वस्तुत: हरा धनिया बहुत सारे पोषक तत्त्वों से युक्त पौधा है। विटामिन’ए’का तो एक तरह से यह खजाना ही है,जिसके कारण नेत्र-रोगों तथा दृष्टि-दोष संबंधी रोगों में यह बहुत उपयोगी है। आधुनिक वैज्ञानिक खोजें बताती हैं कि कच्चे हरे धनिये के इस्तेमाल से शरीर में कैंसर जैसे रोग के विरुद्ध प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।

हरा धनिया लाभदायक एवं पोषक तत्त्वों से भरपूर है। विटामिन’ए’के अतिरिक्त इसमें विटामिन-‘बी’ ‘कॉम्पलेक्स’और विटामिन’सी’भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

हरे धनिये को हमेशा कच्चा ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। धनिये की पत्तियों को सब्जियों के साथ पका देने से उनके कई पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।

औषधीय गुण

आप यह न समझें कि हरे धनिये का इस्तेमाल केवल भोजन की महक बढ़ाने या स्वादिष्ट चटनी बनाने तक ही सीमित है। इसकी छोटी-छोटी महकती हरी पत्तियों में कई औषधीय गुण छुपे हुए हैं,बल्कि कहना चाहिए कि हरा धनिया अपने आप में एक छोटा-मोटा घरेलू चिकित्सक है। आइए हम कुछ हरे धनिये के चमत्कारी उपचारों के बारे में जानें।

  • अनिद्रा की शिकायत होने पर हरा धनिया पीसकर उसमें शक्कर और पानी मिलाकर नियमित रूप से सेवन करें। इससे चक्कर आना,आंखों के आगे अंधेरा छाना और सिर दर्द में भी राहत मिलती है।
  • नकसीर (नाक से खून बहना) में हरा धनिया रामबाण इलाज करता है। धनिये की पत्तियां पीसकर सिर पर मलने और धनिये का रस सुंघाने से नकसीर रुक जाती है। रात-भर धनिये को पानी में भिगो कर सुबह मिश्री के साथ सेवन करने से भी नकसीर में लाभ होता है।
  • भोजन से अरुचि होने पर प्रतिदिन हरे धनिये का करीब25ग्राम रस पीएं,इससे भूख लगने की बीमारी दूर होती है। पेशाब में जलन होने पर हरे धनिये का शर्बत बनाकर सेवन करें।
  • अधिक गर्मी के कारण होने वाले सिर दर्द में आप हरे धनिये का चार बूंद रस माथे पर मलें। इससे गर्मी दूर होकर शीतलता प्राप्त होगी। सिर के बाल झड़ने अर्थात् गंजेपन के रोग में हरे धनिये के रस से प्रभावित स्थान पर मालिश करें,इससे गंजे सिर पर बाल उग आने की संभावना रहती है।
  • मुंह में छाले हो जाने पर हरे धनिये की पत्तियों को साफ धोकर चबाएं,इससे छाले शीघ्र ठीक हो जाते हैं। हरे धनिये के रस में तिल्ली का तेल मिलाकर मालिश करने से सिर दर्द,हाथ-पैर की जलन और लू की जलन नष्ट होकर मस्तिष्क को शीतलता मिलती है। हरे धनिए को आंवले के साथ पीसकर खाने से नेत्र-ज्योति में अभिवृद्धि होती है। हरा धनिया,काला नमक और काली मिर्च को मिलाकर चटनी बनाएं। इसके सेवन से दस्त और कब्ज की शिकायत दूर होती है।
  • हरे धनिये के रस,गुलाब जल और बेसन को मिलाकर कंठमाला पर लेप करने से राहत मिलती है। मधुमक्खी या बर्रे के काटने पर हरे धनिए का रस और सिरका मिलाकर काटे हुए स्थान पर लगाएं। तुरंत आराम मिलेगा।
  • धनिये की पत्तियों का लेप करने से फोड़े की सूजन कम हो जाती है। शरीर पर पित्ती होने पर धनिये की पत्तियों के रस में रोगन गुल व शहद मिलाकर लेप करने से लाभ होता है।
  • धनिया की चटनी भी स्वादिष्ट बनती है। वजन बढ़ने की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति टोस्ट या डबलरोटी पर मक्खन के स्थान पर धनिये की चटनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे नाश्ता तो स्वादिष्ट होगा ही,साथ ही आप अतिरिक्त कैलोरीज से भी बच सकेंगे। चटनी को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए काला नमक,काली मिर्च,सेंधा नमक,नींबू के रस आदि का भी उपयोग कर सकते हैं। किंतु जो व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं,वह चटनी में अत्यंत अल्प मात्रा में नमक का इस्तेमाल करें,क्योंकि अधिक नमक से रक्तचाप बढ़ने का खतरा रहता है।
  • यूं तो हरा धनिया सैकड़ों प्रकार के रोगों और तकलीफों में मुफीद उपचार उपलब्ध करवाता है,लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जो व्यक्ति यौन-शक्ति दौर्बल्य से पीड़ित हैं,उन्हें धनिये का इस्तेमाल कम करना चाहिए।

यह भी पढ़ें

भावनाएं और हमारा दिल