Benefits Of Healthy Food: भोजन करने का एक उचित समय व नियम होता है। स्वस्थ रहने के लिए इनका पालन करना बेहद जरूरी है। आइये, जानते हैं क्या हैं वे नियम जो आपको निरोगी रख सकते हैं। मारा शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश पंच महाभूतों से निर्मित है और इन पांचों के द्वारा ही शारीरिक त्रिदोषों की उत्पत्ति भी होती है। वायु और आकाश से वात, अग्नि से पित्त तथा पृथ्वी और जल के योग से कफ की उत्पत्ति होती है। यही वात, पित्त, कफ (त्रिदोष) शरीर को स्थिर रखते हैं, लेकिन इनके विकृत होने पर शरीर में अनेक प्रकार की व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं।
युक्तायुक्त आहार, निद्रा और ब्रह्मïचर्य ये तीनों त्रिदोषों को समान रखते हुए शरीर को आरोग्यता प्रदान करते हैं। इसलिए इन्हें उपस्तंभ के रूप में माना जाता है। इन तीनों का सम्यक योग हमारे शरीर को आजीवन बल, वर्ण और पुष्टि देने वाला होता है। फिर भी इन तीनों में आहार ही प्रमुख है।
आहार की परिभाषा
जो द्रव्य मुख मार्ग द्वारा अन्न नलिका से होते हुए अमाशय में पहुंचता है, उसे आहार कहते हैं। यह सात धातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र) का निर्माण करके प्रतिदिन के विभिन्न कार्यों द्वारा उत्पन्न निर्बलता को पूरा भी करता है और शारीरिक शक्ति को बढ़ाकर प्राणी को जीवित भी रखता है।

आहार द्रव्य
प्रत्येक प्राणी का आहार देश, ऋतु, आयु एवं प्रकृति के अनुसार पृथक-पृथक होता है। इसलिए भोजन के द्रव्यों के विषय में कोई निश्चित नियम नहीं है।
आहार का समय
आहार ग्रहण करते समय हमें समय का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ व्यक्ति जब चाहे तब भोजन करने बैठ जाते हैं, वे स्वत: रोग को बुलावा देते हैं।
साधारणत: प्रात: काल और सायंकाल के समय ही भोजन के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। प्रात: काल से अभिप्राय है 10 से 12 बजे तक और सायंकाल से अभिप्राय है 6 से 8 बजे तक। इन दोनों समयों के बीच बार-बार ग्रहण किया गया भोजन अमाशय, आंतों और पाचकाग्नि की क्रिया को मंद करता है।
एक बार आहार ग्रहण करने के बाद कम से कम तीन घंटे का अंतर अवश्य रखना चाहिए, क्योंकि इस अवधि में आहार की पाचन क्रिया होती है। यदि इसी बीच में दूसरा आहार ग्रहण करें तो पहले किए गए आहार का कच्चा रस आहार के साथ मिलकर दोष उत्पन्न कर देगा।
भोजन के विषय में जानने योग्य बातें
- हमारा जीवन आहार पर निर्भर है और भोजन हम रोज करते हैं, लेकिन इस विषय में कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
- भोजन ताजा एवं साधारण गर्म होना चाहिए।
- अच्छी प्रकार से चबाकर खाना चाहिए।
- भोजन के बीच थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए।
- भूख लगने पर पानी न पीएं और प्यास लगने पर भोजन न करें।
- सुबह उठते ही एक ग्लास पानी पीएं।
- दोपहर में भोजन के बाद छाछ पीना चाहिए एवं रात को सोते समय दूध पीना सदैव हितकारी होता है। रात में लस्सी, छाछ, कांजी आदि नहीं पीनी चाहिए।
- भोजन में दूध और मछली का एक साथ सेवन न करें।
- शहद और घी को समान मात्रा में मिलाकर नहीं खाना चाहिए।
- दूध के साथ मूली, पुदीना, लहसुन का प्रयोग न करें।
- दूध के साथ हरा आंवला, नींबू, जामुन, इमली, कैथ और अमरूद न खाएं।
- भोजन के बाद तुरंत खेल-कूद आदि तथा किसी प्रकार के व्यायाम नहीं करने चाहिए।
- भोजन के तुरंत बाद सोना, संभोग, भार उठाना आदि हानिकारक है।
- समस्त प्राणियों में अन्न ही प्राण है, क्योंकि अन्न से ही प्राणी जीवित रहते हैं। शरीर, वर्ण, प्रसन्नता, स्वर का ठीक रहना, जीवन, प्रतिभा, सुख, संतोष, पुष्टता, बल, बुद्धि आदि सब कुछ अन्न पर ही आधारित है। अत: जीवन का मूल आधार आहार ही है।