Grehlakshmi Story: आज की सुबह का आकाश एकदम साफ था, आज मेरे मन पर भी कोई सिलवट बाकी नहीं थी। मैंने गहरी लम्बी सांस ली और कीर्ति मेरी जिगरी यार को फोन लगा दिया।‘प्रीती क्या हुआ आज सुबह-सुबह कैसे याद किया? और कल से तुम्हारा फोन क्यों स्विच ऑफ जा रहा? कीर्ति लगातार सवाल पर […]
Author Archives: डॉ शालिनी सिंह
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घाव जो भरते नहीं: गृहलक्ष्मी की कहानी
Grehlakshmi Kahani: सुबह का अलार्म बजते ही मेरी आंख खुल गई, मैं जो रात भर अलार्म बजने के डर से भर आंख सो भी न पाई थी। ‘जतिन जल्दी उठो’ मैंने जतिन को आवाज दी। ‘सुगंधा प्लीज प्लीज पहले एक कप चाय पिला दो, तब उठ पाऊंगा’, जतिन ने कहा। तो मैं फटाफट किचन में […]
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बहू का जन्मदिन-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Birthday Story: दिसंबर की गलन भरी रातों में ठिठुरते हुए कितना इंतज़ार रहता है उन सुबहों का, जिनमें सूरज दरवाज़ों और खिड़कियों से अपने पूरे उजास के साथ झाँकता हो. इस मौसम में देह ठंड में सिकुड़े सिकुड़े कैसे अकड़ सी जाती है. तो आज ऐसी ही खिली-खिली धूप निकली थी और मैं इस […]
