Summary : टीनू को मुश्किलों से निकाला वीरू देवगन ने
दिक्कत यह थी कि शशि कपूर ने अपने कॉन्ट्रैक्ट में लिखवाया था कि वह सिर्फ सुबह 7 बजे से 9 बजे तक शूट करेंगे। ऋषि दस बजे आते थे। अब दोनों के सीन शूट कैसे हों...
Tinnu Anand: क्लासिक फिल्मों ‘कालिया’ से लेकर ‘शहंशाह’ तक, टीनू आनंद ने अमिताभ बच्चन के ‘एंग्री यंग मैन’ वाली इमेज को गढ़ने में बड़ी भूमिका निभाई। उनकी अमिताभ बच्चन के साथ की गई साझेदारी के किस्से तो काफी मशहूर हैं, लेकिन आनंद ने उस दौर के अन्य बड़े सितारों को भी डायरेक्ट किया। हाल ही में ‘बॉलीवुड बबल’ से हुई खुली बातचीत में उन्होंने अपने डायरेक्शन डेब्यू ‘दुनिया मेरी जेब में’ के समय आई भारी दिक्कतों का जिक्र किया, जिसमें शशि कपूर और ऋषि कपूर मुख्य भूमिका में थे।
टीनू आनंद ने याद किया “मैं बहुत भाग्यशाली था कि मुझे अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला। वो बेहद अनुशासित थे। दूसरी ओर, जब मैं दुनिया मेरी जेब में बना रहा था, मेरे पास शशि कपूर और ऋषि कपूर थे… वे दोनों बिल्कुल उलट थे। शशि ने अपने कॉन्ट्रैक्ट में लिखवाया था कि वह सिर्फ सुबह 7 बजे से 9 बजे तक शूट करेंगे। यानी आठ घंटे की शिफ्ट घटकर केवल दो घंटे रह गई। ऋषि कहते थे, ‘मैं सिर्फ सुबह 10 बजे आऊंगा और शाम 6 बजे निकल जाऊंगा।’ मुझे नर्वस ब्रेकडाउन होने लगा कि हम आखिर शूट कैसे करेंगे, जबकि दोनों फिल्म में भाई बने थे। वो दोनों सेट पर एक साथ दो घंटे भी नहीं रह पाते थे। अब मैं उन दोनों के साथ सीन कैसे शूट करूं?”
टीनू खुद को संभाल नहीं पा रहे थे, वीरू ने मदद की
यह स्थिति इतनी भारी हो गई कि टीनू आनंद खुद को संभाल नहीं पा रहे थे। तभी एक्शन डायरेक्टर वीरू देवगन मदद के लिए आगे आए। टीनू आनंद ने बताया, “किसी तरह वीरू देवगन को इस बारे में पता चला। उन्होंने आकर कहा, ‘सुना है कि तुम्हें नर्वस ब्रेकडाउन हो रहा है।’ मैंने कहा, ‘और करूं भी क्या? ये काम कैसे होगा?’ फिर उन्होंने पूछा, ‘दोनों भाइयों की फाइट सीन कब रखी है?’ मैंने कहा, ‘अगले हफ्ते।’ उन्होंने कहा, ‘ठीक है, चिंता मत कर। दोनों जब चाहें तब आएंगे, हम काम करवा लेंगे।’”
वीरू ने सत्यजीत रे से ज्यादा सिखाया

वह पल टीनू आनंद के करियर के सबसे आंखें खोलने वाले अनुभवों में से एक बन गया। उन्होंने कहा, “उसी समय मैंने असली फिल्ममेकिंग सीखी। मैंने वीरू देवगन से ज्यादा सीखा, सत्यजीत रे से भी शायद उतना नहीं जाना था। उन्होंने मुझे दिखाया कि जब एक्टर सेट पर मौजूद न हो तब भी उनके साथ सीन कैसे शूट किया जाता है।”
गालियां बकने वाला टीनू
टीनू आनंद ने पहले भी ‘रेडियो नशा’ को दिए एक इंटरव्यू में फिल्म ‘अग्निपथ’ (1990) में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा किया था। उस फिल्म में वे यादगार विलेन बने थे। आनंद ने बताया कि उनका रोल एक अजीब-सा ब्रीफ लेकर आया था। उन्होंने कहा, “मुझे मेरे भतीजे ने फिल्म में कास्ट किया था, लेकिन उसने किरदार के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया। मैंने पूछा, ‘मेरा रोल क्या है?’ तो उसने कहा, ‘इसमें कोई खास डायलॉग नहीं है। बस गालियां बकते रहना।’ यहां तक कि अमिताभ बच्चन भी कॉम्प्लेक्स में आ गए थे, क्योंकि मैं इधर-उधर गालियां उछाल रहा था। और बहुत से लोगों के लिए यह पहली बार था कि उन्होंने सिनेमा में इस तरह की भाषा सुनी।”
