PM Modi Birthday: मां और बच्चों के बीच के प्यार और भावनाओं को दर्शाने के लिए वैसे तो जितनी उपमाएं दी जाएं कम हैं। लेकिन कई बार कुछ कहने और बोलने के लिए शब्दों की जरूरत ही नहीं पड़ती । बिन बोले ही कुछ-कुछ रिश्तों के बीच का प्यार, आदर और अपनापन यूं ही बयां हो जाता है। ऐसा ही कुछ प्यारा सा अनोखा बंधन देखने को मिलता है हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के बीच। मां का 100वां जन्मदिन हो या नरेंद्र मोदी का जन्मदिन, वे मां के पास यूं बैठ जाते हैं जैसे उनका धरती पर स्वर्ग यहीं हो। मां के जन्मदिन की एक तस्वीर इस बात की पुष्टि ही करती दिखती है। नरेंद्र मोदी जी जब भी अपनी मां के साथ होते हैं किसी मासूम बच्चे की तरह जैसे मां की बस बातें सुनना और अपनी बातें बताते नजर आते हैं। अपनी मां से मिलते ही सबसे पहले उनके चरणों में नतमस्तक होकर आशाीर्वाद लेकर मां के साथ उन लम्हों में बस उनके प्यारे बेटे की तरह रहते हैं। उन्हें देख ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं। वे जब मां के पास होते हैं तो सिर्फ उनके बेटे के रूप में नजर आते हैं। भले ही नरेंद्र मोदी जी एक लम्बे अर्से से अपनी मां से दूर रहते हैं लेकिन ये दूरी उनके बीच के बंधन को कभी कमजोर नहीं कर पाई। वे न सिर्फ एक अच्छे नेता हैं बल्कि मां के वो लाडले हैं जिसपर मां जितना गर्व करें वो कम हैं।
मां का विश्वास, बेटे का मां के प्रति समर्पण
ये मां बेटे का एक दूसरे से अनमोल बंधन ही है जो नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का चाहे उनके लिए कुछ स्पेशल बनाया हुआ किसी और को छूने न देना हो या फिर बेटे की जीत के लिए पहले से ही मन में पूरे विश्वास का होना हो। नरेंद्र मोदी के चौथी बार गुजरात के सीएम बनने के बाद मां हीराबेन को विश्वास था कि वे देश के पीएम भी बनेंगे। वहीं उनके बेटे के लिए मां सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। वे खास मौंकों और जन्मदिन पर अपनी मां से मिलने की कोशिश करते हैं। आज भले ही वे देश के पीएम हैं लेकिन उनकी मां के लिए वे पहले उनके बेटे ही हैं। चाहे कितने भी लोग हों, मीडिया हो लेकिन मां उन्हें अपने हाथों से मीठा खिला जन्मदिन खास बनाती हैं। मां उन्हें कभी तोहफे में कुछ पैसे देती हैं तो कभी गीता तोहफे में देती हैं। जब मोदी जी मां के साथ होते हैं तो उनकी बातों को न सिर्फ सुनते हैं। बस वे मां के साथ उन पलों को अपने लिए संजो के रखने की कोशिश करते हैं।
अंर्तमन की धारा मां के साथ जुड़ी
चाहे वो अपनी मां हों या वो जगत जननी हों या वो मां भारती हों मोदी का मां से कुछ अलग ही लगाव है। मोदी जी ने एक ‘साक्षी भाव’ नाम की पुस्तक लिखी है। हालांकि ये पुस्तक उनके राजनीति में आने से पहले लिखी है। कांफ्रेंस में बताया कि वे बचपन में मां जगत जननी को हर दिन चिट्ठी लिखते थे। उनमें से ही कुछ कविताओं को उनके दोस्त ने इस पुस्तक का रूप देने में मदद की। वे इस पुस्तक की ही एक रचना जो मां के बारे में हैं उसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा ‘मां मैं जानता हूं’ इस शरीर को एक नए रंगमंच पर लेकर जाना है। इस कविता में मां के साथ बात करते हुए उन्होंने लिखा है कि तुम्हारे आशीर्वाद से ये सब हो जाएगा, मां के प्रति अपने भाव को उन्होंने लिखा है कि अंर्तमन की धारा तेरे साथ जुड़ी हुई है। ये हैं उस बेटे के भाव मां के हर रूप को समर्पित हैं चाहे वो जन्म देने वाली मां हो या जगत जननी या फिर मां भारती।
मां के बलिदान से आज भी आखें हो जाती हैं नम
दुनिया भर की आखें जब देख रही हों और आप एक देश का प्रतिनिधित्व करते हैं तो अपनी भावनाओं पर काबू रखना होता है। लेकिन एक बार फेसबुक के हेडक्वार्टर में मां के बारे में पूछने पर उनकी आखें भर आईं। मां के बलिदानों और परिवार को चलाने की कहानी को याद करते हुए वे बताते हैं कि पिता जी की मृत्यु के बाद मां ने दूसरों के घरों में बर्तन साफ करके और पानी भरकर घर की जिम्मेदारी पूरी करती थीं। वे अपनी मां के व्यक्तित्व से प्रभावित हैं। वे उनकी तरह ही अपनी हर जिम्मेदारी को निभाने के लिए हर जरूरी कदम उठाने से पीछे नहीं हटते।
‘मां’ ये सिर्फ एक शब्द नहीं
हर मां बिना किसी उम्मीद के अपनी जिंदगी बच्चों और परिवार के लिए समर्पित करती है। उसे कभी किसी से कोई उम्मीद नहीं होती। लेकिन अगर बच्चे बदले में सिर्फ मां को प्यार और आदर देते हैं। उससे ही वो खुश हो जाती हैं। दूसरों के सामने अपने बच्चों की तारीफों के कसीदे पढ़ना ये बस एक मां ही कर सकती है। ऐसे में अगर किसी मां का बेटा जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो और मां के लिए वो करे जो बचपन में मां करती रहीं हैं। तो इससे बड़ा तोहफा किसी मां के लिए और कुछ नहीं हो सकता। नरेंद्र मोदी जी ने अपनी मां को उनके जन्मदिन पर कुछ ऐसा ही अनूठा तोहफा दिया। उन्होंने अपनी मां के लिए ब्लॉग लिख पूरी दुनिया के सामने उनके लिए अपने प्रेम और आदर को जाहिर किया। उस ब्लॉग में उन्होंने लिखा था ‘मां’ ये सिर्फ एक शब्द नहीं हैं। जीवन की वो भावना है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया है।
दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है।

