gustav-klimts-Painting
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Summary: इतनी कीमत किसी को नहीं मिली

गुस्ताव का यह पोर्ट्रेट 1914 से 1916 के बीच बनाया गया था और कलाकार के विशिष्ट गोल्डन-टेक्सचर स्टाइल में तैयार हुआ है। अब यह दुनिया में सबसे महंगा मॉडर्न आर्ट है।

Gustav Klimt Painting Sold: न्यूयॉर्क में आयोजित सोथबीज़ की नीलामी में ऑस्ट्रियाई कलाकार गुस्ताव क्लिम्ट की एक दुर्लभ पोर्ट्रेट पेंटिंग ने इतिहास रच दिया। “बिल्डनिस एलिज़ाबेथ लेडे़रर” नाम की यह कलाकृति 236.4 मिलियन डॉलर (2000 करोड़ रुपए) में बिकी, जिससे यह नीलामी में बिकने वाली दुनिया की दूसरी सबसे महंगी पेंटिंग बन गई। साथ ही यह नीलामी में बिकने वाली अब तक की सबसे महंगी मॉडर्न आर्ट भी घोषित हुई।

यह पोर्ट्रेट 1914 से 1916 के बीच बनाया गया था और कलाकार के विशिष्ट गोल्डन-टेक्सचर स्टाइल में तैयार हुआ है। मंगलवार की रात 18 नवंबर को सोथबीज़ के नए ब्रेयर बिल्डिंग वाले ऑक्शन हॉल में इसे पेश किया गया। पेंटिंग को लगभग 20 मिनट चली तीखी बोली के बाद 205 मिलियन डॉलर (फीस से पहले) और 236.4 मिलियन डॉलर (फीस सहित) में बेचा गया। यह नीलामी फोन पर बोली लगाने वाले एक खरीदार ने जीती।

यह नीलामी खास थी क्योंकि यह एस्टे लॉडर कॉस्मेटिक्स साम्राज्य के वारिस लिओनार्ड लॉडर के विशाल कला संग्रह की बिक्री का हिस्सा थी। लॉडर के संग्रह ने इस नीलामी में फीस से पहले ही 600 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई कर ली, जबकि अनुमान 522.8 मिलियन डॉलर का लगाया गया था। क्लिम्ट का यह पोर्ट्रेट इस पूरी नीलामी का “स्टार आइटम” रहा।

इस रिकॉर्ड कीमत ने कलाकार एंडी वॉरहोल की पेंटिंग “सेज शॉट ब्लू मर्लिन” के 2022 में बने 195 मिलियन डॉलर के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। वॉरहोल का यह काम अब मॉडर्न आर्ट की श्रेणी में दूसरे स्थान पर है। आर्ट जानकारों के अनुसार “मॉडर्न आर्ट” 1880 के दशक से लेकर 1970 तक की कलाकृतियों को माना जाता है, जबकि इसके बाद के काम “कॉन्टेम्पररी आर्ट” की श्रेणी में आते हैं।

gustav klimt's Painting worth 2000 CRORE
gustav klimt’s Painting worth 2000 CRORE

गुस्ताव क्लिम्ट अपनी “आर्ट नोवो” शैली के लिए विश्वप्रसिद्ध रहे हैं। 1862 में जन्मे और 1918 में निधन तक उन्होंने वियना की उच्च समाज की महिलाओं के खास और भव्य पोर्ट्रेट बनाए। यही वजह है कि उनके काम संग्रहकर्ताओं की पहली पसंद माने जाते हैं। एलिज़ाबेथ लेडे़रर, जिनका यह पोर्ट्रेट है, वियना के प्रतिष्ठित लेडे़रर परिवार से थीं। क्लिम्ट ने इस परिवार के कई सदस्यों के चित्र बनाए थे।

इस पेंटिंग का इतिहास भी नाटकीय है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तैयार हुआ यह पोर्ट्रेट बाद में नाज़ियों ने चुरा लिया, ठीक वैसे ही जैसे क्लिम्ट के अधिकतर यहूदी परिवारों से जुड़े कामों के साथ हुआ। बाद में 1980 के दशक में इसे लिओनार्ड लॉडर ने खरीदा और तब से यह उनकी निजी कला-संग्रह की शान बना रहा। लॉडर का निधन इसी साल जून में हुआ, जिसके बाद यह संग्रह नीलामी के लिए उपलब्ध हुआ। नीलामी में क्लिम्ट की अन्य कलाकृतियां भी शामिल थीं, जिनमें 1908 का एक लैंडस्केप 86 मिलियन डॉलर (फीस सहित) और 1916 की एक रचना 68.3 मिलियन डॉलर में बिकी।

क्लिम्ट की अब तक की सबसे महंगी पेंटिंग “लेडी विद फैन” (1917) थी, जो 2023 में 85.3 मिलियन पाउंड में बिकी थी। लेकिन “एलिज़ाबेथ लेडे़रर पोर्ट्रेट” ने इसे भी बहुत पीछे छोड़ दिया और कलाकार के पूरे करियर का नया मूल्य-रिकॉर्ड स्थापित कर दिया। इस ऐतिहासिक नीलामी के साथ गुस्ताव क्लिम्ट का नाम एक बार फिर दुनिया की कला-व्यवस्था में सबसे ऊपर छा गया है और यह साफ हो गया है कि 100 साल पुरानी कला आज भी दुनिया के अमीर कला-संग्रहकर्ताओं के दिल और जेब दोनों पर कब्जा जमाए हुए है।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...