धारावाहिक ‘बालिका वधू’ में सुमित्रा के किरदार से घर- घर में अपनी पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस स्मिता बंसल की शादी को तकरीबन 16 साल हो चुके हैं। उनके पति अंकुश मोहला (जो पेशे से निर्माता-निर्देशक हैं) को आपने टीवी पर एक डांस रिएलिटी शो में देखा होगा। स्मिता और अंकुश एक-दूसरे को बतौर जीवनसाथी पाकर बेहद खुश हैं। पढ़िए इनकी सिंपल और सादगी भरी कहानी।
आप दोनों को एक-दूसरे की कौन सी चीज पसंद और नापसंद है?
स्मिता : (हंसते हुए) अंकुश के बारे में मैं क्या कहूं, जितना भी बोलूं कम होगा। अंकुश बेहद सुलझे हुए इंसान हैं। वो काम से ज्यादा परिवार को प्राथमिकता देते हैं। इनकी यही सादगी मेरा दिल चुरा गई। नापसंद की बात करें तो मुझे अंकुश का कम बोलना कभी-कभी खलता है।
अंकुश : (स्मिता की तरफ देखते हुए) जिंदगी को लेकर स्मिता बहुत ज्यादा सकारात्मक है। वह लोगों से दिल खोलकर मिलती-जुलती है। स्मिता का यही व्यक्तीत्व मुझे पसंद आ गया। स्मिता को अपना पार्टनर बना कर मैं बेहद खुश हूं, मैं मानता हूं कि मेरी किस्मत अच्छी है कि मुझे स्मिता मिली। रही नापसंद की बातें तो स्मिता की हर चीज़ स मझ प्यार है।

आप दोनों एक-दूसरे को कितना समय दे पाते हैं?
स्मिता: हम दोनों की कोशिश रहती है कि सारी एक्टिविटीज़ हम साथ में ही करें। हम उन कपल्स में नहीं हैं, जो अलग-अलग प्लानिंग करते हैं। हमें जो भी प्लान करना होता है हम साथ ही करते हैं। फिर चाहे टीवी देखना हो या फिल्म। पार्टीज़ में हम लोगों को जाना पसंद नहीं है। जब भी हम बाहर जाते हैं तो पूरी फैमिली के साथ जाते हैं।
अंकुश: व्यस्तता के चलते कई बार समय की कमी हो जाती है, पर जब भी समय मिलता है तो हम पूरी कोशिश करते हैं कि वह समय अपने परिवार व बच्चों के लिए हो।
ऐसी थी पहली मुलाकात
स्मिता: मैं और अंकुश धारावाहिक ‘श…कोई है’ की शूटिंग के दौरान मिले थे। इस सीरियल के पहले पाइलट एपिसोड में मैंने काम किया था। हमारे बीच प्रपोज़ करने जैसा कुछ नहीं था। ना मैंने इनसे कुछ ऐसा कहा, ना इन्होंने मुझे कुछ अलग से कहा। बस बात हुई हमारी और हमलोग शादी के लिए तैयार हो गए। हमारी फैमिली भी तुरंत तैयार हो गई और अब हमारी शादी को 16 साल बीत चुके हैं।
शादी के बाद कितना बदलाव आया?
स्मिता: देखिए, जब मेरी शादी हुई थी तो मेरी उम्र बहुत कम थी, उस वक्त मैं बहुत महत्वाकांक्षी थी। पर जब शादी हुई तो सारी चीजें बदल गईं। शादी के बाद पुरुषों पर उतना प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन महिलाएं बहुत बदल जाती हैं इसलिए मैं भी बदल गई। आज मैं पहले अपनी फैमिली व बच्चों के बारे में सोचती हूं क्योंकि वह मेरी पहली प्राथमिकता है।
अंकुश : शादी के बाद मेरे में काफी बदलाव आए है। मैं महसूस करता हूं कि मुझमें पहले से ज्यादा धीरज आ गया है। वैसे भी शादी के बाद जब आप परिवार के साथ रहते हैं तो आप हर तरह की परिस्थितियों स लड़ना सीख जाते हैं।

