पारंपरिक अनाजों से सजाएं खाने की थाली: Traditional Grains
Traditional Grains

Traditional Grains: मुझे इस बात की खुशी है कि ब्रेस्ट कैंसर कंट्रोवर्सी ने हमें बुरी तरह झकझोर दिया। यह सिर्फ इसलिए नहीं कि यह कैंसर से जुड़े डरावने संबंध के कारण है, बल्कि इसलिए कि इसने हममें से कई लोगों को उन अनाजों पर थोड़ा और करीब से नजर डालने के लिए प्रेरित किया है जो हम दिन-ब-दिन खा रहे हैं। अमूमन हम अपने प्रोटीन को लेकर अधिक सजग होते हैं और डाइट में डेयरी, मीट, सोया, फलियां, बीन्स आदि को चुनते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे दैनिक मेनू में जगह पाने वाले अनाज आमतौर पर बहुत सीमित होते हैं- ब्रेड, गेंहू की रोटी या फिर बार-बार चावल ही खाते हैं। अधिक सुविधाजनक होने के कारण वास्तव में इन्होंने हमारे जीवन पर कब्जा कर लिया है जबकि वास्तविकता में, सेहत का बेहतर तरीके से ख्याल रखने और अधिकतम अच्छाई प्राप्त करने के लिए हमें सभी अनाजों को बारी-बारी से खाना चाहिए।

शायद अब जो पुराना है उसे फिर से नया बनाने का समय आ गया है और सचेत रूप से हमें उन सभी पुराने अनाजों को फिर से खाना शुरू कर देना चाहिए, जिन्हें हमने आजकल त्याग दिया है। आरंभ करने के लिए आइए लक्ष्य रखें कि हर दिन हमारा आधा अनाज साबुत (और अलग) हो। यह उतना कठिन नहीं है। एक अच्छी बात यह है कि इनमें से कुछ अब भूले हुए अनाज रेस्तरां द्वारा अपनाए जा रहे हैं और अचानक सुपरमार्केट में भी व्यापक रूप से उपलब्ध हैं। क्विनोआ, टेफ, ऐमारैंथ, स्पेल्ट, जौ, कामुत, रागी, फारो, अब आपके पास चुनने के लिए बहुत कुछ है।

Also read: स्फूर्तिदायक है अनाज से बना आटा: Grain Flour

आपको इन अनाजों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए-

Traditional Grains
Traditional Grains

अमरांथ: इसके बेहतरीन टेस्ट के लिए इसे जरूर खाएं। इससे जुड़ा एक फैक्ट यह है कि यह कंप्लीट प्रोटीन का एक बेहतरीन सोर्स है, इसमें लाइसिन और मेथिओनिन सहित सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं, जिनकी आमतौर पर शाकाहारी प्रोटीन स्रोतों में कमी होती है। साथ ही इसका कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स इसे मधुमेह रोगियों और वजन कम करने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए भी बहुत अच्छा ऑप्शन बनाता है। यह ग्लूटेन-फ्री भी है। इसमें कुछ पेप्टाइड्स (वही जो सोयाबीन में पाए जाते हैं) होते हैं जिनमें कैंसररोधी और सूजनरोधी गुण होते हैं। यह अनाजों में आयरन और विटामिन-ई का सबसे समृद्ध स्रोत है, इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक है और यह एक ऐसा अनाज है जिसमें कुछ हद तक विटामिन सी भी होता है। आमतौर पर, अनाजों में विटामिन सी नहीं पाया जाता है। इसकी एक सबसे अच्छी बात यह है कि पकाने के बाद भी इसका कुरकुरापन कम नहीं होता है और यह एक बेहतरीन ब्रेकफास्ट मील बनता है।

जौ: यह सबसे पुराना अनाज है, जो रेसिस्टेंट स्टार्च (आरएस) का एक शानदार स्रोत है। आरएस एक प्रकार का फाइबर है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। यह ओट्स फाइबर से भी अधिक है। हाल के शोध से संकेत मिलता है कि यह ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने में भी मदद कर सकता है। साथ ही यह आपको अच्छी मात्रा में कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन बी और सी प्रदान करता है। यह ब्लड प्रेशर को स्टेबलाइज करके हार्ट फंक्शन को बनाए रखने में भी मदद करता है। आरएस एक तरह से सॉल्यूबल और फरमेंटेड फाइबर की तरह काम करता है, जिसके कारण यह गुड बैक्टीरिया को भी बढ़ावा देता है, जिससे हमारे गट हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है। इसलिए नियमित रूप से सूप और सलाद में आप जौ को जरूर शामिल करें या फिर इसे साइड डिश के रूप में पकाएं। आप इसे स्टर फ्राई भी कर सकते हैं, जहां आप जौ को चिकन के टुकड़ों और ढेर सारे लहसुन और पसंदीदा सॉस के साथ मिक्स करके तैयार कर सकते हैं।

कुट्टी: जापानियों द्वारा अपने सोबा नूडल्स के रूप में लोकप्रिय बनाया गया यह अनाज बहुत ही उपयोगी है। कई अन्य लाभों के अलावा, यह एकमात्र अनाज है जिसमें रुटिन नामक एंटीऑक्सीडेंट काफी अच्छी मात्रा में होता है। यह ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को ब्लड वेसल्स को ब्लॉक करने से रोकता है।

रागी: इस अनाज को आमतौर पर कम आंका जाता है, लेकिन वास्तव में यह भी बहुत अधिक फायदेमंद है। यह सेलूलोज से भरपूर होता है, एक प्रकार का आहार फाइबर जो हमारे पाचन को दुरुस्त रखने, कब्ज दूर करने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह कैल्शियम और आयरन का भी एक बहुत अच्छा स्रोत है और इसका मुख्य प्रोटीन अंश एल्यूसिनिन है, जिसकी बॉयोलॉजिकल वैल्यू काफी अधिक है। जिसका अर्थ है कि यह आसानी से अवशोषित हो जाता है।