‘वारिस ‘ सिरियल में उनका अम्बा का किरदार एक ऐसी मां का है जो समाज के रूढ़ीवादी रीति रिवाजों की वजह से अपनी बेटी को बेटा बनाकर पालती है। आरती सिंह से हुई एक मुलाकात मुम्बई ब्यूरो चीफ गरिमा चन्द्रा की-
वरिस और अम्बा का किरदार- अम्बा एक बेहद सवेंदनशील किरदार हैं, अब अम्बा का संघर्ष बढ़ने वाला है, उसका सपना है कि उसकी बेटी गांव की शाह बने। वह किसी भी कीमत पर जगन को गांव को बर्बाद नहीं करने देगी। इस तरह का रोल करने में मेहनत है। जीवन में संघर्ष मैंने जीवन में अलग तरह का संघर्ष किया है। जब मैं काम के लिये मुम्बई आई तो यह शहर मेरे लिये नया नहीं था। हम लोग छुट्टियों में चीची मामा (गोविन्दा) के पास आया करते थे। फिर जब काम के लिये आई तो मेरा भाई था रहने खाने की दिक्कत कभी नहीं हुई। वरना यहां पर रेन्ट पर घर लेकर रहना ही बहुत मुश्किल है, मेरे पास फैमिली सर्पोट था लेकिन एक्टिगं में आने के लिये मैंने रियल संघर्ष किया, आडिशन दिये, सभी तरह के रोल किये, यहां कोई यूहीं आपको काम नहीं देता, आज मुझे अपने काम और मेहनत की वजह से इज्जत मिल रही है और यह मेरे लिये वाकई गर्व की बात है।
एक्टिंग का क्रीडा- जब मेरा जन्म हुआ मेरे मामा टॉप के फिल्म एक्टर थे। मैं भी हमेशा से एक्टिंग को ही अपना प्रोफेशन बनाना चाहती थी। एक्टिगं तो हम लोग के खून में हैं, फैमिली में सभी एक्टर हैं तो दिल से मैं भी सिर्फ एक्टिंग करना चाहती थी। मैं बचपन से स्कूल कॉलेज के प्रोग्रामों में डांस करती थी।
फैमिली गेट टू गेदर-हम लोग का परिवार बहुत बड़ा है और सभी अपने-अपने काम में बिजी रहते हैं लेकिन फिर भी हम लोग महिने में एक बार कहीं न कहीं जरूर मिलते हैं। सब मिलकर खूब मस्ती करते हैं, बचपन की बातें करते हैं, एक दूसरे की बचपन की बातें याद करके खूब हंसते हैं। वहां पर एक्टिंग या प्रोफेशन की कोई बात नहीं होती, हम सब ही मजे हुए कलाकार हैं इसलिये एक दूसरे को कोई टिप्स देने का सवाल ही नहीं उठता।
गुस्सा-परेशानी- मुझे सबसे ज्यादा गुस्सा आता है जब कोई झूठ बोलता है, मेरे सामने कोई गलत काम करें तो या देर से पैक अप हो तो मैं टेंपर लूज करती हूँ। और मजेदार बात है कि गुस्सा और टेन्शन में मैं खूब खाती हूं, साथ ही खाना पकाना भी शुरू कर देती हूँ तो मेरा टेन्शन दूर हो जाता है। मुझे मटन स्टियू, राजमा, छोले, शाही टोस्ट सब बनाना आता है और बहुत ज्यादा गुस्सा हो तो मैं अकेले ही सब खा जाती हूं, किसी को चखने भी नहीं देती।
फेवरेट हॉलीडे-मुझे घूमने का बहुत शौक है। सिंगापुर, थाइलैंण्ड, बैकांक मलेशिया लन्दन यह सब जगह तो देख ली हैं, अभी अमेरिका जाना बाकी है। अपनी कमाई का एक हिस्सा घूमने के लिये जमा करती रहती हूं। मेरी तो आखिरी इच्छा भी यही है कि अपनी मम्मी के साथ घूमू। वैसे मुझे खाने कपड़े, जूते सभी का शौक है।
सपनों का राजकुमार – सबसे पहले तो मेरे राजकुमार को बहुत अच्छा इन्सान होना चाहिए सिर्फ मेरे साथ नहीं बल्कि हर एक के साथ। उसे गुड लुकिंग भी होना चाहिए हंसकर ”तभी तो बच्चे सुन्दर होगें।” फैमिली ओरियेन्टेड होना चाहिए अपनी फैमिली के साथ मेरी फैमिली की भी इज्जत करें। पैसा भी जिन्दगी बिताने के लिए जरूरी है। घूमने का शौक तो होना ही चाहिए।
गृहलक्ष्मी के पाठकों के लिए सन्देश – हमेशा सही का साथ देना चाहिए और फिर अपने आप हिम्मत आ जाती है। लोग मुझे मुंह फट कहते हैं लेकिन इसका कारण है कि मैं गलती या अन्याय सहन नहीं कर पाती और हमेशा साफ बोल देती हूं। मुझे लगता है कि सही का साथ तो उपर वाला भगवान भी देता है तो डरना किस बात से।
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