१४ जून को Kirron Kher अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। किरन वह नाम है जिसने कॉलेज के समय से ही अभिनय करना शुरू किया। लेकिन अपने बेटे सिकंदर की परवरिश के लिए करिअर को विराम दिया। लेकिन अपनी दूसरी पारी में वह ऐसी लौटीं कि बॉलीवुड में अभिनय की एक छाप छोड़ी।
कैंसर से भी जंग जीत चुकी हैं किरन। पिछले साल ही कैंसर का पता चला था। कुछ समय के एक ब्रेक के बाद एक रियलिटी शो में बतौर जज के तौर पर नजर आ रही हैं। अपनी बीमारी के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि इस तरह का पड़ाव जीवन में सुकून को खत्म करता है। लेकिन मैं इससे उभरना और जीतना चाहती हूं।
उसे मेरी जरूरत है
किरन का एक बेटा है सिकंदर। वे किरन के पहले पति से है। सिकंदर जब बहुत छोटा था तब ही उन्होंने अनुपम खेर के साथ दूसरी शादी कर ली थी। लेकिन वह अपने बेटे की परवरिश में कोई कमी नहीं रखना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने अपने एक्टिंग करिअर को विराम दिया। हालांकि अनुपम की मां ने उन्हें हमेशा मोटिवेट किया। तुम भी करो। तुम बहुत अच्छी एक्टर हो। बेटे के बड़े होने के बाद दोबारा बॉलीवुड में सक्रिय हुईं। आज वे हर उस महिला के लिए मिसाल बन चुकी हैं, जिसे लगता है कि जीवन में दूसरी पारी शुरु करना संभव नहीं है। अब बात करते हैं उनकी दूसरी पारी और अभिनय की-
नाटक सालगिरह से शुरुआत

९० के मध्य के दशक में किरन ने जावेद सिद्दीकी के नाटक सालगिरह के साथ अपनी दूसरी पारी की शुरूआत की। हम सभी लोग भली-भांति जानते हैं कि आज भी हमारे समाज में तलाक का होना कोई आसान बात नहीं है। एक तलाकशुदा महिला को बहुत-सी चुनौतियों का सामना करना होता है। किरन ने सालगिरह मेंं ऐसी एक तलाकशुदा महिला का किरदार निभाया। जो एक शहरी जीवन जीने के बावजूद तलाक और उसके बाद की चुनौतियों का सामना करती है। यह प्ले बहुत पसंद किया गया। इसमें किरन की एक्टिंग देखते ही बनती थी।
सरदारी बेगम

१९९६ में श्याम बेनेगल की इस फिल्म ने किरन को नेशनल अवॉर्ड दिलवाया। इसमें किरन के साथ सुरेखा सीखरी, रजत कपूर, राजेश्वरी सचदेव जैसे किरदार हैं। जैसा कि नाम से ही प्रतीत है कि फिल्म सरदारी बेगम पर आधारित है। इस किरदार को किरन ने निभाया था। सरदारी बेगम एक वेश्या और लोकप्रिया गायिका हैं। दिल्ली की चारदीवारी में दंगे के दौरान सरदारी बेगम का कत्ल हो जाता है। यह कहानी रिश्तों का एक मकडज़ाल है। पूरी कहानी फ्लेशबैक में चलती है।’
खामोश पानी

अगर आप किरन खेर की एक्टिंग के फैन हैं तो यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए। यह कहानी एक ऐसी एकल महिला पर आधारित है जो अपने बेटे के साथ पाकिस्तान के एक गांव में रहती है। यह कहानी १९४७ के विभाजन की त्रासदी पर आधारित है। पाकिस्तानी फिल्मेकर सबीका सुमन ने इस फिल्म को बनाया है। इस फिल्म में उनके किरदार का नाम आयशा है। स्टोरी में पता चलता है कि आयशा कभी भी कुएं से पानी भरकर नहीं लाती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि वे एक एक ऐसे समुदाय से ताल्लुक रखती थी जिनका पाकिस्तान में रहना मुश्किल हो गया था। अपनी बच्चियों की सुरक्षा के लिए उस समुदाय की बेटियों ने कुएं में कूदकर अपनी इज्जत बचाई थी। लेकिन आयशा ने कूएं में कूदने से इंकार किया। वे अपने समूह से अलग हुई। एक मुस्लिम से शादी की। कहानी में आपको आयशा के जीवन के अलग-अलग रंग नजर आएंगे। किरन ने आयशा के किरदार में ने अपने अभिनय से निखार दिया है। कहानी का अंत बड़ा दुखद है। आयशा जो जीवन भर कुएं से दूर भागती थी। उसने अपने जीवन की लीला कुएं में कूदकर ही समाप्त की।
पारों की मां किरदार

संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास तो याद ही होगी। इसमें पारो बनी एश्वर्या के साथ उसकी मां का किरदार भी लोगों के जेहन में है। फिल्म में उनकी मौजूदगी बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन अपने डायलॉग्स और अपने डांस के जरिए किरन ने साबित कर दिया कि सीनियर आखिरी सीनियर ही होता है।
बर्थडे की बधाई आप स्वीकार करें। आपकी साड़ी और बिंदी का स्टाइल आपकी खास पहचान है। आप हर महिला के लिए आदर्श है जिसे लगता है कि जीवन में अब कुछ बचा नहीं है। आपने हर चुनौती का डटकर सामना किया। आपकी सेहत और आपकी उम्मीदें ऐसे ही बनी रहें। एक रियलिटी जज के तौर पर देखना आपको अच्छा लगता है। वैसे भी हर किरदार में आप बखूबी फिट हो जाती हैं।
