Meenakshi Gurukkal
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Summary: नारी शक्ति और परंपरा की जीती-जागती मिसाल हैं केरल की कलरिपयट्टु गुरू मीना‍क्षी अम्मा

मीना‍क्षी अम्मा, केरल की प्राचीन मार्शल आर्ट 'कलरिपयट्टु' की एकमात्र ऐसी महिला गुरु हैं, जो 82 वर्ष की उम्र में भी पूरी ऊर्जा के साथ युवाओं को युद्धकला सिखा रही हैं। पद्मश्री से सम्मानित मीना‍क्षी अम्मा आज भी हर सुबह अपने कलारी (अखाड़े) में लड़कियों और लड़कों को आत्मरक्षा, अनुशासन और आत्मबल का पाठ पढ़ाती हैं।

Padma Shri Meenakshi Amma: जब आप “मार्शल आर्ट” शब्द सुनते हैं, तो ज़ेहन में अक्सर चीन या जापान की कोई छवि बनती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की धरती पर भी ऐसी ही एक प्राचीन युद्धकला है, जो नारी शक्ति का अद्भुत उदाहरण है? केरल की मिट्टी में जन्मी ‘कलरिपयट्टु’ को न केवल भारत के सबसे पुराने मार्शल आर्ट के रूप में जाना जाता है, बल्कि इसे दुनिया की सबसे पुरानी युद्धकला भी कहा जाता है। खास बात तो यह है कि इस परंपरा की ध्वजवाहक बनकर उभरी हैं गुरु मीना‍क्षी अम्मा, जिनकी उम्र भले ही 80 पार कर चुकी है, लेकिन उनकी गति, धार और जज़्बा आज भी नौजवानों को मात देता है।

Padma Shri Meenakshi Amma
Meenakshi Gurukkal

मीना‍क्षी गुरुक्कल जिन्हें अम्मा बुलाया जाता है, सिर्फ एक योद्धा नहीं, बल्कि एक शिक्षिका हैं, जो अपने कलारी यानी अखाड़े में बच्चों, युवाओं और यहां तक कि महिलाओं को भी आत्मरक्षा और आत्मबल का पाठ पढ़ाती हैं। वह कहती हैं, “कलरिपयट्टु सिर्फ शरीर को नहीं बल्कि मन को भी मजबूत करता है। जब एक लड़की तलवार उठाना सीखती है, तो वह सिर्फ दुश्मन से नहीं डर से भी लड़ना सीखती है।”

Meenakshi Gurukkal with Her Family
Meenakshi Gurukkal with Her Family

मीना‍क्षी अम्मा ने महज 7 साल की उम्र में कलरिपयट्टु सीखना शुरू किया था। उनके गुरु और बाद में जीवनसाथी बने श्री वी. पी. रामान गुरुक्कल ने इस कला को उन्हें समर्पित रूप से सिखाया। पति के निधन के बाद मीना‍क्षी अम्मा ने यह जिम्मेदारी खुद संभाली और आज भी वह अपने चार बच्चों के साथ मलप्पुरम जिले के वडक्कनथारा स्थित अपने कलारी में हर सुबह ट्रेनिंग देती हैं। आज इनके गुरुकुल में करीब 150 विद्यार्थी कलरिपयट्टु सीखने आते हैं। इस कलारी में सिर्फ तलवार और लाठी का ही इस्तेमाल नहीं बल्कि बिना हथियार के आत्म रक्षा के गुर भी सिखाए जाते हैं। 

Meenakshi Gurukkal Getting Padmshri
Meenakshi Gurukkal Getting Padmshri

2017 में भारत सरकार ने मीना‍क्षी अम्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उनके तप, निष्ठा और कला के प्रति समर्पण का प्रमाण था। लेकिन मीना‍क्षी अम्मा के लिए यह कोई रुकावट नहीं बनी, वह आज भी पहले की तरह ही सादा जीवन जीती हैं। 

Meenakshi Gurukkal
Meenakshi Gurukkal

जहां एक ओर समाज में लड़कियों को अभी भी कमजोर समझा जाता है, वहीं मीना‍क्षी अम्मा जैसी महिलाएं यह साबित करती हैं कि शक्ति केवल मांसपेशियों में नहीं, आत्मा में होती है। वह कहती हैं, “एक लड़की को डर से लड़ना सिखाइए, वह दुनिया से अपने आप लड़ना सीख लेगी।” मीना‍क्षी अम्मा के कलारी में लड़कियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और यह उनके मिशन की सफलता का प्रमाण है। मीना‍क्षी अम्मा सिर्फ एक मार्शल आर्टिस्ट नहीं हैं बल्कि वह एक संस्कृति की संवाहिका, एक मां जैसी गुरु और हर महिला के लिए जीवित प्रेरणा हैं। जिस समय उम्र के इस पड़ाव पर लोग आराम करने की सोचते हैं, वह तलवार और लाठी लेकर नई पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाना सिखा रही हैं। ऐसे लोग सिर्फ पुरस्कारों से नहीं पहचाने जाते हैं, बल्कि इतिहास में दर्ज होते हैं।

स्पर्धा रानी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज ने हिन्दी में एमए और वाईएमसीए से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की है। बीते 20 वर्षों से वे लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट लेखन में सक्रिय हैं। अपने करियर में कई प्रमुख सेलिब्रिटीज़ के इंटरव्यू...