Esha and Dharmendra Deol
Esha and Dharmendra Deol

Summary : धर्मेंद्र के परिवार की वो बातें जो कम लोग जानते हैं...

धर्मेंद्र की बेटी ईशा की प्रकाश कौर से मुलाकात का यह किस्सा हेमा ने अपनी किताब में बताया है...

Esha Deol and Prakash Kaur: धर्मेन्द्र ने 1980 में जब हेमा मालिनी से शादी की थी, तब पूरे देश में हलचल मच गई थी। उस समय वे पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बेटे थे। धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर को उनके और हेमा के रिश्ते का अंदाजा तो था, लेकिन उनके पास कुछ कहने की गुंजाइश नहीं थी। बाद में धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की दो बेटियां ईशा और आहना हुईं, लेकिन दोनों परिवार अलग-अलग रहते थे।

अपनी आत्मकथा “हेमा मालिनी: बियॉन्ड द ड्रीम गर्ल” में हेमा ने धर्मेन्द्र की पहली पत्नी के साथ अपने रिश्ते के बारे में लिखा है। उन्होंने कहा कि वे कभी अपने पति के जुहू वाले असली घर में नहीं गईं, जबकि उनका खुद का बंगला उससे बस कुछ मीटर की दूरी पर है। लेकिन ईशा देओल अपने चाचा अजीत की गंभीर बीमारी के समय पहली बार उस घर में गईं। उस समय उनकी उम्र 30 साल थी और वहीं उन्होंने पहली बार प्रकाश कौर को देखा। ईशा ने उनके पैर छुए, उन्होंने आशीर्वाद दिया।

कई साल पहले, हेमा मालिनी का अनुभव धर्मेन्द्र के माता-पिता के साथ भी कुछ ऐसा ही रहा था। जब उन्होंने धर्मेन्द्र से शादी करने का फैसला किया, तो धर्मेन्द्र की मां सत्वंत कौर उनसे बेहद स्नेह से मिलीं। हेमा ने लिखा, “मुझे याद है, एक बार जब मैं ईशा के साथ गर्भवती थी, तब वह चुपचाप जुहू के एक डबिंग स्टूडियो में मुझसे मिलने आईं। उन्होंने घर में किसी को नहीं बताया था। मैंने उनके पैर छुए, उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा, ‘बेटा, खुश रहो हमेशा।’ मैं बहुत खुश हुई कि वे मेरे लिए खुश थीं।”

अपनी आत्मकथा में हेमा ने अपने घरेलू हालात पर भी रोशनी डाली। उन्होंने लिखा, “मैंने कभी किसी को परेशान करना नहीं चाहा। जो कुछ धर्मजी ने मेरे और मेरी बेटियों के लिए किया, मैं उससे संतुष्ट हूं। उन्होंने पिता का फ़र्ज़ निभाया, जैसा कोई भी पिता निभाता है। शायद मैं इसी से खुश हूं। मैंने कभी प्रकाश जी के बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं उनका बहुत सम्मान करती हूं। मेरी बेटियां भी धर्मजी के परिवार का आदर करती हैं।”

धर्मेन्द्र और हेमा की शादी के एक साल बाद स्टारडस्ट पत्रिका को दिए इंटरव्यू में प्रकाश कौर ने भी अपने पति का बचाव किया था। उन्होंने कहा था, “सिर्फ मेरे पति ही क्यों? कोई भी आदमी हेमा को मुझ पर चुनता।” आगे उन्होंने कहा, “मेरे पति को कोई औरतबाज कैसे कह सकता है, जब आधा फ़िल्म उद्योग ही वही कर रहा है? वह शायद सबसे अच्छे पति न हों, लेकिन मेरे लिए बहुत अच्छे इंसान हैं और अच्छे पिता हैं। उन्होंने कभी भी बच्चों को नज़रअंदाज़ नहीं किया।”

ईशा देओल ने भी अपनी मां की किताब में बताया कि उन्हें इस पारिवारिक स्थिति के बारे में पहली बार चौथी कक्षा में पता चला, जब उनके स्कूल की एक सहपाठी ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि उनके ‘दो माताएं’ हैं। ईशा ने लिखा, “तब मां ने मुझे सच्चाई बताई कि उन्होंने ऐसे आदमी से शादी की है, जिसकी पहले से एक पत्नी और परिवार है। लेकिन सच कहूं तो मुझे कभी बुरा नहीं लगा। आज तक मुझे इसमें कोई गलत बात नहीं लगती। इसका पूरा श्रेय मैं अपने माता-पिता को देती हूं कि उन्होंने हमें कभी असहज महसूस नहीं होने दिया।”

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...