Overview: क्या था किशोर कुमार और सरकार के बीच का विवाद?
किशोर कुमार को आपातकाल के दौरान सरकार ने बैन कर दिया था क्योंकि उन्होंने सरकारी कार्यक्रमों में गाने से इनकार कर दिया था। 2600+ गाने गाने वाले इस महान गायक पर यह प्रतिबंध आकाशवाणी और दूरदर्शन पर लगा था, जिसे शाह कमीशन ने गलत ठहराया था।
भारत के संगीत जगत में किशोर कुमार एक ऐसा नाम है जिनकी आवाज़ आज भी लाखों दिलों पर राज करती है. उनकी गायकी में एक जादू था, एक ऐसी ऊर्जा जो सीधे श्रोताओं के दिल में उतर जाती थी. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इस महान गायक की आवाज़ को सरकारी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा. यह घटना 1975 में लगे आपातकाल के दौरान की है, जब तत्कालीन सरकार ने उनके गाने रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित करने से रोक दिया था. यह सिर्फ एक कलाकार पर लगाया गया प्रतिबंध नहीं था, बल्कि कला और सत्ता के बीच टकराव और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ी बहस का प्रतीक बन गयाl
प्रतिबंध की पृष्ठभूमि: एक सरकारी अनुरोध और अडिग इनकार
आपातकाल के दौरान तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्या चरण शुक्ल ने कलाकारों से सरकार के कार्यक्रमों का समर्थन करने और कांग्रेस पार्टी की रैलियों में प्रदर्शन करने का आग्रह किया. कई कलाकार सरकारी दबाव के आगे झुक गए थे, लेकिन किशोर कुमार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उन्हें सरकार की एक रैली में गाने का प्रस्ताव मिला था, जिसे उन्होंने सीधे तौर पर ठुकरा दिया. किशोर कुमार अपनी शर्तों पर काम करने वाले कलाकार थे, और उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल के प्रचार का हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया. उनका यह इनकार, जिसे सरकार ने अपनी अवज्ञा के रूप में देखा, उनके करियर पर भारी पड़ा.
आपातकाल और सरकारी दबाव
भारत में 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी, जो 21 मार्च 1977 तक चला। इस दौरान सरकार ने अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया, जिसमें बॉलीवुड हस्तियां भी शामिल थीं। सरकार चाहती थी कि फिल्मी सितारे उसके 20 सूत्री कार्यक्रम (Prime Minister’s Twenty-Point Programme) और कांग्रेस की रैलियों का समर्थन करें और उनका प्रचार करें।
किशोर कुमार का इनकार
इसी क्रम में, तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्या चरण शुक्ल ने किशोर कुमार से सरकारी कार्यक्रमों और कांग्रेस की एक रैली में गाने का अनुरोध किया। संजय गांधी (इंदिरा गांधी के पुत्र) भी चाहते थे कि किशोर कुमार उनकी मुंबई रैली में प्रस्तुति दें। हालांकि, किशोर कुमार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनके इनकार के पीछे कई कारण बताए जाते हैं:
कलाकार की स्वतंत्रता: किशोर कुमार का मानना था कि एक कलाकार को राजनीतिक बंधनों से मुक्त होना चाहिए। उनका मानना था कि कला किसी एक पक्ष की नहीं, बल्कि सबकी होती है। उन्होंने कहा था कि वे किसी के आदेश पर गाना नहीं गाते।

स्वास्थ्य का बहाना: कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, किशोर कुमार ने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें दिल की समस्या है और डॉक्टर ने किसी से मिलने से मना किया है।
रेडियो और टीवी के लिए न गाने का सिद्धांत: किशोर कुमार रेडियो और टीवी के लिए गाने गाने के इच्छुक नहीं थे। वे मानते थे कि उनका काम फिल्मों के लिए गाना है, न कि सरकारी प्रचार के लिए।
प्रतिबंध और उसके परिणाम
किशोर कुमार के इस इनकार से सरकार, विशेषकर संजय गांधी और विद्या चरण शुक्ल, बेहद नाराज हो गए। इसका सीधा परिणाम यह हुआ कि 4 मई 1976 से आपातकाल समाप्त होने तक किशोर कुमार पर एक अघोषित प्रतिबंध लगा दिया गया:
ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर बैन: किशोर कुमार के गानों को ऑल इंडिया रेडियो (AIR) और दूरदर्शन पर चलाने से पूरी तरह रोक दिया गया। यहां तक कि उनके द्वारा गाए गए युगल गीतों को भी सेंसर कर दिया गया या हटा दिया गया।
फिल्मी प्रतिबंधों की धमकी: जिन फिल्मों में किशोर कुमार ने अभिनय किया था, उन्हें भी आगे की कार्यवाही के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया, हालांकि यह पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया।
कैसेट कंपनियों पर दबाव: बताया जाता है कि जिन कंपनियों के पास किशोर कुमार के गानों की कैसेट्स थीं, उन्हें भी उनकी मार्केटिंग बंद करने का आदेश दिया गया था।
शाह कमीशन की रिपोर्ट
आपातकाल समाप्त होने के बाद, इसकी जांच के लिए शाह कमीशन का गठन किया गया था। इस कमीशन ने किशोर कुमार पर लगाए गए इस प्रतिबंध को “चौंकाने वाला और शर्मनाक” बताया। कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि किसी व्यक्ति के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सहमत नहीं होने पर उसके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। शाह कमीशन ने इंदिरा गांधी सरकार की इस कार्रवाई को एक प्रसिद्ध फिल्म कलाकार के खिलाफ “प्रतिशोध का स्पष्ट मामला” बताया।
निजी और व्यावसायिक जीवन पर गहरा असर: एक कलाकार का संघर्ष
प्रतिबंध ने किशोर कुमार के पेशेवर जीवन को झकझोर दिया था, लेकिन उनके व्यक्तिगत जीवन पर भी इसका गहरा असर पड़ा. एक समय जहां वे हर तरफ छाए हुए थे, अचानक उनके काम में कमी आ गई. उन्हें आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, हालांकि उनकी पहचान इतनी बड़ी थी कि वे पूरी तरह से हाशिये पर नहीं गए. उन्होंने इस दौरान स्टेज शो और निजी रिकॉर्डिंग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया. उनके कुछ सहयोगियों और परिवार के सदस्यों ने बाद में बताया कि यह उनके लिए एक कठिन समय था, लेकिन वे अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे. यह उनकी आत्मनिर्भरता और अटूट संकल्प का ही परिणाम था कि वे इस दबाव के आगे झुके नहीं. उनकी इस दृढ़ता ने उन्हें अन्य कलाकारों के लिए एक मिसाल बना दिया.
वापसी और सम्मान
आपातकाल की समाप्ति (मार्च 1977) के बाद ही किशोर कुमार पर लगा यह प्रतिबंध हटा। इसके बाद उन्होंने एक बार फिर अपनी बेमिसाल आवाज और प्रतिभा से करोड़ों लोगों के दिलों पर राज किया। यह घटना किशोर कुमार के सिद्धांतों के प्रति उनकी निष्ठा और तत्कालीन सरकार की दमनकारी नीतियों का एक उदाहरण बन गई।
