Aandhi Movie Controversy

फिल्म आंधी पर क्यों लगा था प्रतिबंध?, सिनेमाघरों में पहुंचने में लगे कई साल

गुलजार की बहुचर्चित फिल्म आंधी के पचास साल हो गए हैं। यह 13 फरवरी,1975 को रिलीज हुई थी। सदाबहार क्लासिक फिल्म 'आंधी' पॉलीटिकल-लव स्टोरी थी।इस फिल्म को काफी विवादों का सामना करना पड़ा था।

Aandhi Movie Controversy: गुलजार की बहुचर्चित फिल्म आंधी के पचास साल हो गए हैं। यह 13 फरवरी,1975 को रिलीज हुई थी। सदाबहार क्लासिक फिल्म ‘आंधी’ पॉलीटिकल-लव स्टोरी थी।इस फिल्म को काफी विवादों का सामना करना पड़ा था। इस फिल्म पर आपातकाल के दौरान प्रतिबंध भी लगा था।पिछले पांच दशक से सुर्खियों में रही इस फिल्म से जुड़े कुछ खास बातें हैं जिन्हें बहुत ही कम लोग जानते होंगे।फिल्म आंधी यह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कहानी है और इसी वजह से इस फिल्म पर आपातकाल के दौरान प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन ये बात कितनी सच है और झूठ है इसके बारे आगे पता चलेगा। उससे पहले यह जान लेना बेहद जरूरी है कि जब यह फिल्म बनी उस समय देश में सामाजिक और सियासी हालात कैसे थे? क्योंकि आंधी हिन्दी की पहली ऐसी फिल्म थी। जिसमें एक महिला नेता मुख्य किरदार थीं।

दरअसल, यह कहानी बहुत ही दिलचस्प है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि सत्तर के दशक तक आते-आते भारतीय राजनीति का चेहरा कितना बदल गया था।प्रेस को भी सत्ता अपनी उंगलियों पर नचा रही थी।मनमाफिक सामग्रियां प्रकाशित करवाई जा रही थीं। सत्ता की राजनीति जो हमेशा से पुरुष प्रधान रही है, वहां आंधी में एक महिला किरदार का सक्रिय राजनीति में उतरना और उसे शीर्ष पर जाना उसके ईर्द-गिर्द के किरदारों को रास नहीं आ रहा था।

यह कहानी तत्कालीन हुकूमत के लिए मानो आईना थी।फिल्म में आरती देवी का किरदार निभा रहीं सुचित्रा सेन की ड्रेस और हेयर डिजाइनिंग, उनके तेज़ कदम चलने के अंदाज और मंच से भाषण करने के हाव-भाव की तस्वीरों ने तत्कालीन सत्ताधारी नेताओं का दिल दहला दिया था।बाद में एक इंटरव्यू में सुचित्रा सेन ने कहा भी था कि उनको वह किरदार निभाने से पहले इंदिरा गांधी के कई सारे वीडियोज दिखाए गए थे और उनकी शैली को अपनाने का कहा गया था।

Aandhi Movie Controversy
What was the reason behind the ban on the film

फिल्म को रिलीज होने के 26 हफ्ते बाद बैन कर दिया गया था।इसका कारण था आरती देवी को शराब पीते और धूम्रपान करते दिखाना। ऐसा माना जा रहा था कि ऐसा दिखाने से इंदिरा गांधी और कांग्रेस की छवि खराब हो सकती है। हालांकि गोवा के पूर्व सीईओ और फिल्म मेकर मनोज श्रीवास्तव कहते है कि, ‘इस फिल्म के पीछे कोई राजनीति नहीं थी’।

नई सरकार जनता पार्टी के चुने जाने और आपातकाल हटने के बाद इस फिल्म को फिर से सिनेमाघरों में रिलीज किया गया। फिल्म ने अपनी शानदार स्टोरी, जबरदस्त एक्टिंग और आर डी बर्मन के म्यूजिक साथ ही ‘तेरे बिना जिंदगी से शिकवा’, ‘इस मोड़ से जाते हैं’ और ‘तुम आ गए हो’ जैसे गानों के अच्छे कलेक्शन के चलते खूब चर्चा बटोरी और इसने बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार प्रदर्शन किया। विवाद के दौरान गुलजार ने इंदिरा गांधी के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया। लेकिन 1977 में जब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय चुनाव हार गईं और जनता पार्टी सत्ता में आई।तभी उन्होंने स्वीकार किया और कहा, ‘हां, फिल्म इंदिरा गांधी को ध्यान में रखकर बनाई गई थी’।

मेरा नाम नमिता दीक्षित है। मैं एक पत्रकार हूँ और मुझे कंटेंट राइटिंग में 3 साल का अनुभव है। मुझे एंकरिंग का भी कुछ अनुभव है। वैसे तो मैं हर विषय पर कंटेंट लिख सकती हूँ लेकिन मुझे बॉलीवुड और लाइफ़स्टाइल के बारे में लिखना ज़्यादा पसंद...