ऐसा क्या है, जो आप दोनों एक-दूसरे के साथ जरूर करते थे?
स्मिता: हम दोनों रोज़ रात में खाना खाने के बाद और सोने से पहले साथ में कम से कम आधे घंटे के लिए इंटरनेट पर कुछ न कुछ देखा करते हैं। आजकल तो नेटफ्लिक्स है, लेकिन हमारी ये आदत उस वक्त की है जब सीडी, डीवीडी का चलन था। फिर एक ऐसा भी समय आया जब अंकुश वीडियो डाउनलोड करके घर ले आते थे। ये हमारा समय बहुत खास होता है क्योंकि हम दोनों दिनभर इतना व्यस्त रहते हैं कि इसी समय हम आराम से एक-दूसरे की कंपनी को एंजॉय करते हैं।
अंकुश :हां, हम कोशिश करते हैं कि दिनभर की व्यस्तता के बाद साथ में थोड़ा समय बिताएं, कोई नया शो, कोई ट्रेंडिंग वीडियो देखें ताकि इससे हम अपडेट रहें, क्योंकि हमारा यही प्रोफेशन भी है।
कोई ऐसा गिफ्ट जो आपने बहुत प्लान करके दिया हो?
स्मिता: गिफ्ट देना तो अंकुश को आता ही नहीं है (हंसते हुए)। गिफ्ट लेना हो तो भी उनको बताना पड़ता है कि हां ये चाहिए, तो वो आ जाता है। लेकिन मैं जब भी मार्केट जाती हूं अंकुश और बच्चों के लिए कुछ न कुछ जरूर खरीद कर लाती हूं।
अंकुश : गिफ्ट देना मेरे लिए सच में मुश्किल काम है। मैं ये सोच ही नहीं पाता हूं कि क्या है। हां, जब कुछ खरीदना होता है, तो वो ले आता हूं। स्मिता को जब जो चाहिए, वो ला देता हूं।
पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक हैं। आपकी राय?
स्मिता: पहले मुझे गुस्सा ज्यादा आता था, जैसे कि मेरी मम्मी ने मुझे कुछ भी कहा तो मैं नाराज़ हो जाती थी, लेकिन अंकुश से मिलकर मेरा नज़रिया बदल गया है या ये कह सकती हूं कि अब मेरा नज़रिया पहले से ज्यादा बेहतर हो गया है। इसमें अंकुश की भूमिका बहुत है क्योंकि वही मुझे ये समझाते थे कि तुम्हारी मम्मी सालों तुम्हारा ख्याल रख चुकी हैं क्योंकि तुम छोटी थी। अब उन्हें अपने मन का करने दो।
अंकुश : स्मिता के अंदर कुछ कर दिखाने की आग है। मैं बहुत ही आराम से रहता हूं। वो मुझे भी कुछ ना कुछ नया करने के लिए उकसाती रहती है।

आप काम में एक-दूसरे की कितनी मदद करते हैं?
स्मिता: हमलोग पेरेन्ट्स के साथ ही रहते हैं। घर के काम मैनेज करने में अंकुश ज्यादा हेल्प नहीं कर पाते हैं। घर के काम में अंकुश से मैं तभी मदद मांगती हूं जब मुझे लगता है कि ये काम मैं नहीं कर पाऊंगी। घर और वर्क बैलेन्स करने में मेरी मदद मेरी मदर इन लॉ करती हैं। बच्चों के लिए भी लगभग सभी चीज़ें मैं ही करती हूं। अंकुश बस इस बात का ख्याल करते हैं कि जब मैं कुछ न कर पाऊं तो वो उसे सही तरह से मैनेज करें। कभी मुझे कुछ पढऩा हो, तो अंकुश बच्चों का सारा काम कर देते हैं।
अंकुश : हां, मैं स्मिता के कार्यों को शेयर करने की कोशिश तो करता हूं, लेकिन मैं
लकी हूं कि ज्यादातर चीजें स्मिता खुद मैनेज कर लेती है।
मियां-बीवी के झगड़े में जीत किसकी होती है?
स्मिता: ज्यादातर मेरी ही बात मान ली जाती है, वैसे भी अब तो हमारी शादी को 16 साल हो गए हैं। पहले मुझे अपनी बात मनवाने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ती थी, अब तो ये लगभग तय ही है कि मेरी ही बात मानी जाएगी। वैसे जब हम किसी बात पर एक जैसी राय नहीं रखते, तो मैं अंकुश की बातों से समझ जाती हूं कि मुझे बात बढ़ानी है या नहीं।
अंकुश : देखिए, दो लोग एक ही जैसा सोचे ये जरूरी नहीं है। दोनों अलग-अलग जगह से आते हैं और एक लाइफ शुरू करते हैं तो जरूरी नहीं उनके बीच हर बात पर रजामंदी हो, लेकिन पति-पत्नी की लड़ाई में कोई भी बात दिल पर नहीं लेनी चाहिए।

मेमोरेबल ट्रैवल डेस्टिनेशन्स
स्पेन, पैरिस कुछ ऐसी जगहें हैं जहां घूमना हमारे लिए यादगार है। उन पलों को हम आज भी याद करते हैं।
पेरेन्टिंग मंत्रा
स्मिता: मेरा मानना है कि बच्चों के साथ माता-पिता को बातचीत करते रहना चाहिए।
