इस नदी में नहाते-नहाते हाथों में आ जाता है सोना! लेकिन घर ले जाना है मना: Subarnarekha River
Subarnarekha River

इस नदी में नहाते-नहाते हाथों में आ जाता है सोना! लेकिन घर ले जाना है मना

Subarnarekha river : इस नदी में नहाते-नहाते या फिर मुंह धोते अगर आपके हाथों में सोने का कण आ जाए, तो इसे घर न ले जाएं। आइए जानते हैं इस अनोखी नदी के बारे में-

Subarnarekha River: सोने-चांदी का नाम सुनते ही हर किसी की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। अगर आपके हाथों में नहाते-नहाते अचानक से सोना आ जाए, तो शायद आप इसे देखकर हैरान भी हो जाएं। लेकिन ऐसी घटना सच में होती है। आपको यह थोड़ा सा अजीब भी लग रहा हो, लेकिन इस तरह की घटना झारखंड की राजधानी रांची में स्थित स्वर्णरेखा नदीं में होती है। यह नदीं रांची में स्थित एक छोटे से कुएं, जिसे रानी छुआ कुआं से निकलती है। यह नदी 474 किलोमीटर लंबी है, जो कुएं से निकलती हुई सीधे बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। इस नदी को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-

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Subarnarekha River
Subnarekha

मालूम हो कि स्वर्णरेखा नदी, जो झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के क्षेत्रों से होकर बहती है, अपने नाम की तरह ही दिलचस्प है। इस नदी का नाम “स्वर्णरेखा” इसलिए पड़ा क्योंकि कहा जाता है कि इस नदी के पानी में सोने के कण होते हैं। कई लोगों का मानना है कि नदी के तट पर या उसके पानी में सोने के छोटे-छोटे कण मिलते हैं, जो पानी के साथ बहकर आते हैं।

ऐसा माना जाता है कि नहीं जिस कुएं से निकलती है, उसमें साक्षात माता लक्ष्मी रहती हैं। यह कुआं काफी पवित्र और पूजनीय माना जाता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि इसी कुएं से स्वर्ण रेखा नदी निकली है, जो शुरू में पतली धार के रूप में निकली और आगे चाकर विकरात नदी का रूप धारण कर लेती है।

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मान्यता है कि इस नदी में सोने के कण दिखते हैं, लेकिन इसे इकट्ठा करके घर ले जाना काफी मुश्किल है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि आजतक जिस भी व्यक्ति ने यहां के सोने को इकट्ठा करके घर ले जाने की कोशिश की है, उसकी रहस्यम तरीके से मौत हो जाती है। ऐसे में यहां से सोना घर ले जाने के बारे में सोचना भी काफी कठिन है।

यहां के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि हमारे पूर्वज बताते हैं कि इस नदी में हर रोज सोने के कण निकलते थे, लेकिन धीरे-धीरे सोने के कणों की संख्या कम होती जा रही है। अब तो महीनों में 1 से 2 कण नजर आते हैं।

निक्की मिश्रा पिछले 8 सालों से हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लिख रही हैं। उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में एमए और भारतीय विद्या भवन से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की है। लिखना उनके लिए सिर्फ एक प्रोफेशन...