Cause Of Drop Feet- कई लोगों को सुबह के समय चलने में कठिनाई, तलवे को जमीन पर रखने में दर्द या पैर के अगले हिस्से को ऊपर उठाने में दर्द महसूस होता है। ये स्थिति सामान्य नहीं है। इस समस्या को ड्रॉप फीट से जोड़ा जा सकता है। इस अवस्था में पैर के पीछे का हिस्सा जमीन पर घिसट सकता है जिस वजह से आपके पैर ड्रॉप फीट की तरह दिखाई दे सकते हैं। हालांकि ये कोई बीमारी नहीं है लेकिन इस स्थिति में पैरों में काफी दर्द और चलने में परेशानी महसूस हो सकती है। ड्रॉप फीट होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे मांसपेशियों में ढीलापन, सेल्स डैमेज या किसी प्रकार की आंतरिक चोट आदि। ड्रॉप फीट की समस्या का सही उपचार किया जाना बेहद जरूरी है अन्यथा समस्या गंभीर होकर पैरों की नसों को डैमेज कर सकती है। तो चलिए जानते हैं ड्रॉप फीट की समस्या के कारण और उपचार के बारे में।
क्या है ड्रॉप फीट

ड्रॉप फीट को कई नामों से जाना जाता है जैसे स्लैप फुट, फ्लॉपी फुट, लेजी फुट सिंड्रोम, फॉल फुट और टो ड्रॉप। ड्रॉप फीट की समस्या होने पर पैर के अगले हिस्से या पैर की उंगलियों को उठाने में असमर्थता महसूस हो सकती है। इस स्थिति में चलना मुश्किल हो जाता है। यदि आप इसी पैटर्न पर चलते रहेंगे तो पैर की उंगलियां जमीन के साथ खिंच जाएंगी जिससे आप लड़खड़ा सकते हैं। इससे बचने के लिए ड्रॉप फीट सिंड्रोम वाले लोग स्टेपपेज चाल को अपनाते हैं।
क्या है ड्रॉप फीट के कारण
ड्रॉप फीट अपने आप में कोई बीमारी या स्थिति नहीं है। बल्कि ये किसी अंडरलेइंग समस्या का लक्षण हो सकता है। ड्रॉप फीट के संभावित कारण इस प्रकार हैं।
– पेरोनिअल नर्व इंजरी
– डायबिटीज
– एमायोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस
– मल्टीपल स्क्लेरोसिस
– सेरेब्रल पल्सी
– चारकोट मैरी टूथ डिजीज
– मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
– पोलियो
– पारकिनसंस डिजीज
– साइटिका पेन
– स्पाइनल कॉर्ड इंजरी
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क्या है ड्रॉप फीट का उपचार

फिजिकल थेरैपी
ड्रॉप फीट की समस्या होने पर पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज पर फोकस करना जरूरी है। इससे शरीर की मोबिलिटी में सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा फिजिकल एक्सरसाइज फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखने में भी मदद कर सकती है।
नर्व स्टीमुलेशन
नर्व स्टीमुलेशन कुछ लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है। इससे पैरों की नसों में प्रॉपर ब्लड सर्कुलेशन होता है और मांसपेशियां उत्तेजित होती हैं। ये आपके नर्वस सिस्टम के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।
वेट मेंटेन करें
नियमित एक्सरसाइज और बैलेंस डाइट को अपनाकर अपने वेट को मेंटेन करने का प्रयास करें। वेट अधिक होने पर पैरों की मांसपेशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे चलने में परेशानी या अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
लें एंटी-इंफ्लेमेटरी कोर्स
पैरों की मसल्स को रिलेक्स या रिपेयर करने के लिए एंटी-इंफ्लेमेटरी कोर्स लिया जा सकता है। इंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स लेने से दर्द को मैनेज करने और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
हॉट थेरैपी
पैरों की कमजोर मांसपेशियों को आराम देने और मजबूती प्रदान करने के लिए हॉट थेरैपी ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा सकता है। इस थेरैपी में आप हॉट बैग का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा हॉट टॉवेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
