Overview: ED का अनिल अंबानी पर शिकंजा:
ED ने अनिल अंबानी के रिलायंस ADAG समूह पर ₹3000 करोड़ की बैंक लोन धोखाधड़ी के आरोप में देश भर में 35 ठिकानों पर छापेमारी की है। यह जांच यस बैंक और राणा कपूर से भी जुड़ी है।
ED Tightens its Grip on Anil Ambani ED Raid: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) की कंपनियों से जुड़े 3,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी की जांच के सिलसिले में पूरे भारत में 35 से अधिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की है। इन छापों में मुंबई और दिल्ली सहित विभिन्न शहरों में 50 कंपनियों और लगभग 25 व्यक्तियों से जुड़े परिसर शामिल हैं। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है, और इसने कॉर्पोरेट जगत में एक बार फिर हलचल मचा दी है।
जांच का आधार: CBI की FIRs और यस बैंक से जुड़ाव
यह छापेमारी धन शोधन जांच का हिस्सा है, जिसे PMLA के तहत सितंबर 2022 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज की गई दो FIR के आधार पर शुरू किया गया था। ये FIR मुख्य रूप से यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के खिलाफ दर्ज की गई थीं। जांच 2017 और 2019 के बीच यस बैंक द्वारा दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध ऋण डायवर्जन के आरोपों पर केंद्रित है।
धन की हेराफेरी और रिश्वत का गठजोड़
जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में सार्वजनिक धन को बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर मोड़ने या निकालने की एक सुविचारित और सुनियोजित योजना का खुलासा हुआ है। ED को ऐसे सबूत मिले हैं कि ऋण स्वीकृत होने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को उनकी निजी कंपनियों में धन प्राप्त हुआ था। एजेंसी “रिश्वत” और ऋण के इस गठजोड़ की गहनता से जांच कर रही है।
बैंक प्रक्रियाओं में गंभीर उल्लंघन
ED अधिकारियों का कहना है कि यस बैंक की ओर से ऋण स्वीकृतियों में “घोर उल्लंघन” हुए हैं, जो बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं में गंभीर खामियों को दर्शाता है। यह भी पाया गया कि क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (CAM) की तारीखें बदली गईं, और बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच या क्रेडिट विश्लेषण के निवेश प्रस्तावित किए गए। कुछ मामलों में तो ऋण मंजूरी से पहले ही राशि जारी कर दी गई, और कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों को भी ऋण दिए गए। पुराने ऋणों को चुकाने के लिए नए ऋणों की “एवर्ग्रीनिंग” भी जांच के दायरे में है।
रिलायंस की कंपनियों पर आरोप और शेयरों में गिरावट
यह आरोप है कि रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियों, विशेषकर रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) पर कथित तौर पर 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण धोखाधड़ी का आरोप है। इसके अलावा, रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड पर केनरा बैंक के साथ भी कथित तौर पर 1,050 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है। आधिकारिक सूत्रों ने यह भी बताया है कि कंपनी के अघोषित विदेशी बैंक खातों और विदेशी संपत्तियों की भी जांच की जा रही है। इस छापेमारी के बाद, अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई। रिलायंस पावर के शेयर में 6% तक और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर 5% तक टूट गए।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का जवाब
इस बीच, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपनी फाइलिंग में कहा है कि “मीडिया रिपोर्ट्स रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के लेनदेन से संबंधित आरोपों से जुड़ी प्रतीत होती हैं, जो 10 साल से भी अधिक पुराने हैं।” कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं, और RCOM या RHFL के विरुद्ध की गई किसी भी कार्रवाई का रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के संचालन या प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आगे की जांच और संभावनाएं
ED का दावा है कि उसे सार्वजनिक धन की हेराफेरी की एक सुनियोजित योजना के सबूत मिले हैं। इस जांच में नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, एनएफआरए और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी कई अन्य एजेंसियां भी सहयोग कर रही हैं। जांच में और भी खुलासे होने की संभावना है क्योंकि ED इस कथित धोखाधड़ी के नेटवर्क को गहराई से खंगाल रही है।
