गर्मी से राहत पाने के लिए लोग सॉफ्ट ड्रिंक्स का भरपूर उपयोग करते हैं किन्तु कई बार इन ड्रिंक का प्रभाव हमारे शरीर पर नकारात्मक रूप से भी पड़ता है कैसे? आइए जानते हैं।

गर्मियों के मौसम में सभी को प्यास बहुत लगती है, और उस प्यास को बुझाने के लिए आज सभी पानी की जगह सॉफ्ट ड्रिंक्स कोला, पेप्सी जैसे पेय पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन सभी को पता नहीं कि ये ड्रिंक्स किस हद तक नुकसानदायक हो सकते हैं।
अत: इन पेय पदार्थों का प्रयोग करने से कौन-सी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं आइए जानते हैं

हड्डियां प्रभावित होती हैं

कैल्शियम की अधिक मात्रा हड्डियों में होती है और कैल्शियम की पूर्ति दूध, या दूध से बने पदार्थों से होती है। लेकिन कोला कुछ हद तक हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है। कुछ समय बाद हमारे जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। माना जाता है सॉफ्टड्रिंक्स में पाये जाना वाला फास्फोरिक एसिड शरीर में कैल्शियम की मात्रा को कम कर देता है। जिससे क्षरण का खतरा बढ़ जाता है।

डिप्रेशन और तनाव

सॉफ्ट ड्रिंक पीने से व्यवहार पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इससे तनाव और डिप्रेशन होने का खतरा रहता है। सॉफ्ट ड्रिंक में मिलाए गए रसायनिक तत्त्वों से दिमाग के रासायनिक कंपोजिशन पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में सॉफ्ट ड्रिंक का अधिक सेवन करने से भविष्य में डिप्रेशन और तनाव होने का खतरा बना रहता है।

मधुमेह होने का खतरा

जो लोग पहले से ही मोटे हैं और उनके परिवार में पहले भी कोई मधुमेह से पीड़ित रह चुका है तो उसे सॉफ्ट ड्रिंक से एकदम दूरी बना लेनी चाहिए। सॉफ्ट ड्रिंक में जिस मात्रा में शुगर मौजूद होता है वो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

किडनी होती है प्रभावित

सॉफ्ट ड्रिंक का असर किडनी पर भी पड़ता है, इससे किडनी की सक्रियता पर असर पड़ता है और उसके ऌफंक्शन पर भी, जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है।

कोल्ड डिं्रक पीने के एक घंटे के अंदर-अंदर छोटी आंत में मैग्नीशियम, कैल्शियम तथा जिंक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है जो हमारे शरीर की सेहत के लिए एक खतरनाक लक्षण है।

कोला या सॉफ्टड्रिंक्स आपके दांतों में कोटर आदि पैदा कर सकते हैं, अगर आपने इसका प्रयोग अधिक मात्रा में किया हो तो। इसके साइडइफेक्ट के चलते मुंह हमेशा सूखा सूखा रहता है, तथा लार पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाता। जिससे मुंह के अंदर मौजूद एसिड घुल नहीं पाता। इससे दांत प्रभावित होते हैं।

शक्कर ही मुख्य समस्या

माना जाता है कोला या अन्य पेय पदार्थों में जो भी कैलोरी की मात्रा बढ़ी होती है, उसका मुख्य कारण उसमें डाली गयी शक्कर की मात्रा है। डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर 320 मिली कोला की बोतल में हाई फ्रक्टोस कॉर्न सिरप के तौर पर मिठास होती है, जो कि सामान्य शक्कर के 10 छोटे चम्मच के बराबर होती है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है, कि यह शरीर के मेटाबॉलिज्म पर असर डालता है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल गड़बड़ा जाता है और भूख भी बढ़ जाती है। फिर भी सामान्यत यह माना जाता है कि इससे एच.एफ.सी.एस. वजन और डायबिटीज को बढ़ावा मिलता है।

ऌफल लेना है बेहतर

आज लोग फाइबर के साथ कैलोरी प्रदान करने वाले फल के जगह जूस का इस्तेमाल ज्यादा पसंद करते हैं। जबकि माना जाता है जितनी कैलोरी सॉफ्टड्रिंक्स में होती है, उतनी ही कैलोरी जूस में भी होती है। लेकिन इन दोनों से अच्छा फल खाना है, क्योंकि इसमें फाइबर के साथ-साथ विटामिन्स मिनरल्स आदि मिलते हैं। इसलिए हमें ज्यादा मात्रा में गर्मियों में फल लेने चाहिए। जिससे सभी तत्त्वों की पूर्ति हो जाए।

सॉफ्ट ड्रिंक पर किए गए शोध

ड्रिंक्स का प्रभाव हमारे शरीर के अंगों के साथ-साथ कई और व्याधियां उत्पन्न करता है। यूनिवर्सिटी ऑफ येल का मानना है, कोला हार्ड बर्न जैसी स्थितियों को पैदा करता है। माना जा रहा है कि इसमें सिऌर्फ कोला ही जिम्मेदार नहीं होता, बल्कि कार्बोनेशन से भी पेट फूल जाता है, और जलन उत्पन्न होती है। दांत भी प्रभावित होते हैं।

इन सभी बातों के बावजूद भी अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि ‘सॉफ्टड्रिंक्स में इस्तेमाल होने वाले कृत्रिम स्वीटनर्स (एस्पर्टम, या सुक्रालोस) सुरक्षित हैं।Ó इटली में एक अध्ययन में इसमें खामियां बताई गयी थीं। लेकिन यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने बाद में इसे बिल्कुल सुरक्षित करार दिया है।

एक शोध में पाया गया है कि कोल्ड डिं्रक की एक 200 मिली लीटर की बोतल में करीब 10 चम्मच के बराबर शुगर होती है जो एक सामान्य व्यक्ति की दिनभर के भोजन के बराबर होती है।

वैसे तो सॉफ्टडिं्रक्स को मोटापा का वाहक माना जाता है, लेकिन कहीं-कहीं यह हमारे वजन को भी कम करने में मददगार होता है, बशर्ते उचित मात्रा में इन पेयों का सेवन किया जाय। ब्रिट्रेन के शोधकर्ताओं के मुताबिक खानपान में शक्कर की जगह एस्पार्टम को मीठे के तौर पर इस्तेमाल करने से कैलोरी कम मिलती है और वजन घट जाता है। लेकिन इसे प्रयोग करने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें।

अत: कोला सुरक्षित हो या नहीं, लेकिन इतना तो तय है कि जो चीज कृत्रिम है, वह नुकसानदायक होती ही है, उसका प्रभाव हमारे मेटाबॉलिज्म पर पड़ता ही है। अत: सभी इसका सेवन करें लेकिन संभलकर क्योंकि यह धीरे-धीरे अपना प्रभाव दिखाता है।

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