सान्या मेल्होतरा इस फ़िल्म से अपने बॉलीवुड ऐक्टिंग करीयर की शुरुआत कर रही है, जबकि  फ़ातिमा साना शेख़ को दर्शक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में ‘चाची 420’ और ‘वन टू का फ़ोर’ फ़िल्म में पहले भी देख चुके है । 

दिल्ली की रहने वाली सान्या को बचपन से ऐक्टिंग का शौक़ रहा है। बेले डान्स में पारंगत सान्या ने रीऐलिटी शो ‘डान्स इंडिया डान्स’ का दिल्ली ऑडिशन पास किया था । उसके बाद वे अपनी क़िस्मत आज़माने मुंबई आ गई। कई विज्ञापनों में काम कर चुकी सान्या को 5-6 ऑडिशंज़ पास करने के बाद ‘दंगल’ में बबीता कुमारी का रोल मिला ।


बतौक चाइल्ड आर्टिस्ट अपने करियर का शुरूआत करने वाली फ़ातिमा साना शेख़ की मम्मी चाहती थी कि उनके बच्चे ऐक्टिंग करे और इसलिए फ़ातिमा ने बचपन में कई फ़िल्मे और ऐड्ज़ किए । किंतु बड़े होने पर यह फ़ातिमा की अपनी चॉईस थी कि वो इसी बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना करीयर बनाए । फ़ातिमा ‘दंगल’ में गीता का किरदार निभा रही हैं ।

रियल लाइफ़ में गीता और बबीता से बेहद प्रभावित सान्या और फ़ातिमा अभी सिर्फ़ एक रेस्पॉन्सिबल सिटिज़ेन बनाना चाहती हैं। उनका कहना है कि अगर वो अपने आस-पास सफ़ाई रखे, पानी वेस्ट ना करे और अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए वोट दें, तो देश के लिए कुछ कर पाएंगी ।

कहां से लगा ऐक्टिंग का कीड़ा –


सान्या
 – मैं हमेशा से ऐक्टिंग को अपना करियर बनाना चाहती थी। बचपन से मुझे डांस का भी शौक़ था । मैं दिल्ली की रहने वाली हूं इसलिए वहां मुझे ऐक्टिंग की ज़्यादा ऑपरच्यूनिटी नहीं मिलती थी। मैंने सबसे पहले डांस रीऐलिटी शो ‘डांस इंडिया डांस’ का ऑडिशन दिया था, दिल्ली में सलेक्ट होने के बाद मुझे मुंबई आने का चान्स मिला, उसके फ़ाइनल राउंड में तो मैं सलेक्ट नहीं हो सकी लेकिन अपना ग्रैजूएशन कम्प्लीट करने के बाद मैं मुंबई शिफ़्ट हो गई।पिछले तीन साल से मैं मुंबई में हूं, बहुत सारे ऑडिशंस दिए, कई ऐड फ़िल्मों में काम किया, फिर ‘दंगल’ के ऑडिशन का चांस मिला और क़रीब पाँच या छः राउंड होने के बाद मुझे बबिता का किरदार मिला। हर राउंड के बाद बहुत टेन्शन होता था, जवाब के इंतज़ार में दिल टूटने लगता था, बहुत कठिन समय था ।


फ़ातिमा 
– मैं तो बचपन से ऐक्टिंग करती आ रही हूं, उस वक़्त तो मुझे पता ही नहीं था कि ऐक्टिंग क्या होती है। जैसे डेली रूटीन में स्कूल जाते हैं, खाते-पीते है, वैसे ही मैं ऐक्टिंग को भी लेती थी। फिर एक समय आया जब मैं ऐक्टिंग से ऊब गई, बोर होने लगी । लेकिन जब मैंने ऐक्टिंग करना छोड़ दिया तो उसे मिस करने लगी, लाइफ़ में कुछ खोखलापन सा आ गया। फिर मैंने कॉलेज ड्रॉप आउट करके पूरी तरह से इसी एंटरटेन्मेंट इंडस्ट्री में करियर बनाने का फ़ैसला किया। तीन-चार साल ऐड फ़िल्मे की, फ़ोटोग्राफ़ी सीखी ,बहुत सारे ऑडिशंज़ दिए और फिर ‘दंगल’ में गीता के रोल के लिए सलेक्ट हुई ।

बेटियों के अस्तित्व को बचाने का है ‘दंगल’- आमिर खान 

 

ऐसा रहा बॉलीवुड का अनुभव-


सान्या
 – मेरे लिए तो बॉलीवुड जन्नत की तरह है, हमेशा से इसके बारे में सिर्फ़  पढ़ती आई थी, पास से देखने का इसके पहले कभी मौक़ा नहीं मिला । लेकिन मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि मुझे बेस्ट प्रोडक्शन हाउस में काम करने का मौक़ा मिला, सब लोग बहुत अच्छे है, हेल्पफुल हैं । अभी तक तो मेरे साथ कोई बुरा एक्सपीरियंस नहीं हुआ है।


फ़ातिमा
 – बॉलीवुड मेरे लिए नया नहीं है। बचपन से काम कर रही हूं, तो यहां के बारे में काफ़ी कुछ जानती हूँ । बच्चों को तो यहाँ बहुत प्यार से काम कराते  हैं, चॉक्लेट देते है, पैम्पर करते है । शूटिंग में जाना अम्यूज़्मेंट पार्क में जाना जैसा लगता है ।  मैं यहां बहुत लोगों से मिली हूं, कुछ अच्छे हैं, तो कुछ अच्छे नहीं भी हैं। हां, हमारे आस-पास के लोग बहुत सपोर्ट करने वाले थे।

