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Disease From Nails: नाआयुर्विज्ञान के अनुसार शरीर के अन्य अंगों की अपेक्षा हाथ, हथेली और नाखूनों में सबसे अधिक तंत्रिकाएं होती हैं। इन सभी तंत्रिकाओं का संबंध किसी-न-किसी प्रकार मस्तिष्क से अवश्य होता है। हमारी मानसिक स्थिति का प्रभाव हमारे नाखूनों और हाथ के अन्य भागों पर भी पड़ता है।

हाथ की तंत्रिकाओं का सीधा संबंध मस्तिष्क के साथ होने के कारण केवल नाखूनों को देखकर यह बताया जा सकता है कि व्यक्ति का चरित्र कैसा है? इन्हीं नाखूनों के आधार पर यह भी पता लगाया जा सकता है कि उस व्यक्ति में कौन-कौन से गुण-दोष और रोग हैं अथवा वह भविष्य में हृदय-विकार, क्षयरोग, पक्षाघात आदि जैसे कष्टसाध्य रोगों का शिकार होगा या नहीं?

विशेषज्ञों ने नाखूनों की बनावट, उनका रंग और उन पर निर्मित विभिन्न चिह्नों आदि की प्रामाणिकता के विषय में यह सिद्ध कर दिया है कि नाखून सही अर्थों में एक्स-रे हैं जो व्यक्ति के गुण-अवगुण और मन की भावनाओं को प्रकट कर देते हैं। हम जीवन में देखते हैं कि किन्हीं दो व्यक्तियों के नाखूनों की बनावट कभी एक जैसी नहीं होती। उनकी आकृति, उनके रंग और उन पर बने चिह्नों में सदा कुछ-न-कुछ अंतर रहता है। यही कारण है कि उनका स्वभाव, व्यक्तित्व, भाग्य आदि एक-दूसरे से बहुत कुछ भिन्न होते हैं। अत: मनुष्य के हाथों और नाखूनों का अध्ययन करके यह बताया जा सकता है कि भविष्य में उसका जीवन पथ क्या मोड़ लेगा।

नाखून की रचना और स्थिति

कलाई से लेकर अंगुलियों के अंतिम छोर तक के भाग को हाथ की संज्ञा दी गई है। मनुष्य के हाथों के पृष्ठ भाग की तरफ अंगुलियों और अंगूठे के प्रथम पर्व में नाखूनों का निर्माण करके प्रकृति ने उनके विभिन्न उद्देश्य निश्चित कर दिए हैं।

नाखूनों से मनुष्य के स्वभाव, मन की भावना और स्वास्थ्य के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। भिन्न-भिन्न प्रकार की नाखूनों की आकृति से भिन्न-भिन्न प्रकार के गुण-दोषों का पता चलता है। जैसे-लंबे और खुरदुरे नाखूनों वाले व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से उतने मजबूत नहीं होते जितने छोटे नाखूनों वाले होते हैं।

नाखून बनावट में कई प्रकार के होते हैं। जैसे-चपटे, दीर्घाकार, चौड़े चौकोर, संकरे, नीले, रक्तवर्ण, टेढ़े आदि, इन्हीं के आधार पर व्यक्ति के गुण-दोषों का विवेचन किया जाता है।

दीर्घाकार नाखून

जिन व्यक्तियों के नाखून लंबे और दीर्घाकार होते हैं और जिनकी अंगुलियां भी लंबी व नुकीली होती हैं, वे तीक्ष्ण बुद्धिवाले, विचारवान, ज्ञानी और रहस्यवाद के प्रति अभिमुख होते हैं। किंतु ऐसे व्यक्ति रुपया कमाने और धन एकत्रित करने में अक्षम होते हैं। इन्हें सांसारिक वस्तुओं से बहुत थोड़ा मोह होता है। ऐसे व्यक्ति अकेले और एकांत में बैठकर काम करना पसंद करते हैं। ये अच्छे पुरातत्वविद् तथा अतीन्द्र्रिय विद्याओं के जानकार हो सकते हैं।

