क्या है थायरॉयड
थायरॉयड ग्रंथि गले में सांस की नली के अपर और वोकल कॉर्ड के दोनो ओर दो भागो में तितली के आकर की होती है ये ग्रंथि थायरॉक्सीन नामक हार्मोन बनाती है जिससे हमारी बॉडी को प्रोटीन बनाने और एनर्जी मिलती है।थायरायड ग्रंथि के कारण कोशिकाएं अपना काम ठीक से कर पाती है ।
लेकिन जब ये ग्लैंड अपना काम करना बंद कर देती है तो उसे हाईपोथायरॉयड कहते है । इसके लिए डेली लाइफ़ लॉंग मेडिसिन खाना पड़ता है । ऐक्चूली थायरॉयड ग्लैंड एक मोबाइल की तरह होती है जिस तरह मोबाईल को चार्च करने की ज़रुरत होती ठीक उसी तरह हमें थायरॉयड की प्रॉब्लम में हमेशा मेडिसिन लेने की ज़रुरत होती है।
हाईपोथॉयरिज्म के लक्षण
थायरायड को साइलेंट किल्लर कहा जाता है क्यूंकि इसके लक्षण शुरुआती दौर में समझ में नहीं आते है । कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे कि अचानक वेट का बढ़ना और सतर्क होने पर भी वेट कम ना होना,किसी काम में मन ना लगना आलस आना, जल्दी काम में थक जाना,मूड स्विंग होना,कब्ज,हाथ पैर ठंडे होना,मांसपेशियों,जोड़ो और गर्दन में दर्द । इसके अलावा स्किन ड्राई होना,बालों का झड़ना, महिलाओं में अत्यधिक पीरियड होना,ज़ुकाम होकर जल्दी ठीक ना होना, स्ट्रेस लेना जैसे इसके सामान्य लक्षण है। साथ ही ये वंशानुगत भी होता है ।
क्यों होता है थायरॉयड
अगर फ़ैमिली में किसी को पहले से थायरॉयड है तो उसके होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।इसके अलावा ज़्यादा तनाव का असर हमारी थॉयरायड ग्लैंड पर पड़ता है। साथ ही भोजन में आयोडिन की कमी या ज़्यादा होने से भी ये समस्या हो सकती है।महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान भी थायरॉयड की समस्या हो जाती है ।
थायरॉयड के टेस्ट
ज़्यादातर डॉक्टर थायरॉयड के लिए TSH और T-3 व T- 4 टेस्ट लिखते है । TSH थायरॉयड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन है जिनका निर्माण हमारे ब्रेन में मौजूद पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा होता है। TSH थॉयरायड ग्रंथि के कामकाज और इसके माध्यम से T -3 व T 4 हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करता है T -3 व T – 4 अपने शरीर में एनर्जी ,मूड नियंत्रण के साथ ही अन्य कार्यों को भी नियंत्रित करता है । इस टेस्ट के द्वारा हाईपोथायरॉयड की जांच होती है ।
जो महिलायें इससे पीड़ित है उन्हें हर 6 हफ्ते या दो महीने में थायरॉयड टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए साथ ही डॉक्टर के अनुसार मेडिसिन लेते रहना चाहिए । थॉयरोकेयर नामक मेडिसिन अलग-अलग मात्रा ( mg) की मिलती है इसलिए डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है । ये दवाई सुबह सो कर उठने के बाद सबसे पहले ख़ाली पेट खाई जाती है ।
क्या खायें क्या ना खाए
अगर ये समस्या आयोडिन और विटामिन डी की कमी से होता है तो अपने आयोडिन और विटामिन डी युक्त भोजन फ़ायदेमंद होता है। ज्यादा चीनी वाले पेय,और फ़ैट से बचें। इसके अलावा कुछ सब्जियां जैसे गोभी, फूल गोभी और ब्रोकली और सोया थॉयरायड की प्रॉब्लम को बढ़ाता है ।
ऐसी हो लाइफ़ स्टाइल
लाइफ़ स्टाइल में बदलाव लाने से थोड़ा फ़ायदा हो सकता है लेकिन इस रोग से मुक्ति नहीं मिल सकती है। योगा, वॉकिंग और दूसरे तरह की भी एक्सरसाइज़ से आप थायरॉयड के साइड इफेक्ट से बच सकते हैं।
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