बुनाई के शौक को बना सकती हैं आमदनी का जरिया
चारु नंदा हमेशा बेकिंग की शौकीन थीं। जब उनके बच्चे सीनियर स्कूल में जाने लगे तो उन्होंने अपने शौक को छोटा अंशकालिक घरेलू कारोबार बना लिया। ‘चारु नंदा के घर में बेक किए केक’ जल्दी ही उनके परिवार, मित्रों और पड़ोसियों में लोकप्रिय हो गए। यह उनके पति, सास और बच्चों के सक्रिय सहयोग से संभव हो पाया। उनकी बेटी बानी ने उन्हें देखकर सीखा। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज में पढ़ते हुए उन्होंने तय किया कि वे शेफ बनना चाहती हैं। पेरिस में पेशेवर प्रशिक्षण, सोशल मीडिया की जानकारी और युवावस्था की शक्ति से उन्होंने ‘मिआम’ (‘Miam’) की शुरुआत की। यह एक पैटिसेरी है जो आधुनिक केक और पेस्ट्री में सुविज्ञ है। घर में मां-बेटी एक ही रसोई साझा करती हैं, एक दूसरे की सहायता करती है। पर वे अपना कारोबार चलाती है।
नेहा कांत ने चुना अपने लिए बिलकुल अनछुआ रास्ता, आज हैं एक सफल एंटरप्रेन्योर
चारु और बानी ने साबित कर दिया है कि महिलाएं अपने शौक को सफल कारोबार में बदल सकती हैं। उनके उदाहरण ये यह भी पता चलता है कि कैसे परिवार का सपोर्ट और सहयोग इसे संपन्न करने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। इससे यह भी पता चलता है कि कैसे अगली पीढ़ी अपने अभिभावकों के कारोबार का विस्तार और बेहतरी करने के लिए आधुनिक आईडिया ले आती है।

