summary: भारत के अधिकांश लोग नींद की कमी से जूझ रहे हैं, अध्ययन में हुआ खुलासा
आज के तेज़ भागदौड़ वाले जीवन में नींद को सबसे कम प्राथमिकता दी जा रही है। लोग देर रात तक मोबाइल, काम या तनाव में उलझे रहते हैं, जिसका सीधा असर उनकी नींद पर पड़ता है।
India sleep Deprivation: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग अपने काम और मोबाइल फोन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि नींद को नजरअंदाज कर रहे हैं। पहले लोग रात को जल्दी सोते थे और सुबह ताज़गी से उठते थे, लेकिन अब ज़्यादातर लोग रात भर जागते रहते हैं और दिन में थकान महसूस करते हैं। यह आदत धीरे-धीरे हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। नींद सिर्फ आराम करने के लिए नहीं होती, बल्कि यह हमारे दिमाग और शरीर को सही ढंग से काम करने में मदद करती है। लेकिन एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि दुनिया में दूसरा सबसे ज़्यादा कम नींद लेने वाले लोग भारत में हैं। तो चलिए जानते हैं यह रिसर्च क्या कहती है।
रिसर्च में भारत का ज़िक्र
एक ताज़ा रिसर्च के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा नींद से वंचित देश बन चुका है। इस रिसर्च में यह बात सामने आई है कि करीब 60% भारतीय वयस्क हर रात 6 घंटे से भी कम सोते हैं। आमतौर पर एक व्यक्ति को रोज़ाना 7 से 8 घंटे की नींद चाहिए होती है, लेकिन ज़्यादातर भारतीय इसकी पूर्ति नहीं कर पा रहे। सबसे ज़्यादा नींद की कमी युवाओं में देखी जा रही है, जो मोबाइल, काम और तनाव के कारण देर रात तक जागते हैं।
WHO के अनुसार हर उम्र के लोगों के लिए रोज़ाना नींद की जरूरत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर उम्र के व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए रोज़ाना निश्चित घंटों की नींद लेना ज़रूरी है। नवजात शिशुओं 0–3 महीने को सबसे ज़्यादा 14 से 17 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। इसके बाद शिशु 4–11 महीने को 12–15 घंटे, छोटे बच्चे 1–2 साल को 11–14 घंटे, और पूर्व-स्कूली बच्चे 3–5 साल को 10–13 घंटे की नींद चाहिए। स्कूल जाने वाले बच्चों 6–13 साल के लिए 9–11 घंटे की नींद जरूरी मानी गई है, जबकि किशोरों 14–17 साल को 8–10 घंटे की नींद लेनी चाहिए। वयस्कों 18–64 साल को प्रतिदिन 7–9 घंटे की नींद लेना आवश्यक है, और वरिष्ठ नागरिकों 65 साल से ऊपर के लिए 7–8 घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है। यह नींद शारीरिक और मानसिक विकास, ध्यान केंद्रित करने, और पूरे दिन की ऊर्जा बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी होती है।
कम नींद लेने के नुकसान

अगर कोई व्यक्ति रोज़ ज़रूरत से कम नींद लेता है, तो इसका असर धीरे-धीरे उसकी सेहत पर दिखने लगता है। दिनभर थकान महसूस होती है, ध्यान केंद्रित नहीं होता, छोटी-छोटी बातों में गुस्सा आता है और याददाश्त कमजोर हो जाती है। बच्चों और किशोरों में विकास रुक सकता है, वहीं वयस्कों में तनाव, मोटापा, मधुमेह , ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कम नींद से मन में उदासी बढ़ती है, जो आगे चलकर डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी में बदल सकती है। इसीलिए, नींद को नजरअंदाज करना नहीं, उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए – क्योंकि अच्छी नींद, अच्छी सेहत की सबसे पहली सीढ़ी है।
