जिस तरह हर अच्छे ऋतु का कोई बुरा पक्ष होता है, उसी तरह मानसून का भी बुरा पक्ष है। मानसून में शरीर की प्रतिरोधक क्षमताएं कम हो जाती हैं, जिससे मौसम से संबंधित कई बीमारियां शरीर पर हमला कर देती हैं। वर्षा के कारण मच्छरों का प्रजनन होता है। इससे मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां पैदा होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

मानसूनी रोगों के उपचार से पूर्व वर्षा ऋतु में आहार-विहार में सावधानी बरतना जरुरी हैं-

खान-पान पर अंकुश जरुरी

-इस मौसम में स्वस्थ रहना है, तो खानपान पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि मानसून में पाचनतंत्र का कमजोर होना आम बात है।

-अधिक मछली या मांस के सेवन से बचें।

-सब्जियां और फलों का सेवन ज्यादा करें।

-तले हुए सामानों से करें परहेज।

-खाद्य पदार्थ, जिसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे करी आदि न लें।

-बाहरी स्थानों पर सलाद से परहेज करें।

-बाजार के दुग्ध उत्पाद जैसे पनीर आदि के सेवन से बचें।

रखिए ध्यान

1:- मानसूनी मौसम में सीवरेज, ड्रेन और पानी आपूर्ति की पाइप में पानी का बहाव तेज होने और दबाव बढ़ने के कारण पानी रिसने लगता है। कई जगह पाइप भी टूट जाता है। इस तरह बारिश या सीवरेज का पानी जल आपूर्ति के पानी के साथ मिलकर उसे प्रदूषित कर देता है, जिससे हैजा, टायफाइड, दस्त, हेपेटाइटिस और पेट संबंधी बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।

2:- तापमान में आई अचानक गिरावट से सर्दी-जुकाम, निमोनिया, टॉन्सिलाइटिस के साथ-साथ एलार्जिक बीमारियों की आशंका होती है।

3:- मधुमेह के मरीजों को नंगे पांव चलने से बचना चाहिए। यदि पानी तथा कीचड़ से पैरों में संक्रमण की रहती है आशंका।

4:- दिन में सोने से बचें।

5:- अत्यधिक शारीरिक श्रम से करें तौबा।

मलेरिया

लक्षणः– मलेरिया सबसे खतरनाक बीमारी है। बार-बार नियमित अंतराल पर बुखार आना, सिर में दर्द और मितली होने के अलावा ठंड भी लगती है। रोगी की पेशियों में दर्द और कमजोरी का अनुभव होता है।

रोकथामः- चूंकि यह बीमारी मच्छरों से फैलती है, इसलिए मच्छरदानियों और रिपेलेंट का उपयोग मलेरिया रोकथाम में किया जाना चाहिए। इसके अलावा, घर के आसपास पानी एकत्र न होने दें क्योंकि ठहरा हुआ पानी मच्छरों के पनपने में सहायक होता है। नालियों में डीडीटी का छिड़काव करें। बीमारी के बारे में संदेह होने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लें।

हैजा

हैजा मानसूनी मौसम में ज्यादा तेजी से फैलता है। प्रदूषित खाद्य और जल इस बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण है। जहां स्वच्छता नहीं रहती, वहां यह बीमारी तेजी से फैलती है। पानी जैसा दस्त आना, हैजे का सामान्य लक्षण है। बीमारी में अत्यधिक वमन भी होते हैं जिससे शरीर में पानी की तेजी से कमी होती है और पेशियों में ऐंठन होने लगती है।

रोकथामः- बचने के लिए हैजे का टीका लेना बेहतर विकल्प होता है। बेहतर रोकथाम के लिए पेयजल को साफ रखें और पीने से पहले उबालें। अच्छा होगा साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। यद्यपि हैजे का उपचार आसानी से किया जा सकता है, किंतु लक्षणों की शुरुआत में उपेक्षा करने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। इस बीमारी की स्थिति में ओरल रिहाइडेशन (नमक-पानी का घोल) तत्काल दिया जाना चाहिए।

टायफायड

प्रदूषित भोजन और जल इस बीमारी का प्रमुख कारण है। बीमारी का बुरा पक्ष यह है कि टायफाइड का संक्रमण उपचार के बावजूद रोगी के पित्ताशय में रुक सकता है, जो रोगी के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। लंबे समय तक बुखार बीमारी का सबसे सामान्य लक्षण है। सिरदर्द और पेट में अधिक दर्द भी इस बीमारी के संकेत हैं।

रोकथामः- टायफाइड रोगियों को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रहना चाहिए, क्योंकि यह उच्च संचारी बीमारी है। पहले से टीका लेना इस बीमारी से बचने का आसान तरीका है। टायफाइड रोगियों को अत्यधिक सावधानी बरतने की जरुरत होती है क्योंकि दो सप्ताह तक यह बीमारी फिर से हमला कर सकती है। इसलिए इस बीमारी से मुक्ति मिलने के बाद परहेज और सावधानियां जरुरी हैं।

चिकनगुनिया और डेंगू

चिकनगुनिया और डेंगू का प्रसार देश में तेजी से हुआ है। ये मानसूनी बीमारी मच्छरों के काटने से होती है। दोनों बीमारियों के लक्षण करीब-करीब समान होते हैं। चिकनगुनिया में इन्फ्लुएंजा के लक्षण उभरते हैं और अचानक तेज बुखार आता है, जिसके साथ जोड़ों में दर्द होता है। पैरों और हाथों में सूजन, मसूढ़ों में रक्त बहाव का होना और त्वचा पर खराश, इसके अन्य लक्षण हैं। डेंगू के लक्षण सिरदर्द, ठंड और रीढ़ के नीचे दर्द होना है। इस बीमारी से शरीर का तापमान 104 डिग्री तक जा सकता है, जिससे हृदय गति और रक्तचाप मंद हो जाते हैं।

रोकथाम

इन दोनों बीमारियों से बचने का अच्छा उपाय यह है कि मच्छरों के काटने से बचें। इस रोग से बचने के लिए अभी कोई निरोधात्मक दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। घरों को मच्छरों से मुक्त रखना ही बेहतर विकल्प होता है।

ऐसे बचें मच्छरों से

1:- मच्छर प्रतिरोधकों का करें उपयोग।

2:- पूरी आस्तीनों वाली कमीज और पैंट पहनें।

3:- मच्छरों को बाहर रखने के लिए खिड़की-दरवाजों पर सुरक्षा जाली लगवाएं।

4:- गमलों, बाल्टियों और ड्रमों में भरा पानी हटा दें।

सावधानी बरतें मरीज

चिकनगुनिया और डेंगू बुखार से प्रभावित मरीजों को मच्छरों के काटने से बचना चाहिए। इस बीमारी के कीटाणु मच्छरों के जरिए दूसरों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे मरीजों को मच्छर प्रतिरोधक क्रीम का उपयोग करना चाहिए अथवा घर के अंदर मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।