Comedy Story: “अजी उठिए, सात बज गए। और कितना सोएंगे ?” शहद टपकती आवाज मेरे कानों में पड़ी तो मैं हड़बड़ा कर उठ गया। आँखें मलते हुए मैंने मुआयना किया कि मैं अपने ही घर में तो हूँ न। जब यकीन हो गया तब मैंने उन्हें गौर से देखा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि […]
Author Archives: विनोद प्रसाद
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बंधन – गृहलक्ष्मी की कहानियां
दफ्तर से लौटते हुए रात हो गयी तो राधा ने टैक्सी ले ली। टैक्सी में बैठते ही राधा ने देखा कि ड्राइवर हट्ठा-कट्ठा नौजवान था।एकबारगी तो उसने सोचा कि वह इस टैक्सी को छोड़कर दूसरी टैक्सी ले लें, पर रात का वक्त था और उस ड्राइवर के सामने वह स्वयं को कमजोर नहीं दर्शाना चाह […]
