Chhoti Diwali Roop Chaudas Significance
Chhoti Diwali Roop Chaudas Significance

Overview:रूप चौदस 2025: छोटी दिवाली पर क्यों होती है सुंदरता और आध्यात्मिक शुद्धि की अनोखी परंपरा

रूप चौदस, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से बेहद खास है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध की याद में दीपदान और स्नान की परंपरा निभाई जाती है। लोग उबटन लगाकर सुंदरता और स्वास्थ्य की कामना करते हैं, वहीं दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर मानी जाती है। रूप चौदस का असली संदेश है – आत्मा और शरीर की शुद्धि, बुराई से मुक्ति और जीवन में रोशनी का स्वागत।

Roop Chaudas 2025: दीपावली का पर्व पाँच दिनों तक मनाया जाता है और हर दिन का अपना अलग महत्व होता है। इन दिनों में छोटी दिवाली को “रूप चौदस” भी कहा जाता है। यह दिन सिर्फ घर सजाने और दीप जलाने का नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को पवित्र करने का भी माना जाता है।

रूप चौदस से जुड़ी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर धर्म की रक्षा की थी। तभी से इसे “नरक चतुर्दशी” भी कहा जाता है। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस दिन रूप-लावण्य को निखारने के लिए विशेष स्नान और पूजा करने से सौंदर्य और स्वास्थ्य की रक्षा होती है।

आज भी लोग रूप चौदस पर उबटन, स्नान और दीपदान करते हैं ताकि नकारात्मकता दूर हो और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसमें आध्यात्मिकता व सुंदरता दोनों का संगम देखने को मिलता है।

रूप चौदस का धार्मिक महत्व

Chhoti Diwali rituals of ubtan, deepdan and positivity on Roop Chaudas.
Roop Chaudas: The day of beauty, purity, and light before Diwali celebrations.

रूप चौदस को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस वध के बाद देवताओं और लोगों को भय से मुक्ति मिली और चारों ओर खुशी फैल गई। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन तिल तेल से स्नान कर दीपदान करने से आत्मा शुद्ध होती है और पाप नष्ट होते हैं। लोग इसे धर्म और आस्था से जोड़कर आज भी मनाते हैं, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।

सुंदरता से जुड़ी परंपराएँ

रूप चौदस का नाम ही “रूप” से जुड़ा है। इस दिन विशेष स्नान और उबटन लगाने की परंपरा है। पुराने समय में महिलाएँ घर पर बने उबटन, हल्दी, चंदन और आटे का लेप लगाकर स्नान करती थीं। माना जाता है कि इससे त्वचा में निखार आता है और शरीर की थकान दूर होती है। यह परंपरा आज भी बहुत-सी जगहों पर निभाई जाती है। आधुनिक समय में लोग इसे ब्यूटी ट्रीटमेंट की तरह भी अपनाते हैं, लेकिन इसके पीछे असली मकसद आत्मा और शरीर दोनों की शुद्धि करना माना जाता है।

दीपदान और सकारात्मक ऊर्जा

रूप चौदस की रात दीपदान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन घर के हर कोने में दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है। लोग आँगन, दरवाज़ों और खिड़कियों पर दीपक सजाते हैं ताकि अंधकार हटे और प्रकाश का स्वागत हो। साथ ही दीपदान करने से घर में शांति, सुख और समृद्धि आती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी दीपक की लौ वातावरण को शुद्ध करने और मन को शांत करने का काम करती है।

पौराणिक कथाएँ और लोक मान्यताएँ

रूप चौदस को लेकर कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक मान्यता यह भी है कि इस दिन यमराज के लिए दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। लोग यमदीप जलाकर परिवार की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा, लोक मान्यता है कि इस दिन रूप-सौंदर्य के देवता की पूजा करने से व्यक्ति का चेहरा और व्यक्तित्व हमेशा आकर्षक बना रहता है। इन मान्यताओं ने रूप चौदस को धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से खास बना दिया है।

आधुनिक जीवन में रूप चौदस का महत्व

आज के समय में भी रूप चौदस की परंपरा उतनी ही प्रासंगिक है। भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग इस दिन को आत्म-देखभाल और पॉजिटिविटी का प्रतीक मानते हैं। बहुत से लोग इस दिन डीटॉक्स स्नान करते हैं, उबटन लगाते हैं और ध्यान-योग करते हैं। इससे तनाव दूर होता है और मन को शांति मिलती है। आधुनिक समाज में भले ही परंपराएँ थोड़ी बदल गई हों, लेकिन रूप चौदस का असली संदेश वही है – खुद को भीतर और बाहर से शुद्ध करना, बुराइयों को दूर करना और जीवन में रोशनी का स्वागत करना।

मेरा नाम दिव्या गोयल है। मैंने अर्थशास्त्र (Economics) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से हूं। लेखन मेरे लिए सिर्फ एक अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज से संवाद का एक ज़रिया है।मुझे महिला सशक्तिकरण, पारिवारिक...