Ammu Movie Review: सिर्फ एक थप्पड़ ही तो है, कभी-कभी परेशानी में ऐसा हो जाता है, उसके ऊपर घर की जिम्मेदारियों का बोझ है, तुमने कुछ कह दिया होगा तो तुम पर गुस्सा निकल गया। आखिर ऐसा क्या हो गया जो उसे हाथ उठाना पड़ा। रिश्ते निभाने के लिए थोड़ा बहुत बर्दाश्त करना ही पड़ता है। ऐसी बहुत सी बातें सुनने में आती है अगर कोई पुरूष किसी महिला पर हाथ उठाता है। लेकिन पिछले कुछ समय में समाज की इस भ्रांति को तोड़ने के लिए बहुत सी फिल्मों ने एक नजरिया पेश किया है। ‘थप्पड़’ के जरिए आज की उस महिला को दिखाया गया जो इस बात को किसी भी स्थिति में स्वीकार करने को तैयार नहीं कि एक थप्पड़ भी उसके अस्तित्व की गरिमा को तार-तार करे। वह न ससुराल वालों से कोई बैर रखती है न पति को किसी तरह परेशान करती है सिर्फ अपने अस्तित्व पर आई इस आंच को बर्दाश्त नहीं करती और साफ कहती है कि इस घटना के बाद प्यार नहीं बचा। वहीं डार्लिंग मूवी के जरिए दिखाया गया कि अत्याचार बर्दाश्त करने वाली महिला अब उसका बदला भी लेने को तैयार है। महिलाओं पर घरों के बंद दरवाजों के पीछे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की कहानी सदियों से चली आ रही है। कई बार वे रिश्ते निभाने के लिए तो कई बार अपने मां-बाप को परेशानी से बचाने के लिए यह सब बर्दाश्त करती हैं। लेकिन बदलते दौर में अब बहुत सी महिलाएं इस घुटन भरी जिंदगी को छोड़ उससे बाहर निकलने का प्रयास करती हैं। उसके लिए चाहे उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़े या खुद कोई ऐसा कदम उठाना पड़े जो समाज की परिपाटी से अलग है। महिलाओं की इसी हिम्मत को दर्शाती एक कहानी है अम्मू की। ‘अम्मू’ तेलुगु फिल्म है लेकिन इसे हिंदी , मलयालम और कन्नड में भी डब किया गया है।
क्या है ‘अम्मू’ की कहानी

फिल्म की कहानी मुख्य किरदार अम्मू के उपर आधारित है। अम्मू का किरदार एश्वर्या लक्ष्मी ने निभाया है। अम्मू एक आम लड़की की तरह अपनी शादी को लेकर बहुत से सपने देखती है। उसे शादी के बाद पति बहुत सम्मान देगा,प्यार करेगा लेकिन उसके सपने टूटने में ज्यादा समय नहीं लगता। लव मैरिज के बावजूद शादी की पहली ही रात उसके साथ जो होता है वह उस झकझोर कर रख देता है। उसका पति पहली ही रात किसी बात पर उसपर हाथ उठाता है, वह सदमे में आ जाती है कल तक जो इतने प्यार से रहता था अचानक जरा सी बात पर मारना। ये सिलसिला वही रूकता नहीं है ये हर दिन की कहानी बन जाती है और जब अम्मू अपनी मां को बताती है तो मां के तुमने कुछ किया तो नहीं पूछने पर सन्न रह जाती है। उसके बाद वह हिम्मत जुटाकर अपने पति की शिकायत पोलिस में करने के लिए जाती है लेकिन उसका पति उसी थाने में काम करता है जिसकी वजह से उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती। यहीं से शुरू होती है अम्मू के बदले की कहानी। अम्मू अपने पति को सबक सिखाने के लिए क्या कदम उठाती है। क्या उसके इस कदम से उसकी जिंदगी में बदलाव आएगा। इसको जानने के लिए अमेजन प्राइम पर अम्मू देखना तो बनता है।
फिल्म में क्या अच्छा क्या बुरा
फिल्म में सभी कलाकारों की एक्टिंग बेहद प्रभावशाली है। एश्वर्या लक्ष्मी ने अम्मू के किरदार को बखूबी निभाया है। उन्होंने इस किरदार में जान फूंक दी है। वहीं उनके पति का किरदार में नवीन चंद्रा ने भी बेहतर अभिनय किया है। बात करें निर्देशन की तो चारूकेश ने अपनी फिल्म की कहानी को पर्दे पर बखूबी उतारा है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कहीं-कहीं पर अच्छा नहीं लगा। वहीं बात करें कि क्यों देखें इस फिल्म को तो जब भी सामाजिक मुद्दों पर कोई प्रभावशाली तरीके से कुछ बनाता है तो देखने में वो नया ही लगता है। हालांकि आलिया की डार्लिंग्स देख चुके लोग कह सकते हैं कि बदले की कहानी में अलग क्या है। पर वो तो फिल्म देखने के बाद ही तय करना होगा। अच्छा अभिनय और कंटेट कभी बोर नहीं करते।
