जोड़ों का दर्द महामारी का रूप लेता जा रहा है.बड़ी उम्र के लोग ही नहीं आजकल युवा भी इसके निशाने पर हैं. कारण है,मोटापा,वर्क लोड,विटामिन प्रोटीन,और कैलशियम की कमी,आहार-विहार की गड़बाड़ियाँ,मेनपॉज़ और बच्चेदानी निकलवाने के बाद एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी,बदलती क़्लाईमेट (सर्दी में अधिक सर्दी,गरमी में अधिक गरमी,वर्षा ऋतु) लेकिन सबसे अहम् है आपकी आदतें,जिनकी वजह से जोड़ों के दर्द की शुरुआत होती है-
1-मोटापा-आपके जोड़ों पर सबसे ज़्यादा मोटापे का असर होता है. प्रत्येक अतिरिक्त किलो,आपके जोड़ों पर दबाव डालता हैं जिससे आपके जोड़ो में चरमराहट ,जुड़ावऔर फिर दर्द की शुरुआत होने लगती है.
2-ज़रूरत से ज़्यादा टाइपिंग -बच्चे हों या बूढ़े.नींद खुली नहीं और मोबाइल पर टाइपिंग शुरू.वाटसप्प,फ़ेसबुक ,फ़ेस टाइम एक ऐसी लत है जिसने सभी को इस का आदी बना दिया है. इससे शरीर के ऊतक,प्रभावित होते हैं और आपके अंगूठे को मोड़ देते हैं.हर समय गर्दन झुकाने से गर्दन और कंधे भी दुखने लगते हैं,अगर आपकी गर्दन झुक कर आपके चिबुक को छूने लगती है तो ,समझ लीजिए आपकी गर्दन पाँच सर का बोझ उठा रही है.
3-ऊँची एड़ी की सैंडल-ऊँची एड़ी की सैंडल पहनकर आप जितनी भी स्मार्ट दिखें ,याद रखें ,आपके घुटनो को सीधा रखने के लिए आपके थाई मसल्ज़ को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी.यदि आप प्रतिदिन ऊँची एड़ी की सैंडल पहनती हैं तो ,निश्चित रूप से आप की अस्थियों की कुशनिंग धीरे धीरे ख़त्म होने लगती है और आप आर्थ्राइटिस की शिकार हो सकती हैं.
4-ग़लत जूतों का चयन-पुराने जूते आपके घुटनों,कूल्हों और पीठ को सपोर्ट देने के बजाय नुक़सान पहुँचा सकते है.बास्केट बॉल के लिए ऊँचे टॉप के जूते पहने,आपकी एड़ियों को मोच से बचाएँगे,इसी के साथ ज़रूरत से ज़्यादा सपोर्ट और आर्क से आपके तलवो को प्राकृतिक रूप से गतिशीलता प्राप्त नहीं होगी,जिससे आपको दर्द महसूस होगा.अत: सावधानी बरतें
5- जोड़ों( नकल्ज़)को चटकाना- ऐसा करने से आपको क्षणभर के लिए अच्छा लग सकता है लेकिन,आपके जोड़ों में उपस्थित चिकनाहट में छोटे छोटे बुलबुले से निकलने शुरू हो जाते हैं. हालाँकि ,इससे आर्थ्राइटिस नहीं हो सकता, लेकिन आपकी उँगलियों में सूजन आ सकती है और आपके हाथों की पकड़ कमज़ोर हो सकती है
6-सामान लटकाना-चाहे आपका पर्स हो ,बैकपेक या मेसेंजर पेक ज़्यादा समय तक लटकाने से आपके कंधों में दर्द हो सकता है. एक कंधे पर ज़्यादा सामान ,प्रतिदिन लटकाने से आपकी चाल ( वॉक)का संतुलन बिगड़ सकता है. निरंतर ऐसा करने से आपकी मांसपेशियाँ फैलने लगती हैं जिसका असर जोड़ों पर पड़ता है.