चपटे नाखून

ऐसे व्यक्ति स्वतंत्रता प्रेमी होते हैं और उनमें आविष्कार करने की विशेष योग्यता होती है। इन लोगों में फुर्ती और जोश रहता है, किंतु साथ ही उत्तेजना भी। अगर इनकी उंगलियां लंबी तथा भरी-पूरी हों तो ऐसे व्यक्ति पुराने तौर-तरीकों पर चलना पसंद नहीं करते, बल्कि नये विचारों को कार्यान्वित करते हैं। लेकिन यदि नाखून जड़ की तरफ  से पहले अंगुली के अंदर धंसा हो तो व्यक्ति यक्ष्मा और कंठमाला का रोगी हो सकता है। यदि नाखून चपटे और मांस में गड़े हों, तो तंत्रिका संस्थान में विद्यमान विकार की सूचना देते हैं।

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चौकोर नाखून

चौकोर नाखून की लंबाई व चौड़ाई करीब-करीब बराबर होती है। उंगलियां भी अंत में प्राय: वर्गाकार होती हैं। सांसारिक दृष्टि से ऐसे नाखून वाले व्यक्ति सबसे ज्यादा व्यवहार-कुशल होते हैं। इनमें सामान्य ज्ञान की प्रबलता होती है और वे कठिन परिश्रम से अपना उद्देश्य व सफलता प्राप्त कर लेते हैं।

चौकोर आकृति वाले नाखून यदि छोटे और नीले रंग के हों तो हृदय की दुर्बलता दर्शाते हैं। अगर नाखून की जड़ में चंद्रमा जैसे चंद्र चिह्न अस्पष्ट और छोटे हों तो यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है। नाखून अगर मांस में धंसा हो और उन पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक रेखाएं खिंची हों तो ये किसी खतरनाक बीमारी की सूचना है।

नुकीले नाखून

इस प्रकार के नाखून जड़ की तरफ कुछ चौड़े, बाहर की ओर नुकीले या संकरे हो जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों की प्रकृति कलात्मक और भावुक होती है। ये लोग आराम-तलब, विलासी तथा आलसी होते हैं। ऐसे व्यक्ति चतुर, बुद्धिमान तो होते हैं, परंतु इनमें व्यापारिक बुद्धि नहीं होती। यदि हाथ भी दृढ़ और लचकदार हो तो ऐसे व्यक्ति स्वयं कलाकर बनते हैं। परंतु ऐसे नाखून संकरे के साथ छोटे भी हों तो रीढ़ की हड्डी की कमजोरी दर्शाते हैं। पतले और मुड़े हुए नाखून दुर्बल स्वास्थ्य और रीढ़ की हड्डी के टेढ़े होने के सूचक हैं।

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निम्न श्रेणी के नाखून

इस वर्ग के नाखून बहुत आसानी से पहचान में आ जाते हैं। ये सबसे निम्न कोटि के होते हैं। ये बनावट में बेढंगे, खुरदुरे-से होते हैं। हाथ चौड़ा, मोटा व भारी होता है परंतु उंगलियां और नाखून अपेक्षाकृत काफी छोटे होते हैं। ये छोटे और भद्दे नाखून मूर्खता के सूचक होते हैं। ये व्यक्ति के अंदर पाशविक प्रवृत्ति और कामवासना को जाहिर करते हैं। इस तरह के छोटे नाखून यदि ऊपर भाग में चौकोर और नीचे की तरफ नुकीले हों तो हृदय-विकार की सूचना देते हैं। यदि नाखून खुरदुरा हो तो धैर्य की कमी बतलाता है। ऐसे व्यक्ति नाड़ी या जिगर संबंधी बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। कई प्रकार की बिमारियों में भी नाखून खुरदुरे हो जाते हैं।

