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27 Year Women Heart Attack: मुंबई के माहिम इलाके में रहने वाली 27 साल की एक महिला की शादी अप्रैल महीने में हुई और बढ़िया दिन बीत रहे थे। लेकिन 2 जून की रात उसकी जिंदगी में एक डरावना मोड़ आ गया। इस रात उसे तेज एसिडिटी और सीने में तेज दर्द के बाद दिल का दौरा पड़ा। डॉक्टर्स का कहना है कि रात 2 बजे ईसीजी में हार्ट अटैक के लक्षण दिखे। टीओआई की एक खबर में डॉ. कौशल छत्रपति (सैफी हॉस्पिटल, चारनी रोड) बताते हैं कि कि 3 जून की सुबह उन्होंने उसकी ब्लॉक हुई आर्टरी  में स्टेंट डालकर खून का बहाव ठीक किया।

परिवार के लिए यह बहुत बड़ा झटका था क्योंकि लड़की की उम्र कम थी और आमतौर पर महिलाओं को उनके शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन हार्मोन की वजह से दिल की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। एस्ट्रोजन खून की नलियों को खुला रखता है और सूजन कम करता है। डॉ. छत्रपति ने बताया कि इस महिला के मामले में हार्ट अटैक की वजह संभवतः पीसीओएस (यह महिलाओं में होने वाला एक हार्मोनल विकार है, जो महिलाओं की प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करता है) के इलाज के लिए ली जा रही गर्भनिरोधक गोलियां थीं। महिला के पिता ने बताया कि उनकी बेटी को 10 साल से पीसीओएस था और वह पिछले 7 सालों से गर्भनिरोधक गोलियां ले रही थी।

डेनमार्क में हुई एक स्टडी (द बीएमजे मेडिकल जर्नल, फरवरी) में बताया गया कि एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन वाली कॉम्बिनेशन गर्भनिरोधक गोलियां हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा दोगुना कर देती हैं। इस स्टडी में अनुमान लगाया गया कि 4,760 महिलाओं में एक साल तक ऐसी गोली लेने पर एक अतिरिक्त स्ट्रोक और 10,000 महिलाओं में एक अतिरिक्त हार्ट अटैक हो सकता है। खासकर एस्ट्रोजन युक्त प्रोडक्ट्स जैसे कि वेजाइनल रिंग और स्किन पैच अधिक खतरनाक पाए गए।

गायनेकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि पीसीओएस वाली महिलाएं कई बार इन गोलियों की वजह से स्ट्रोक की शिकार होती हैं। 22 और 28 साल की महिलाओं में भी स्ट्रोक के ऐसे मामले देखे गए हैं। कई बार महिलाओं को अंडोत्सर्जन (ovulation) को दबाने के लिए यह गोलियां दी जाती हैं ताकि ओवरी में सिस्ट न बने।​​​​​​​ पीसीओएस के साथ अक्सर मोटापा और इंसुलिन रेसिस्टेंस भी होता है, जिससे शरीर में ब्लड फैट्स (डिस्लिपिडेमिया) बढ़ जाते हैं, जो दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। डॉक्टर्स ने यह भी बताया कि शहरी महिलाओं में तनाव ज़्यादा है और बचपन में मोटापा बढ़ रहा है, जिससे पीसीओएस के मामले भी बढ़ रहे हैं। आज शहरी भारत में हर 5 किशोर लड़कियों में से एक को पीसीओएस हो रहा है।

मुंबई के विले पार्ले के नानावटी हॉस्पिटल के डॉ. राजीव भगवत ने अखबार से कहा है कि गर्भनिरोधक गोलियां खून में थक्का बनने का खतरा बढ़ाती हैं इसलिए डॉक्टरों को गोली देने से पहले महिला का परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास ज़रूर देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि “परिवारिक इतिहास युवाओं में हार्ट अटैक का बड़ा कारण होता है”।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...