डिलीवरी के बाद अगर मां खाती है ज्यादा मीठा तो बच्चे को हो सकता है ये बड़ा नुकसान: Sugar Impacts in Pregnancy
Sugar Impacts in Pregnancy

Overview:

डिलीवरी के बाद प्रसूताओं की डाइट में लड्डू, घी, हरीरा, अजवाइन का हलवा, ड्राई फ्रूट्स आदि जरूर शामिल किए जाते हैं। लेकिन इन खाद्य पदार्थों में जमकर फैट और शुगर होते हैं।

Sugar Impacts in Pregnancy: बच्चे को जन्म देना एक महिला के लिए नया जन्म माना जाता है। यही कारण है कि इस दौरान हर गर्भवती के खानपान का पूरा ध्यान रखा जाता है। भारत में डिलीवरी से पहले और बाद में महिलाओं की डाइट को लेकर कई चलन प्रचलन में हैं। डिलीवरी के बाद प्रसूताओं की डाइट में लड्डू, घी, हरीरा, अजवाइन का हलवा, ड्राई फ्रूट्स आदि जरूर शामिल किए जाते हैं।  लेकिन इन खाद्य पदार्थों में जमकर फैट और शुगर होते हैं। दूसरी ओर ये माना जाता है कि इस डाइट से नई मां को रिकवरी और शिशु के विकास दोनों में मदद मिलती है। यह बात सही है कि गर्भावस्था और डिलीवरी के बाद मां जो भी आहार लेती है, उसका सीधा असर शिशु की सेहत और विकास पर पड़ता है। ऐसे में अगर डिलीवरी के बाद नई मां असंतुलित भोजन करती है तो इसका प्रभाव भी शिशु पर पड़ता है। इतना ही नहीं मां के खानपान का दुष्प्रभाव बच्चे के लिए जिंदगी भर की पीड़ा बन सकता है।

Sugar Impacts in Pregnancy-बच्चे को जन्म देने के बाद एक मां को हमेशा बैलेंस डाइट लेनी चाहिए।
A mother should always take a balanced diet after giving birth to a child.

बच्चे को जन्म देने के बाद एक मां को हमेशा बैलेंस डाइट लेनी चाहिए। नई मां की डाइट में विटामिन डी, एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, फोलेट, आयोडीन, कैल्शियम, ओमेगा-3 और जिंक जरूर होना चाहिए। ये सभी पोषक तत्व मां में आई कमजोरियों को दूर करते हैं। साथ ही बच्चे के विकास में भी मददगार होते हैं। अगर मां की डाइट में इन तत्वों की कमी होती है तो पोषण संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। वहीं शिशुओं की इम्यूनिटी पर भी इसका असर पड़ सकता है।  

भारत में डिलीवरी के बाद अधिकांश महिलाओं को खास डाइट दी जाती है। इस डाइट में काफी मात्रा में मीठा भोजन शामिल होता है। माना जाता है कि इससे मां को ताकत मिलेगी और रिकवरी जल्दी होगी। लेकिन कई शोध बताते हैं कि जो नई मां डिलीवरी के बाद मीठे और प्रोसेस्ड फूड का सेवन ज्यादा करती हैं, उनके शिशुओं की सेहत को बड़ा खतरा हो सकता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन के अनुसार ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाओं की यह असंतुलित डाइट शिशुओं में मोटापे का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं ऐसे बच्चों को भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। डायबिटीज को साइलेंट किलर बीमारी माना जाता है, जो कई अन्य रोगों को ट्रिगर करती है। ऐसे में डिलीवरी के बाद बहुत ज्यादा मीठा खाने से बचना चाहिए।

ब्रेस्टफीडिंग मां के साथ ही शिशुओं के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि शिशु का पोषण इस बात पर निर्भर करता है कि मां की डाइट कैसी है। इतना ही नहीं ब्रेस्टफीड करवाने से नई मां का पोस्टपार्टम वेट भी कम होता है। ऐसे में महिलाओं को हमेशा संतुलित डाइट लेनी चाहिए। 

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...