कोलेस्ट्रॉल

बहुत से लोग हार्ट के लिए दवाएं लेते हैं परंतु वे उन दवाओं की पूरी जानकारी नहीं रखते जो बेहद आवश्यक है। यहां हम आपके हार्ट को सेफ रखने वाली उन दवाओं की पूरी जानकारी दे रहे हैं –

स्टेटिन

1. सिमवसस्टेटिन
2. रोसुवेस्टेटिन
3. एट्रोवैस्टेटिन

स्टेटिन दवाएं लोअर एलडीएल यानी बुरे कोलेस्टेरॉल के स्तर को 20 से 50 प्रतिशत तक नीचे ले आती हैं। ये दवाएं प्राकृतिक रूप की तुलना में रक्त से कोलेस्टेरॉल की अधिक मात्रा निकालने लगती हैं। कई मरीजों व डॉक्टरों को अक्सर चिंता रहती है कि इन दवाओं के सेवन से लिवर पर बुरा असर हो सकता है, हालांकि किसी भी मामले में ऐसा नहीं पाया गया जहां सिर्फ स्टेटिन को ही लिवर को नुकसान करने का दोषी पाया गया हो। कुछ मामले ऐसे अवश्य सामने आए हैं, जहां स्टेटिन दवाओं के कारण मसल्स को नुकसान हुआ और रोगी को अस्पताल में दाखि़ल करवाना पड़ा।

अगर आपको स्टेटिन लेने के बाद, अपने शरीर की मांसपेशियों में दर्द महसूस हो रहा हो और इसके साथ ही मूत्र का रंग भी चाय के रंग ही तरह हो जाए तो डॉक्टर से संपर्क करने में देर न करें। अगर मांसपेशियों में थोड़ी-बहुत बेचैनी हो तो अपनी दवा की खुराक घटा दें या डॉक्टर से पूछ कर स्टेटिन की दूसरी दवा लेना आरंभ कर दें।

एस्पिरिन

एस्पिरिन का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि हृदयरोगी के रक्त में थक्के न बनें। यह दवा प्रोसटाग्लैंडिंग्स की गतिविध्यिों पर रोक लगाती है, जिनके कारण रक्त में जमाव की प्रवृत्ति पाई जाती है।
अगर आप कोरोनरी हृदयरोगों से ग्रस्त हैं तो आपको एस्पिरिन लेनी चाहिए। अगर आपको पेट का अल्सर है तो इस दवा से दूर रहना ही ठीक होगा। बीमारी न होने की दशा में केवल बचाव के लिए, यह दवा लेने की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि इसके कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल तंत्रा तथा मस्तिष्क में रक्तस्राव की समस्या हो सकती है।

 

क्लापिडॉगरेल बाईसल्फेट

अगर इसे एस्पिरिन के साथ मिला कर लिया जाए तो यह सुपर एस्पिरिन का काम करती है और रक्त के थक्कों का जमाव नहीं होने देती। इसके कारण रोगियों में आंतरिक रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। कई रोगियों का मेटाबॉलिज्म इतना अच्छा नहीं होता कि वे इन दवाओं का पूरा लाभ ले सकें। इसकी जांच के लिए टेस्ट तो हैं परंतु आमतौर पर रोगी को यह दवा देने के बाद केवल यह देख कर ही नतीजा निकाला जाता है कि समय के साथ-साथ उसके साथ कोई परेशानी आ रही है या नहीं।