ऐसा था स्ट्रगल का दौर –

फ़ातिमा – स्ट्रगल का दौर बहुत मुश्किलों भरा था। कभी-कभी तो डिप्रेशन भी होता है, जब आप ऑडिशन दे और शॉर्ट लिस्ट हो जाएं, लेकिन फिर काम ना मिले । बस फोन कॉल या मेसेज का वेट करते रहो ,कभी-कभी तो टीवी पर देख कर मालूम पड़ता है कि ये ऐड आ गया जिसके लिए हम शॉर्ट लिस्ट हुए थे ।


सान्या
 – मुझे लगता है कि ये सब  हमारी जर्नी का एक हिस्सा है, ऑडिशंज़ देना, सलेक्ट होना या ना होना, जवाब का वेट करना, बार-बार फ़ोन चेक करना, इसका भी अपना एक अलग मजा है ।

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आमिर खान हैं गॉड फ़ॉदर

सान्या – आमिर सर हमेशा से मेरे फ़वरेट एक्टर रहे हैं। उनकी फ़िल्में ‘थ्री इडीयट’, ‘तलाश’, ‘अन्दाज़ अपना अपना’, ‘तारे जमींन पर’ देख कर ही हम बड़े हुए हैं। उनके साथ एक्टिंग करने का अनुभव बहुत अच्छा है। वो अपने आप में एक इन्स्टिट्यूशन हैं। उन्होंने हमेशा हमें सेट पर कमफर्टेबल फ़ील कराया है, कभी ग़ुस्सा नहीं किया,  हमेशा हमारी सराहना की और हमारी सोच को एक डायरेक्शन देने की कोशिश की । मैं उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना गॉड फ़ादर मानती हूं ।

फ़ातिमा – मेरी आमिर सर से पहली मुलाक़ात दंगल के ऑडिशंज़ के समय हुई थी, यूं तो मैं भी उनकी फ़ैन हूं। लेकिन उस समय आमिर सर का वेट 95 के जी था, वे एक स्वीट से टेडी बीयर की तरह लग रहे थे। इतने बड़े स्टार होने के बाद भी वो बेहद सिम्पल और नम्र हैं । हम तो बस उन्हें देखते ही रह गए ।  सभी जानते है कि आमिर सर पेरफ़ेक्शनिस्ट है ,अपने काम के प्रति बेहद पैशनट भी हैं ।

फ़िट्नेस और फूड के साथ संतुलन

सान्या – फ़िल्म की शूटिंग से पहले हम दोनों को बाक़ायदा फ़िट्नेस की ट्रेनिंग दी गईं थी। अभी भी हम अपनी फ़िट्नेस का ख्याल रख रहे हैं। डेली वर्काउट करते है क्रॉस फ़िट , रनिंग जॉगिंग करते हैं ।


फ़ातिमा
 -मैं भी डेली वर्क आउट करती हूं। पहले तो खाने-पीने पर बहुत रेस्ट्रिक्शन था, लेकिन अब हम ख़ुद अपनी फ़िट्नेस के लिए हेल्दी खाना खाते हैं। (हँस कर) सान्या तो उस समय भी रोज़ चीट करती थी और पिज़्ज़ा खा लेती थी। मुझे तो घी, मलाई और ब्रेड-बटर बहुत पसंद है लेकिन मैं अच्छी बच्ची की तरह खाने में कंट्रोल कर लेती हूँ ।

असली गीता-बबीता से यूं हुई मुलाकात

सान्या और फ़ातिमा दोनों बताती हैं,’हमें डेली गीता और बबीता के विडीओ दिखाए जाते थे। हम उनका चलना, उठना, बैठना सब फ़ॉलो करते थे। उनके रेस्लिंग का स्टाइल, उनकी इंटर्नैशनल लेवल की फ़ाइट्स के विडीयो देख कर हम ट्रेनिंग लेते थे और जब मुहूर्त शॉट के समय हम दोनों ने पहली बार असली गीता जी और बबीता जी को देखा तो हमें सच में बहुत ख़ुशी हुई ।’


सिलेब्रिटी स्टैटस 


सान्या
 – अभी तो बहुत ख़ुशी हो रही है ,बहुत इक्सायटेड हूँ ,बहुत सारे इमोशंज़ आते है, कभी-कभी तो रोना आ जाता है। अपने करियर की शुरुआत में ही इतने बड़े-बड़े सिलेब्रिटीज़ से मिलने का मौक़ा मिल रहा है, सब से मिल कर लगता है कि ऑटोग्राफ़ ले लूं या सेल्फ़ी खींच लूं।
फ़ातिमा
 – चाइल्ड आर्टिस्ट होने के बाद भी आज जो मिल रहा है वो बिलकुल अलग है । आमिर सर के साथ “कॉफ़ी विद करन” में जाना, बड़े-बड़े सिलेब्रिटीज़ से मिलना बहुत बड़ी बात है । मैंने तो बचपन में शाहरुख़ खान सर के साथ काम किया है लेकिन मैं अभी भी उनकी बहुत बड़ी फ़ैन हूँ ,शायद सामने मिलने पर ऑटोग्राफ़ और सेल्फ़ी ज़रूर लूँगी ।

एक दूजे के वास्ते –

सान्या – फ़ातिमा मेरी को-ऐक्टर हैं, हमने फ़िल्म में  सिस्टर की भूमिका की है, लेकिन रियल लाइफ़ में मुझे फ़ातिमा के रूप में सोल सिस्टर मिल गई है ।फ़ातिमा बेहद हार्ड वर्किंग और समझदार है ।


फ़ातिमा 
– सान्या मेरी दोस्त, सिस्टर और मेंटॉर सब है । सान्या मेरी कमियों को बताती है, ज़रूरत पड़ने पर मुझे समझाती भी हैं । किसी भी अप्रूवल के लिए मैं सान्या की तरफ़ ही देखती हूं ।

 

 

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