Hindi Love Story: ज़्यादातर, मैं उसके मूड को समझने की कोशिश से बचता हूँ। बग़ैर समझे मूड स्वींग का वक़्त गुज़र जाने देना बेहतर साबित होता आया है। वह मुझे उस दिन दो घंटे के लिए मिली; ज़ाहिर है बहुत वक़्त सड़क पर ही गुज़र जाना था। शहर या कहीं भी ड्राईव करते हुए थोड़ी-थोड़ी पीना, हुस्न से गला तर करने जैसा हसीन लगता है।
“बीयर पिएँ?” मैंने पूछा।
“तुम्हें नहीं लगता, तुम आजकल कुछ ज़्यादा ही पीने लगे हो?” जब उसने कहा तो, मैंने थोड़ी हैरत से उसकी ओर देखा। उसने थोड़ी पी लेने के लिए कभी मना नहीं किया।
“अरे! कहाँ की ज़्यादा। तुम ज़्यादा वालों को जानती ही कहाँ हो, सौरभ कितनी पी जाता है, बताऊँगा तुम्हें तो दिमाग ही हिल जाएगा।” घीसी-पीटी सफाई मैंने दी; पर कहने के साथ ही समझ गया कि, गलत बात निकल गई है।
“एक तो तुम्हारा ये सौरभ मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। दिन में भी उसे देखती हूँ, तो लगता है उसकी आँखों में नशा ही भरा हुआ है।” सौरभ कोई लड़की तो नहीं, पर मुझे पसंद है; इसलिए वह उससे ज़्यादा चिढ़ती है, ऐसा मुझे लगता है।
“नहीं यार, दिन में वह ऐसे कभी नहीं पीता और रात में भी रोज़ पीता है, ऐसा तो नहीं है।”
“मुझे मत सीखाओ। है भी तो कितना भद्दा। बनता ओवर स्मार्ट है,अक़्ल तो कुछ है नहीं और जब भी तुम उसके साथ होते हो; मुझे यही डर लगा रहता है, पता नहीं कितनी पी जाओ और क्या कांड करो। उसके साथ रहो, तो पीना तो ज़रूरी ही है तुम्हारे लिए।” खीझते हुए उसने कहा।
“हफ़्ते में तो मिल पाते हैं यार। पीना वीना तो मिलने का बहाना हो जाता है।” मैंने बात टालनी चाही।
“तुम उसका साथ छोड़ क्यों नहीं देते? उसके साथ में कुछ भी तो पॉजिटिव दिखता नहीं।” उसने शायद वह कह ही दिया, जो कहने से आज तक बचती रही थी।
“ओके। तो कल को अगर कोई मुझसे कहे कि, मैं तुम्हारा साथ छोड़ दूँ; क्यूँ कि अब तुम पुरानी और ज़्यादा समझदार हो गई हो तो उसकी बातें भी मान लूँगा?” मैंने उसके ईगो के तारों पर उँगलियाँ चला दीं।
“मैं कोई हूँ?” कहते हुए वह चुप हो गई; मायूसी तेजी से उसके चेहरे पर फैली, फिर उसने शायद ख़ुद को समझा लिया। होशमंद थी, उसने कोई और जवाब नहीं दिया और बातों को रश्मी की तरफ़ मोड़ दिया।
ज़ेहन से रेत बिखरती रही, बातें होती रहीं; एक अजीब खोखलापन जीता रहा।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