वारफारिन सोडियम

1. वारफारिन
2. एक्नोकोमारोल

हृदय में रक्त के थक्कों से बचाव के लिए इस दवा का प्रयोग किया जाता है। यह दवा विटामिन के की आपूर्ति पर रोक लगाती है – यह एक ऐसा पोषक तत्व है जिसे लिवर प्रोटीन बनाने के काम में लाता है जिसके कारण रक्त में थक्के बनते हैं। यह किसी भी दवा से कहीं अधिक शक्तिशाली दवा है। वारफारिन का प्रयोग अपने-आप में चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि यह कई दवाओं के साथ मिल कर, अलग-अलग तरह के प्रभाव उत्पन्न करती है, जिससे इसके लाभकारी प्रभाव घट या बढ़ सकते हैं। चूंकि विटामिन के हरी व पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है इसलिए आपकी डाइट में अचानक बदलाव आने से रक्त बहुत पतला भी हो सकता है। यदि आप वारफारिन ले रहे हैं तो नियमित समय पर रक्त की जांच करवाते रहना होगा ताकि आपको वर्तमान दशा का अनुमान हो सके।

बीटा ब्लॉकर्स

1. एटनोलोल
2. कारवेडीलोल
3. मेटोप्रोलोल

बीटा ब्लॉकर्स हार्ट रेट घटाते हैं और संकुचन को शक्ति प्रदान करते हैं। एंजाइना, असमान हार्ट रिदम तथा हार्टअटैक के बाद हार्ट की देखरेख या हार्ट अटैक से बचाव के लिए रोगियों को ये दवाएं लेने की सलाह दी जाती है।
हार्ट कंडीशन न हो, केवल हाई ब्लडप्रेशर होने पर भी बीटा ब्लॉकर्स लेने की सलाह दी जाती थी, परंतु अब हमारे पास हाई ब्लडप्रेशर से बचाव के लिए और बहुत सी बेहतर दवाएं उपलब्ध् हैं इसलिए इन्हें लेना अनिवार्य नहीं रहा। बीटा ब्लॉकर्स कई बार हार्ट रेट को इतना कम कर देते हैं कि इनके कारण उनींदेपन या ब्लडप्रेशर कम होने की शिकायत हो सकती है। ये कई बार ब्लड-ब्रेन बैरियर भी पार कर जाते हैं, जिसके कारण व्यक्ति अवसाद का शिकार हो सकता है। बीटा ब्लॉकर्स के साथ एक सीमा यह भी है कि दमा या फेफड़ों के रोगी इनका प्रयोग नहीं कर सकते क्योंकि ये दवाएं वायुमार्ग को संकुचित कर देती हैं।

एस इन्हिबटर्स

1. रैमीप्रिल
2. पैरिनडॉपरिल
3. एनलप्रिल

ये दवाएं शरीर में एंजियोटेंसिन नामक हारमोन के उत्पादन को रोकती हैं जिसके कारण धमनियों में जमाव होता है। पहले ये दवाएं ब्लडप्रेशर घटाने के लिए ली जाती थीं। आजकल कार्डियोलॉजिस्ट उन रोगियों को भी भविष्य में हार्ट अटैक से बचाव के लिए इन्हें लेने की सलाह देते हैं जो पहले ही कंजेस्टिव हार्ट फेलियर या हार्ट अटैक से ग्रस्त हो चुके हों।

अगर एस इन्हिबटर्स को अकेला ही लिया जाए तो ब्लडप्रेशर पर इतना असर नहीं होता परंतु यदि इन्हें किसी डायरेटिक यानी हाई ब्लडप्रेशर का उपचार करने वाली दवा के साथ मिला कर लिया जाए तो ब्लडप्रेशर को अधिक मात्रा में घटा सकती हैं। वैसे तो बहुत से रोगी इनका सफल उपयोग करते आ रहे हैं परंतु कभी-कभी इनके कारण कुछ शिकायतें भी हो सकती हैं, जैसे रक्त में पोटेशियम का स्तर बढ़ना, किडनी का सही काम करना या एंजियोएंडीमा आदि होना। जब ये दवा लेनी बंद की जाती हैं तो ये प्रभाव अपने-आप ही समाप्त हो जाते हैं। इन दवाओं की बुनियादी जानकारी हार्ट के रोगियों के लिए उनके डॉक्टर के साथ मिल कर, उनकी शारीरिक अवस्था व मेडिकल इतिहास के अनुसार दवा चुनने में सहायक होगी।