फूड पॉयजनिंग या किसी तरह का इंफेक्शन होने पर सबसे पहला शब्द हमारे दिमाग में यही आता है कि जरूर बाहर का कुछ खाया होगा, पर यह धारणा मिथ्य है। फूड पॉयजनिंग या इंफेक्शन के शिकार आप घर के खाने से भी हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि घर में जो खाना आप बना रही हैं, वे साफ है। वो कैसे, अब शायद आपके मन में यही सवाल उठ रहा होगा कि मैं तो सब्जी अच्छे से धोकर बनाती हूं और किचन का पूरा ध्यान रखती हूं, तो फिर फूड पॉयजनिंग का सवाल ही नहीं उठता। पर सच्चाई तो ये है कि किचन में होने वाली कई ऐसी छोटीछोटी गलतियां हैं, जिसका भुगतान हमें और हमारे अपनों को करना पड़ता है। किचन की साफ- सफाई नियमित रूप से आवश्यक है। किचन में हाइजीन को बरकरार रखने के लिए जरूरी है कि आप किचन के कुछ रूल्स को फॉलो करें।

कहां होते हैं ज्यादा बैक्टीरिया
क्या आपको पता है कि सबसे ज्यादा बैक्टीरिया कहां पाए जाते हैं? ऐसी कई जगह हैं जहां अधिकतर महिलाओं का ध्यान भी नहीं जाता है। फ्रिज के हैंडल में सबसे ज्यादा कीटाणु पाए जाते हैं। वो कैसे आइए जानते हैं, जैसे कि आप आलू काट रही हैं और आपको टमाटर की जरूरत है। तो उसी हाथ से फ्रिज खोलकर आपने टमाटर निकाल लिया। कच्ची सब्जियों में भी कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। अधिकतर महिलाएं खाना-बनाने के दौरान जरूरत के सामान को निकालने के लिए फ्रिज उसी हाथ से खोल लेती हैं। जिसकी वजह से बैक्टीरिया का आदान-प्रदान होता है। इसके अलावा ग्राइंडर, माइक्रोवेव और स्विच बोर्ड में भी बैक्टीरिया छुपे होते हैं।

किचन हाइजीन के रूल्स

रूल न.1-किचन हाइजीन का सबसे पहला रूल यह कहता है कि किचन में प्रवेश करते ही और कुछ भी बनाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से जरूर धोएं या सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें। 

रूल न.2-अक्सर महिलाएं सब्जी काटने के बाद चाकू बिना धोए रख देती हैं। फिर दोबारा उसी चाकू का इस्तेमाल कुछ समय के बाद भी बिना धोए करती हैं। सब्जी और फल आदि काटने के बाद यदि चाकू को धोया न जाए तो उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। जिनकी संख्या प्रति घंटे दोगुनी होती जाती है। 

रूल न.3-कच्चे मांस में खासतौर पर लाल मीट में सबसे ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। सी फूड में विवरियोब्रियो नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, खासतौर पर ऑयस्टर में। इसलिए जरूरी है कि आप वेज और नॉनवेज दोनों के लिए अलग-अलग चॉपर बोर्ड का इस्तेमाल करें। इस्तेमाल करने के बाद उसे तुरंत धो कर रखें, ताकि बैक्टीरिया अन्य खाद्य पदार्थों तक न पहुंचें।

रूल न.4-अधिकतर भारतीय रसोई में चिमनी की जगह एग्जॉस्ट फैन लगे होते हैं, जिसकी वजह से धुंआ पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता है। दीवारों में काले निशान पडऩे लगते हैं और धीरे-धीरे उनमें कीड़े-मकोड़े पनपने लगते हैं। किचन में वैंटीलेशन का कोई माध्यम जरूर रखें और दीवारों को भी नियमित रूप से साफ करें।

रूल न.5- एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय महिलाएं गैस चूल्हा और किचन के स्लैब को साफ करने के लिए जिस कपड़े का इस्तेमाल करती हैं उसमें जमे दाग-धब्बे आसानी से साफ नहीं होते। धीरेधीरे उनमें बैक्टीरिया जन्म लेने लगते हैं। हो सके तो आप कपड़े की जगह यूज एंड थ्रो वाइप्स का इस्तेमाल करें। स्लैब पर गिरे खाद्यपदार्थों को सूखने न दें। उसे तुरंत टिशू पेपर से साफ करें।

रूल न.5- यदि आप कामकाजी महिला हैं और किचन में ज्यादा समय नहीं दे पाती हैं, तो 5 से 6 महीने में एक बार किचन में पैस्ट कंट्रोल जरूर करवाएं। 

रूल न.6-रात को सोते समय स्लैब गंदा न छोडें। इससे कॉकरोचों को आमंत्रण मिलेगा।

रूल न.7-कूड़ेदान बैक्टीरिया का सबसे बड़ा स्रोत है। इसलिए अपने घर का कूड़ादान हमेशा साफ रखें। घर और रसोई दोनों के लिए अलग-अलग कूड़ेदान रखें। कूड़ेदान में हमेशा पॉलीथीन लगा कर रखें। इससे आपको कूड़ा फेंकने में भी सुविधा होगी।

रूल न.8-सिंक की सफाई नियमित रूप से आवश्यक है। सिंक में ग्रीज़ न जमने दें। ध्यान रखें कि सिंक में कोई खाद्यपदार्थ न रह जाए।

रूल न.9-रात को सिंक में फिनायल डालें ताकि वहां कीटाणुओं का वास न हो। 

रूल न.10-किचन को हाइजीनिक बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप बर्तनों को धोकर सिंक के पास न छोड़ें। उसे तुरंत रैक पर लगाएं। इससे बर्तनों में से बदबू भी नहीं आएगी।

रूल न.11-आपकी पहली कोशिश यही होनी चाहिए कि किचन में कीड़े-मकौड़े का वास न हो। कीड़े-मकोड़ों की सफाई के लिए अगर आप हिट जैसे कीटनाशक पदार्थों का इस्तेमाल कर रही हैं तो ध्यान रखें कि वो किसी भी खाद्यपदार्थ पर न पड़े। इसके इस्तेमाल से पहले खाद्यपदार्थों को किचन से बाहर कर दें।