधार पर करनी चाहिए जिसकी जांच टीएचआर टेस्ट से की जाती है। आमतौर पर एक्सरसाइज करते वक्त व्यक्ति की हार्ट बीट 105-112 प्रति मिनट के बीच होना निर्धारित किया गया है। अगर हार्ट बीट 105 से कम है तो एक्सरसाइज की गति बढ़ाई जा सकती है और 112 से ज्यादा होने पर एक्सरसाइज नहीं बढ़ानी चाहिए। जब व्यक्ति इस स्तर पर सहज महसूस करने लगे, तभी फिजियोथेरेपिस्ट या ट्रेनर के परामर्श के बाद तीव्रता 5 प्रतिशत बढ़ाई जा सकती है।
वर्कआउट करते समय रखें ध्यान

एक्सपर्ट एक्सरसाइज करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं :
- अपनी उम्र और हेल्थ के हिसाब से ही एक्सरसाइज चुनें। वर्कआउट उतना ही करें जितना आपका शरीर इजाजत दे। दूसरों की देखादेखी एकाएक ज्यादा एक्सरसाइज न करके रोजाना बैलेंस तरीके से करें।
- जिम ऐसा चुनें जहां के ट्रेनर क्वाॅलिफाइड और अनुभवी हों।
- जिम में वर्कआउट रूटीन को नियम से फोलो करें। एक्सरसाइज डायरी मेंटेन करें जिसमें अपनी हृदय गतिए एक्सरसाइज और रिलेक्स की अवधि का रिकार्ड रखें।
- संभव हो तो भारी-भरकम एक्सरसाइज करने से पहले दिल की सेहत और जरूरी मेडिकल जांच कराएं। एक्सरसाइज करते समय मेडिकली निर्धारित हार्ट बीट का ध्यान रखें।
- फिजीशियन की सुपरविजन में ट्रेडमिल टेस्ट पास करने के बाद ही एक्सरसाइज शुरू करें।
- अगर आपकी उम्र 30 साल से ज्यादा है तो कोई भी भारी एक्सरसाइज करने से पहले डाॅक्टर से सलाह जरूर लें।
- सीधी एक्सरसाइज न करके शुरू में वार्मअप एक्सरसाइज जरूर करें। स्टेमिना बढ़ने पर एक्सरसाइज और टाइमिंग बढ़ाएं ताकि नुकसान न हो।
- खाना खाने के तुरंत बाद वर्कआउट न करें यानी कम से कम 2 घंटे का अंतराल रखें।
- अगर सीने में दर्द, सांस उखड़ने लगे, घबराहट, चक्कर आना, सिर हल्का लगे, कमजोरी महसूस हो या जबरदस्त पसीना आए तो वर्कआउट रोक दें। अगर बहुत कमजोरी महसूस हो तो डाॅक्टर को कंसल्ट करें।
- रोजाना 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं। जिम में भी थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें क्योंकि एक्सरसाइज के दौरान हमारे शरीर में पानी का काफी नुकसान होता है।
- बाॅडी बिल्डिंग के लिए प्रोटीनए वे-प्रोटीन पाउडर या स्टेराॅयड न लें। भले ही ये आपके बाॅडी बिल्डिंग के लक्ष्य को जल्दी पाने में सहायक होते हैंए लेकिन शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
- एक्सरसाइज करने के बाद रिलेक्स करें। दो वर्कआउट के बीच कम से कम 6 घंटे का अंतराल रखें। सप्ताह में एक दिन एक्सरसाइज न करें।
- एक्सरसाइज करने से 2 घंटे पहले स्मोकिंग या एल्कोहल का सेवन न करें।
- रोजाना 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें। नींद के दौरान शरीर के मसल्स और टिशूज रिलेक्स होते हैं। एक्सरसाइज करने में जो एनर्जी खर्च होती है, शरीर उसेे वापिस हासिल करता है।
(डाॅ एससी मनचंदाए सीनियर कार्डियोलाॅजिस्ट, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली
डाॅ प्रभात रंजन, सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट, एम्स, नई दिल्ली)
