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पॉपकॉर्न ब्रेन डिसऑर्डर का सबसे प्रमुख कारण है आपका ज्यादा स्क्रीन टाइम।पिछले कुछ सालों से इस टर्म को मानसिक सेहत से जोड़कर शोध किए जा रहे हैं।
Popcorn Brain Disease: डिजिटल दुनिया और आधुनिक लाइफस्टाइल ने लोगों को बहुत कुछ अच्छा दिया है, लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इन दोनों के कारण आपको कई परेशानियां भी सौगात में मिल गई हैं, इन्हीं में से एक है ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’। पिछले कुछ सालों से इस टर्म को मानसिक सेहत से जोड़कर शोध किए जा रहे हैं। भले ही नाम से ये आपको बहुत ही आम सी बात लगे, लेकिन असल में यह परेशानी आपके ब्रेन में केमिकल लोचा कर सकती है।
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जानिए क्या है पॉपकॉर्न ब्रेन

यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के इंफॉर्मेशन स्कूल के शोधकर्ता डेविड लेवी ने सबसे पहले पॉपकॉर्न ब्रेन की जानकारी दुनियाभर को दी थी। लेवी के अनुसार यह एक मनोवैज्ञानिक डिसऑर्डर है, जो डिजिटल दुनिया के कारण लोगों को होता है। इससे पीड़ित शख्स पर मल्टी टास्किंग हावी होने लगती है। ऐसे में वो किसी भी एक बात पर फोकस नहीं कर पाता और जल्दी-जल्दी अपने टारगेट बदलता है। जिसके कारण दिमाग रिलैक्स नहीं रह पाता है। एक के बाद एक वह नई इंफॉर्मेशन तलाशता रहता है। टीवी के चैनल एक के बाद एक बदलना, रील्स को लगातार स्क्रॉल करना, वीडियो के बीच में एड आने से परेशान होना आदि आपको भले ही सामान्य लगे, लेकिन ये पॉपकॉर्न ब्रेन के लक्षण हो सकते हैं।
डिसऑर्डर के कारणों को जानना है जरूरी
पॉपकॉर्न ब्रेन डिसऑर्डर का सबसे प्रमुख कारण है आपका ज्यादा स्क्रीन टाइम। शोध के अनुसार जब आप किसी भी स्क्रीन जैसे-लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी आदि के जरिए लगातार नई जानकारियां लेते रहते हैं तो इस प्रोसेस का दिमाग पर गहरा असर होता है। इससे आप में फोकस की कमी आती है। आप कोई भी एक काम पूरा करने से पहले दूसरा काम शुरू कर देते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की रिसर्च के अनुसार लोगों में स्थिरता कम हो रही है। साल 2004 तक टीवी देखने के दौरान लोग चैनल बदलने में करीब 2.5 मिनट का समय लेते थे। साल 2012 में यह समय घटकर सवा मिनट हो गया। चिंता की बात ये है कि आज यह समय कम होकर मात्र 47 सैकंड रह गया है। यानी टीवी या मोबाइल पर कुछ पसंद न आने पर लोग सिर्फ 47 सेकंड में ही उसे चेंज कर देते हैं। मिनटों से सेकंडों का यह बदलाव ही पॉपकॉर्न ब्रेन डिसऑर्डर का इशारा है।
पॉपकॉर्न ब्रेन के लक्षण पहचानें
पॉपकॉर्न ब्रेन के लक्षणों को समय पर पहचानना जरूरी है। इन लक्षणों के नजर आने पर आपको सचेत होने की भी जरूरत है।
— सब्र या धैर्य की कमी
— लगातार काम स्विच करना
— मेलजोल और बातचीत में कमी
— पढ़ने की आदत छूटना
— लगातार फोकस भटकना
— वीडियो के बीच एड देखकर गुस्सा आना
— लगातार कुछ न कुछ सोचने की आदत
— स्ट्रेस या डिप्रेशन होना
समय पर सचेत होना है जरूरी

1. सोशल मीडिया पर लगाएं लिमिट : पॉपकॉर्न ब्रेन डिसऑर्डर को दूर करने के लिए सोशल मीडिया से दूरी बनाएं। इसका सीमित यूज करें और एक टाइम सेट कर लें।
2. दिन का शेड्यूल बनाएं : अपने दिनभर का एक शेड्यूल बनाएं और उसी के अनुसार स्क्रीन टाइम यूज करें। इससे आपका काम पर फोकस बढ़ेगा।
3. पढ़ने की आदत डालें : किताबें, अखबार आदि पढ़ना पॉपकॉर्न ब्रेन डिसऑर्डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे आपका ज्ञान बढ़ेगा और दिमाग का भटकाव कम होगा।
4. करें माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस : योग और मेडिटेशन के माध्यम से आप इस डिसऑर्डर को दूर करने के साथ ही अपनी जिंदगी को स्ट्रेस फ्री कर सकते हैं।
5. डिजिटल डिटॉक्स : अगर संभव हो तो वीक में एक दिन स्क्रीन देखने से ब्रेक लें।