7-काम करने के लिए ग़लत माँसपेशियों का इस्तेमाल-अपनी छोटी सी माँसपेशियों पर अधिक दबाव डालने की क़ीमत आपके जोड़ों को चुकानी पड़ सकती है,यदि आपको भारी दरवाज़ा खोलना है तो ऊँगली का इस्तेमाल करने के बजाय कंधे का इस्तेमाल करें. कोई सामान उठाने के लिए अपने घुटने झुकाकर अपने मज़बूत टाँग से धक्का मारें
8-पेट के बल सोना-आपकी ये आदत आपको ख़ुर्राटों से तो राहत दिलवा सकती है लेकिन ,इससे आपकी गर्दन पीछे की ओर मुड़ जाएगी जिससे आपकी रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा.अपनी माँसपेशियों ,और जोड़ों को अतिरिक्त दबाव से बचाने के लिए पीठ के बल लेटिए.

9-स्ट्रेचिंग न करना-नियमित स्ट्रेचिंग आपकी माँसपेशियों और लिग़मेंट्स को मज़बूती प्रदान करती हैं,जिससे आपकी हड्डियाँ और जोड़ और उनके इर्द गिर्द रहने वाली मांसपेशियाँ मज़बूत और लचीली बननती हैं.
10-वर्ज़िश में लापरवाही बरतना-40की उम्र तक पहुँच कर,हड्डियाँ थोड़ी पतली हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं,इसलिए अपनी माँसपेशियों की मज़बूती के लिए प्रतिदिन ,वर्ज़िश ज़रूर करें.इससे न सिर्फ़ आपकी मांसपेशियाँ सुदृढ़ होंगी बल्किआपकी हड्डियां भी मज़बूत होंगी.दोनो मिलकर आपके जोड़ों को मज़बूत बनाएँगे.
सिगरेट और तम्बाकू का सेवन- यदि इन दोनों का त्याग कर दिया जाय तो आपके जोड़ मज़बूत होंगे. सिगरेट और तम्बाकू,दोनो आपकी हड्डियों और जोड़ों के कुशंस की तरफ़ होने वाले रक्त प्रवाह की गति को रोकते हैं और,आपके शरीर के एस्ट्रोजन होर्मोन्न के स्तर को भी घटाते हैं
11-नींद की कमी-एक अध्ययन के अनुसार आर्थराईटिज के रोगियों को नींद कम आती है क्योंकि ,कम सोने से,माँसपेशियों में सूजन बढ़ जाती है,जिससे जोड़ों में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है.इसलिए पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें
12-झुकना और कम काम करना–जब तक आप शरीर की क्षमता के अनुसार कामकरती रहती हैं ,शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है . लेकिन,जब गतिशील नहीं रहतीं और एक जगह बैठी रहती हैं तो आपकी माँसपेशियों और हड्डियों में तनाव बन जाता है. और जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है,बिल्क़ुल इस तरह जैसे, कार स्टार्ट न करने पर उसके ब्रेक जम जाते हैं. हमेशा अपनी पीठ को सीधा और कंधों को पीछे की ओर रखें.
13-दर्द की ओर ध्यान न देना-जब आप वर्ज़िश करते हैं तो शुरुआत में,माँसपेशियों और जोड़ों में दर्द ,सूजन का होना लाज़िमी है,लेकिन यदि अधिक समय तक दर्द या माँसपेशियों में सूजन रहे तो वर्ज़िश को कुछ समय तक विराम दें.यदि फिर भी राहत न मिले तो डौक्टर की सलाह लें.
14-ज़रूरत से ज़्यादा कम्प्यूटर पर बैठना-एक ही पौस्चर में ,लगातार अपनी कुर्सी पर बैठकर,कम्प्यूटर पर,काम करने से आपकी गर्दन,पीठ और कंधों पर अकड़न महसूस होने लगती है और आपके जोड़ों में दर्द बढते देर नहीं लगती.समस्या ग़लत पास्चर की नहीं है बल्कि दीर्घकाल तक बैठने की है. इससे आपकी माँसपेशियों पर भार बढ़ता है और पीठ की डिस्क भी प्रभावित होती है. यदि आप नर्म गद्देदार कुर्सी पर बैठती हैं तो समस्या और भी विकट हो सकती है
15-हर बार वो ही मोशन दोहराना- यदि आप टेनिस खेलते समय,दौड़ लगाते समय,एक ही मोशन बार बार दोहराते हैं तो ,आपकी माँसपेशियों में तोड़ फोड़ होते देर नहीं लगेगी नतीजन आपके जोड़ों में दर्द शुरू हो जाएगा.हो सकता है आपको चोट भी लग जाय
16-मस्कुलर डिसॉर्डर या वात रोग- ये माँसपेशियों के अलावा जोड़ो के दर्द का कारण बनता है.
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