एलिफेंट व्हिस्पर्स के अलावा गुनीत मोंगा की वो पांच फिल्में जो आपको जरूर देखनी चाहिए: Guneet Monga Kapoor
Guneet Monga's Movie

Guneet Monga Kapoor: 13 मार्च की सुबह से गुनीत मोंगा वह नाम बन चुका है जो हर भारतीय की जुबां पर है। हालांकि ऐसा नहीं था कि इससे पहले गुनीत मोंगा को कोई जानता नहीं था। अपने काम के बल पर वे कलाप्रेमी और सिने प्रेमियों के बीच खासी लोकप्रिय हैं। और आज वे हम भारतीयों के लिए ऑस्कर लेकर आई हैं। इंटरनेशन लेवल पर पहले भी अपने काम का लोहा मनवा चुकी गुनीत आज किसी सेलिब्रेटी स्टार से कम नहीं हैं। ऑस्कर एक दिन में नहीं आता। इसके पीछे कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से किया गया काम होता है। ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ से पहले गुनीत ने कई फिल्में बनाई हैं। आज हम आपको उनकी ऐसी पांच फिल्मों और शॉर्ट डॉक्यूमेंट्रीके बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट होने वाली हैं।

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Guneet Monga Kapoor:कवी(Kavi)

कवी (KAVI) ऑस्कर नॉमिनेटेड शार्ट ड्रामा है। ग्रेग हेल्वे और हरीष अमीन के साथ गुनीत मोंगा ने इसे प्रोड्यूस किया है। यह एक छोटे से बच्चे कवि की कहानी है जिसके पिता एक गिरमिटिया गुलाम है, क्योंकि उस पर मालिक का भारी कर्ज है। वो अपने पिता के साथ ही ईंट बनाने का काम करता है। गुलामों में कवि सबसे स्मार्ट है। लेकिन एक दिन ईंट बनाते-बनाते उसकी नजर कुछ बच्चों पर जाती है जो कि क्रिकेट खेल रहे होते हैं। चूंकि वो एक गुलाम था ऐसे में उसका देखना भी गुनाह था। मालिक उसकी पिटाई कर देते हैं। सजा के तौर पर उसे टूटी हुई ईंटों को साफ करने का काम दिया जाता है। जब वह खत्म होता है, तो कवी कुछ सोशल वर्कर को एक छिपी हुई जगह पर गुलामों का इंटरव्यू लेते हुए देखता है ताकि उन्हें आजाद करवाया जा सके। वह कारखाना छोड़कर भाग जाता है लेकिन उसे मालिक के लोग खोज लेते हैं और फिर उसकी पिटाई होती है। अगले दिन, एक क्रिकेट गेंद उसके पैरों पर गिरती है। जब वह इसे वापस स्कूली बच्चों को सौंपता है, तो उसे बेरहमी से पीटा जाता है और बेड़ियों में बंद कर दिया जाता है। उनके माता-पिता को एक नए ईंट कारखाने में ले जाया जाता है। आज दुनिया में लाखों गुलाम हैं। KAVI एक छोटी, दिल को छू लेने वाली फिल्म है जो भारत के गुलामी के सिस्टम को उजागर करती है।

पैडलर(Peddlers)

Guneet's Movies
Peddlers

मुंबई ड्रग माफिया को कौन नहीं जानता। पेडलर्स (Peddlers) फिल्म ड्रग्स पर आधारित क्राइम थ्रिलर मूवी है। इसे सिख्या एंटरटेनमेंट ने प्रोेड्यूस किया है जो कि गुनीत की अपनी प्रोडक्शन कंपनी है। इसकी स्क्रीनिंग कांस फिल्म फेस्टिवल में 2012 में हुई थी। यह इंटरनेशनल क्रिटक्स वीक का हिस्सा थी। यह फिल्म तीन लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है। दो यंग लोग मुंबई के ड्रग माफिया बिजनेस में इंवॉल्व हो जाते हैं। इनमें तीसरा करैक्टर एक यंग पुलिसवाला है। जो इन दोनों के पीछे है लेकिन इस प्रोसेस में वह उनके लिए ऑब्सेस्ड हो जाता है।

फिल्म ‘पेडलर्स’ में गुलशन देवैया का मेन कैरेक्ट है, फिल्म में निम्रत कौर, सिद्धार्थ मेनन, कृति मल्होत्रा, निशिकांत कामत, मुकेश छाबड़ा और दूसरे लोग भी हैं। लेकिन हैरानी की बात देखें कि इस फिल्म को मार्केट में रिलीज नहीं मिल पा रहा था। साल 2021 में इरोज ने इसे ओटीटी पर रिलीज किया। यह फिल्म मुंबई के सैटअप पर तैयार है। जिसकी शुरुआत एक अंधेरी रात में लोकल ट्रेन के साथ होती है। इसे वसन बाला ने लिखा और डायरेक्ट किया।

पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस(Period End of Sentence)

पीरियड (Period) के बारे में अब लोग खुलकर बोलने लगे हैं। कभी यह विषय ऐसा था कि जिसपर बात करना कोई गुनाह करने के बराबर माना जाता था। लेकिन, अब इस पर फिल्में, डॉक्यूमेंट्रीज बन रही हैं। मोंगा ने भी इस विषय को छुआ है। उन्होंने रेका जेहताबची, मेलिसा बर्टन, गैरेट के. शिफ, लिसा टैबाक के साथ इस फिल्म को प्रोड्यूस किया। यह उनकी पहली ऑस्कर डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म ‘पीरीयड एंड ऑफ सेंटेंस’ थी। जो उत्तर प्रदेश के हापुड़ के काठीकेरा गांव में स्थानीय औरतों के समूह के बारे में बताती है। यह महिलाएं एक ऐसी पीरयड मशीन को चलाना सीखती हैं जो कम कीमत वाले बायोडिग्रेबल सैनिटरी पैड बनाती है। इन्हें वे दूसरी महिलाओं को सस्ती कीमत पर बेचती हैं।
इस मशीन से न केवल वे महिलाएं सशक्त होती हैं बल्कि पीरियड यानी माहवारी से जुड़े भ्रम को भी तोड़ने का प्रयास करती हैं। यह फिल्म तमिलनाडु के कोयम्बटूर के सोशल वर्कर अरुणाचलम मुरुगनाथम की जिंदगी से प्रेरित थी।

हरामखोर(Haraamkhor)

Haraamkhor
Haraamkhor

हरामखोर (Haraamkhor) श्लोक शर्मा द्वारा निर्देशित 2015 की एक भारतीय रोमांटिक ड्रामा ब्लैक कॉमेडी फिल्म है, जिसे गुनीत मोंगा की कंपनी सिख्या एंटरटेनमेंट ने प्रोड्यूस किया था। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और श्वेता त्रिपाठी की इस फिल्म को केवल 16 दिनों में शूट किया गया था, बल्कि इसका प्रीमियर न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल और इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ लॉस एंजिल्स में किया गया था। यह फिल्म श्याम नाम के एक गांव के स्कूल टीचर की कहानी है। संध्या और उसके सबसे अच्छे दोस्त मिंटू और कमल उसके कुछ छात्र हैं। कमल का संध्या पर क्रश है, लेकिन संध्या को उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके बाद कुछ ऐसा होता है कि संध्या और श्याम एक दूसरे के करीब आते हैं। उनके रिलेशन कुछ ऐसे बढ़ जाते हैं कि वो दोनों एक बार सेक्स कर लेते हैं। इस बीच संध्या के पीरियड मिस होते हैं और वो कहीं वो प्रेगनेंट तो नहीं को जानने के लिए शहर जाकर जांच करवाकर आते हैं। लेकिन यहां आकर उन्हें पता चलता है कि वो प्रेगनेंट नहीं है। हां, एक बदलाव यह भी आता है कि श्याम उससे कहता है कि हमें इस रिलेशन को अब सिर्फ टीचर और स्टूडेंट का ही रखना चाहिए। इस रोमांस के साथ इस कहानी में एक मर्डर भी होता है। यह मर्डर किसका और क्यों होता है इसे जानने के लिए आपको ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

मसान(Masaan)

मसान (Masaan) 2015 की इंडियन हिंदी लैंग्वेज ड्रामा फिल्म है। इसमें ऋचा चड्ढा और विक्की कौशल मेन करेक्टर में हैं। फिल्म को 2015 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में दो अवॉर्ड मिले थे। यह फिल्म गुनीत की कंपनी सिख्या एंटरटेनमेंट ने प्रोड्यूस की है। वाराणसी में दो भारतीय युवाओं की जिंदगी की कहानी है। मसान’की कहानी बनारस के घाटों पर रची-बसी है। यहां बैकड्रॉप में है ‘मसान’, जहां अंतिम संस्कार किया जाता है। इस फिल्म में दो कहानियां एक साथ चलती हैं। पहली कहानी दीपक की है, जिसे एक उच्च कुल की लड़की से प्रेम हो जाता है। वहीं दूसरी कहानी देवी की है जो एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसती है जिससे कि वो चाहकर भी नहीं निकल पाती। इस फिल्म की खासियत इसकी गहराई है। जितना ज्यादा आप इसे समझते हैं उससे कहीं ज्यादा यह गहरी है। जिंदगी और मौत का क्या रिश्ता है आप इस फिल्म से सीख सकते हैं। फिल्म में कुछ ऐसी सच्चाई दिखाई गई है जिसे कम ही लोग जानते होंगे। यह फिल्म जब आप देखेंगे तो आपको अहसास होगा कि फिल्म जैसे जिंदगी भर के लिए आपके साथ रह गई हो।