नाखून पर स्थित चिह्नों से अपनी बीमारी जानें

जब नाखूनों पर खड़ी रेखाएं हों तो ये स्नायु विकार और दुर्बलता को दर्शाते हैं। यदि आर-पार जानेवाला कोई गहरा गढ्डा दिखाई पड़े तो तंत्रिका संस्थान में विकार उत्पन्न समझना चाहिए। यह रोग कब से हुआ है, इसका पता लगाने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए। नाखूनों को मूल से लेकर अंतिम छोर तक बनने में नौ महीने लगते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि गढ्डा नाखून के पास है तो रोग ताजा है और बीच में है तो 3-4 माह पूर्व हुआ है। लेकिन अगर गढ्डा सिरे के निकट है तो रोग हुए आठ महीने बीत चुके हैं।

नाखून के एक या पूरे भाग पर बड़े सफेद धब्बे हों तो वे स्नायु-संबंधी बीमारी व शक्ति की कमी को दर्शाते हैं। अगर सफेद चिन्ह हों तो भी वे यही प्रभाव बताते हैं। जब संपूर्ण नाखून सफेद छींटों से भरे हों तो व्यक्ति को संपूर्ण तंत्रिका-संस्थान कमजोर होता है।

नाखूनों पर जड़ की तरफ चंद्र्र के चिह्न होते हैं। जब ये आकार में बड़े हो तो हृदय की सबलता समझनी चाहिए। लेकिन जब ये असाधारण रूप से बड़े हों तो हृदय की गति तेज होने की सूचना देते हैं। साथ ही हृदय और मस्तिष्क की किसी एक वाहिनी के फटने की आशंका व्यक्त करते हैं।

सीपीनुमा आकृति वाले नाखून यदि अत्यधिक छोटे तथा नीचे की ओर कम चौड़े या नुकीले हों तो इससे पक्षाघात का खतरा प्रकट होता है। यदि ऐसे नाखून सफेद या नीले रंग के हों और उन पर चंद्र का कोई चिह्न हो तो पक्षाघात की स्थिति खतरनाक होती है।

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नाखून का नीला या काला पड़ जाना

सारे नाखून यदि काले या नीले हो गए हों तो निकट भविष्य में ये मृत्यु की आशंका व्यक्त करते हैं। नाखून में नीला रंग खासकर मूलभाग में हो तो दुर्बल हृदय का चिह्नï है। नीले रंग के नाखून यदि गोल या लंबे हों तो हृदय-विकार तथा रक्त-संचार में होने वाले दोषों आदि को प्रदर्शित करते हैं। यदि इन नाखूनों पर उनके मूल से उठकर खड़ी धारियां ऊपर को जाती हों तो फेफड़ों और छाती में विकार होता है।

हाथ के पीछे की तरफ से परीक्षा करने पर नाखून का धरातल जब बाहर की ओर फैला हुआ मालूम हो तो व्यक्ति को गले या ऌफेफड़े के आस-पास की बीमारी होने का संभावना होती है।

गुलाबी नाखून

नाखून यदि गुलाबी रंग के हो तो अच्छे स्वास्थ्य और धनवृद्धि की ओर संकेत करते हैं। यदि सामान्य से अधिक रक्तिमा लिए हुए हों तो शक्ति और ताकत को प्रदर्शित करते हैं। परंतु नाखून के साथ हथेली भी बहुत ज्यादा लाल रंग की हो और उंगलियों का तीसरा पर्व मोटा और गद्देदार हो तो जातक को रक्तचाप की शिकायत का संकेत है।

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इस तरह इसमें रंचमात्र भी संदेह नहीं है कि जो रोग और मन की प्रवृत्तियां आगे चल कर विकट रूप धारण करती हैं अथवा उन्हें जन्म देती हैं, उनका संकेत हमें हमारे हाथ और नाखूनों से मिल जाता है। इन प्रवत्तियों या विकारों का संकेत मिलते ही यदि भविष्य में घटने वाली घटनाओं से काफी पहले से प्रयत्न किया जाए तो समय रहते इनको बदला जा सकता है। इस प्रकार नाखूनों द्वारा भविष्य में होने वाले रोगों और विकारों की सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा उसके प्रति सतर्कता बरतते हुए अपने जीवन में सुख के फूल खिला सकते है।

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