खूबसूरत दिखने की चाहत किसे नहीं होती लेकिन खूबसूरत दिखने के लिए अपने जिस्म से खिलवाड़ करना आज आम होता जा रहा है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो किसी भी हद तक जाकर अपनी यह तमन्ना पूरी कर ही लेते हैं। इसके लिए उन्हें कितने ही पैसे खर्च कर सर्जरी या बदन-चेहरा छिलवाना क्यों न पड़े। यह चाहत अक्सर जुनून की हद तक भी बढ़ जाती है। लड़कियां जहां कॉस्मेटिक सर्जरी से अपनी नाक, होठ, फेसकट पसंदीदा अभिनेत्री जैसे बनवाना चाहती हैं वहीं युवक अभिनेता जैसा बनना चाहते हैं। कोई ऐश्वर्या राय जैसी नाक चाहती है तो कोई ह्रितिक रोशन जैसी जॉलाइन चाहता है।
बहुत से लोग जॉन अब्राहम की तरह गालों पर डिंपल खुदवाते हैं, चाहे इसके लिए लाखों वारे-न्यारे हों। लड़कियां ही नहीं, लड़के भी स्किन लाइटनिंग के माध्यम से गोरा रंग पाने के लिए लाखों के ट्रीटमेंट करवाते हैं। मोटे होंठ और बड़ी या मोटी नाक को आकर्षक रूप देना कुछ ही घंटों का काम है। उम्रदराज चेहरे से झुर्रियां गायब कर गालों को भरा-भरा दिखाने के लिए बस एक दिन ही काफी है। इसी तरह हल्के होते बालों को बेहतर और घना बनाने के लिए हेयर ट्रांसप्लांट और पीआरपी हेयर ग्रोथ थेरेपी को युवा अच्छी तरह से जानते हैं।
कम ही लोगों को पता होगा कि वर्ष 2010 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ऐस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी के सर्वेक्षण में सामने आया है कि कॉस्मेटिक सर्जरी के मामले में भारत चौथे स्थान पर है। खास यह कि भारत में होने वाली 10 में से तीन सर्जरी युवक करवा रहे हैं यानी खूबसूरती की यह इंडस्ट्री पुरुषों, खासतौर पर युवकों के कारण ही चरम पर है। पिछले पांच साल में सर्जरी के लिए आने वाले युवकों की संख्या में 60 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई। खूबसूरती की बढ़ती चाहत बॉलीवुड और विज्ञापनों में दिखने वाले मॉडल्स की नकल का प्रतिफल है जहां सितारे अपनी शर्ट उतार कर बदन का प्रदर्शन करते हैं। इससे देश के सामान्य युवकों में भी बदन के आकर्षण और दिखावे को लेकर एक अजब सनक सवार हुई है जो पागलपन की हद तक पहुंच चुकी है।
मर्दों के आकर्षक व्यक्तित्व की परिभाषाएं बदल चुकी हैं। पहले जहां छाती के बाल मर्दों के खूबसूरत व्यक्तित्व का हिस्सा माने जाते थे वहीं अब चौड़ी और चिकनी छाती आकर्षक मानी जाती है। इसके लिए युवक लेजर जैसे स्थाई उपचार अपनाने से भी नहीं डरते। इसी तरह से डार्क एंड हैंडसम की जगह फेयर को हैंडसम माना जाने लगा है। चेहरे का रंग गोरा करवाने के लिए कितने ही पुरुष पील्स और स्किन लाइटनिंग सैशन जैसे उपाय अपनाने लगे हैं।
ठीकठाक वजन होने के बावजूद युवक सिक्स पैक बनाने के लिए जिम जाने के बजाय सर्जरी कराने लगे हैं। ज़ॉलाइन को चौड़ा करवाने के लिए सर्जरी या डर्मल फिलर्स का इस्तेमाल किया जाता है। पिछले कुछ सालों में ऐसे अनेक उपाय सामने आए हैं जिनमें सर्जरी की जरूरत नहीं होती, सिर्फ एक इंजेक्शन के कमाल से आपके चेहरे का रंग-रूप बदल जाता है। छाती कम करवाने के लिए मेल ब्रेस्ट रिडक्शन औरगठीला बदन पाने के लिए लिपोसक्शन कराने वालों की भी कमी नहीं है। गंजेपन के शिकारों में पुरुषों के साथ महिलाएं भी काफी हैं, जिन्हें हेयर ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है।
खूबसूरती के बढ़ते ट्रीटमेंट्स के साथ इसके बेअसर होने और दुष्प्रभावों के मामलों की संख्या भी कम नहीं है। लिपोसक्शन कराने वाले कुछ लोगों की शिकायत है कि इसके बाद वे ऊर्जा में कमी महसूस करने लगे हैं जबकि हेयर ट्रांसप्लांट कराने वाले कुछ लोग तो अपने उन बालों से भी हाथ धो बैठे हैं जो उन्होंने इस उम्मीद में निकलवाए थे कि वे सिर के ऊपरी हिस्से के गंजेपन को खत्म कर देंगे। हेयर ट्रांसप्लांट बारे में लोगों को पूरी जानकारी नहीं है।
आम धारणा है कि हेयर ट्रांसप्लांट से गंजेपन वाले स्थान पर बाल लगाए जाते हैं। यह बात सही है लेकिन पूर्णतया सही नहीं है। दरअसल हेयर ट्रांसप्लांट के मामले में सिर के पीछे के बालों को जड़ समेत निकाल कर गंजेपन वाले हिस्से में लगाया जाता है। लेकिन कॉस्मेटिक क्लीनिक्स की ही तरह हेयर ट्रांसप्लांट क्लीनिक्स के कम ही मरीज ट्रीटमेंट से संतुष्ट होते हैं। खूबसूरती के इस कारोबार में नित नई तकनीकें जगह बना रही हैं।
बड़े व मेट्रो शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों में भी कॉस्मेटिक क्लीनिक्स की संख्या बढ़ती जा रही है। लाखों-करोड़ों के इस कारोबार में कुछ डॉक्टर सही होते हैं लेकिन गुमराह करने वालों की भी कमी नहीं है। डॉक्टरों का पेशा कहता है कि इलाज करने से पहले इसके दुष्प्रभावों के बारे में भी रोगी को जानकारी दी जानी चाहिए लेकिन इक्का दुक्का डॉक्टर ही ऐसा करते होंगे।
खूबसूरती के पीछे अंधाधुंध भागने से पहले इस कारोबार की असलियत का पता होना चाहिए। जरूरी है यह पता करना कि डॉक्टर के पास असली डिग्री है भी या नहीं। जरूरी है जानना कि ट्रीटमेंट आपकी चाहत पूरी होने की गारंटी देता है या नहीं। साथ ही बेहद जरूरी है ट्रीटमेंट्स के बाद होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानना भी।
