Overview:500 फिल्मों में काम करने वाला ये अभिनेता नहीं खरीद सका घर-कार, बेटा पढ़ा लैम्पपोस्ट के नीचे
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता मुराद ने 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, लेकिन उनके पास न घर था न गाड़ी। उनके बेटे रज़ा मुराद ने बताया कि उनका बचपन आर्थिक तंगी में गुज़रा और उन्हें स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ाई करनी पड़ती थी। यह कहानी दिखाती है कि फिल्मी दुनिया की चमक के पीछे कई कलाकारों का असली जीवन संघर्षों से भरा होता है।
Murad Actor Struggle: बॉलीवुड की दुनिया बाहर से जितनी चमकदार दिखती है, अंदर से उतनी ही संघर्ष भरी होती है। कई ऐसे कलाकार रहे हैं जिन्होंने पर्दे पर खूब नाम कमाया, लेकिन निजी ज़िंदगी में आर्थिक तंगी से जूझते रहे। ऐसी ही एक भावुक कहानी है मुराद की, जो अमिताभ बच्चन के को-स्टार भी रहे । यूट्यूब चैनल Filmy Charcha पर बातचीत के दौरान अभिनेता रज़ा मुराद ने अपने पिता मुराद के जीवन के संघर्षों को भावुक अंदाज़ में शेयर किया। उन्होंने बताया कि भले ही मुराद ने 500 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उनके पास खुद का घर या कार तक नहीं थी।
एक इंटरव्यू में अभिनेता रज़ा मुराद ने अपने पिता मुराद की निजी ज़िंदगी और संघर्षों को लेकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता ने सैकड़ों फिल्मों में काम किया, फिर भी आर्थिक हालात अच्छे नहीं रहे। रज़ा ने अपने बचपन की कठिनाइयों को भी शेयर किया I
रज़ा मुराद को कई बार बिजली के बिना, दीया या स्ट्रीटलाइट की रौशनी में पढ़ाई करनी पड़ती थी। उनके घर की हालत ऐसी थी कि महीने का किराया देना भी कठिन हो जाता था। ये कहानी सिर्फ एक इंसान की नहीं, बल्कि उन सभी कलाकारों की है जो पर्दे पर तो चमके, लेकिन असल ज़िंदगी में संघर्ष करते रहे।
मुराद: पर्दे के पीछे का दर्द
मुराद एक ऐसे अभिनेता थे जिनकी झलक आपने कई पुरानी फिल्मों में देखी होगी। उन्होंने राजेश खन्ना, दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन जैसे बड़े कलाकारों के साथ काम किया। फिर भी उनके पास अपना घर नहीं था। जब उनके बेटे रज़ा मुराद बड़े हुए, तब तक मुराद परिवार एक किराए के मकान में रहता था, जहां कई बार बिजली तक नहीं होती थी। उन्होंने अपने पिता की मेहनत देखी, लेकिन साथ ही ये भी देखा कि कला और नाम के बावजूद ज़िंदगी कितनी कठिन हो सकती है
रज़ा मुराद ने की स्ट्रीट लाइट केनीचे पढ़ाई
रज़ा मुराद ने बताया कि उनके घर में कभी बिजली नहीं रहती थी। ऐसे में उन्हें दीया जलाकर या फिर स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती थी। जब दूसरे बच्चे ट्यूशन और लाइट्स में पढ़ते थे, तब रज़ा को बस मन लगाकर पढ़ने का सहारा था। यही संघर्ष उन्हें अंदर से मजबूत बनाता गया और उन्होंने खुद तय किया कि एक दिन ज़िंदगी बदलनी है।
नाम था लेकिन पैसे नहीं
मुराद की कहानी एक बड़ा सबक देती है – सिर्फ फिल्मों में काम कर लेने से ज़िंदगी आसान नहीं होती। उनके पास नाम था, पहचान थी, लेकिन स्थायी कमाई या सेविंग्स नहीं थी। यही वजह रही कि वो अपने परिवार को एक स्थिर जीवन नहीं दे पाए। ये कहानी उन सभी कलाकारों की आंखें खोलने वाली है, जो बस स्क्रीन टाइम को ही सफलता समझते हैं।
बेटे ने सीखा सबक, पहले खरीदा घर
रज़ा मुराद ने जब फिल्मों में काम शुरू किया, तो उनकी पहली कमाई से उन्होंने सबसे पहले एक घर खरीदा। उन्होंने ठान लिया था कि जैसे उनके पिता संघर्ष में रहे, वैसी हालत वह अपने परिवार के लिए नहीं दोहराएंगे। यही वजह रही कि उन्होंने जिम्मेदारी को समझा और भविष्य के लिए तैयारी की। आज वे खुद एक सफल अभिनेता हैं, लेकिन वो बचपन कभी नहीं भूले।
ज़ीनत अमान से पारिवारिक रिश्ता
बहुत से लोग नहीं जानते कि मुराद, बॉलीवुड की ग्लैमरस अभिनेत्री ज़ीनत अमान के चाचा थे। फिल्मी दुनिया में उनका गहरा रिश्ता था, लेकिन फिर भी परिवार के लिए स्थायी सपोर्ट नहीं बन सका। यह बात दर्शाती है कि रिश्ते और नाम जरूरी तो हैं, लेकिन एक मज़बूत ज़िंदगी जीने के लिए सिर्फ इतना काफी नहीं होता। आत्मनिर्भरता और योजना बनाना भी उतना ही जरूरी है।
