Posted inकविता-शायरी, हिंदी कहानियाँ

हमारे लिए बेशक नहीं खरीदा गया-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: गुड्डा/गुड़िया या खेल खिलौनापर हमें याद रखना होगाके हमें तैयार किया गया ऐसे कि हम हर माहौल में खुशव एडजस्ट हो सके,,, हमें सिखाते सिखातेवो खुद को ही भूल गईकि अब कहती हूँअम्मा अब तुम अपने लिए जिओअपने पसन्द की चीजें खरीदोमां अब तुम छोटी हो जाओकि तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई है!!!

Posted inप्रेरणादायक कहानियां, सामाजिक कहानियाँ (Social Stories in Hindi), हिंदी कहानियाँ

मेरे जीवन के चार पुरुष-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Hindi Social Story: आज जब प्यार पर लिखने बैठी तो,जन्म से आज तक के इस पड़ाव पर नजर डाली,आज के समय जैसा प्यार तो मेरे जीवन मे कभी आया ही नही तो,क्या लिखूं प्यार के विषय में….. आज तक प्यार के नाम पर कभी धड़कन तेज ना हुई,ना कभी दिल के सितार बजे।वैसे देखने मे तो ठीक -ठाक […]

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