Rheumatoid Arthritis Awareness Day 2025
Rheumatoid Arthritis Awareness Day 2025

Overview:

2020 के आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर के करीब 17.6 मिलियन लोग रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित हैं। वहीं साल 2021 के आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 1.3 करोड़ लोग इस आर्थराइटिस से जूझ रहे हैं। इस दर्दनाक बीमारी के विषय में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल रूमेटाइड आर्थराइटिस अवेयरनेस डे मनाया जाता है।

Rheumatoid Arthritis Awareness Day 2025: बुढ़ापे के साथ जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है। लेकिन यह उम्र का असर नहीं बल्कि रूमेटाइड आर्थराइटिस हो सकता है। यह एक कॉमन आर्थराइटिस है जिससे दुनियाभर के करोड़ों लोग प्रभावित हैं। साल 2020 के आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर के करीब 17.6 मिलियन लोग रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित हैं। वहीं साल 2021 के आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 1.3 करोड़ लोग इस आर्थराइटिस से जूझ रहे हैं। इस दर्दनाक बीमारी के विषय में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल रूमेटाइड आर्थराइटिस अवेयरनेस डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं क्या है रूमेटाइड आर्थराइटिस और कैसे आयुर्वेद के जरिए हम इसे ठीक कर सकते हैं।

ऐसे हुई इस खास दिन की शुरुआत

Rheumatoid Arthritis-दुनियाभर में 2 फरवरी को हर साल रूमेटाइड आर्थराइटिस जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
Rheumatoid Arthritis Awareness Day is celebrated every year on 2 February across the world.

दुनियाभर में 2 फरवरी को हर साल रूमेटाइड आर्थराइटिस जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य रूमेटाइड आर्थराइटिस (आरए) के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। साल 2013 में रूमेटाइड पेशेंट फाउंडेशन ने इस खास दिन को मनाने की शुरुआत की थी। रूमेटाइड आर्थराइटिस एक क्रॉनिक ऑटो-इम्यून डिजीज है, जो शरीर के दोनों तरफ के जोड़ों को प्रभावित करती है। यह बीमारी जोड़ों में सूजन और दर्द का कारण बनती है, जिससे चलने-फिरने में गंभीर समस्या हो सकती है। खासकर घुटने, उंगलियों, कलाई और एड़ी में इस बीमारी का प्रभाव अधिक देखा जाता है। इसके कारण जोड़ों में दर्द और सूजन आने लगती है, जिससे पीड़ित का रोजमर्रा का जीवन परेशानियों से भर जाता है।

महिलाएं होती हैं ज्यादा शिकार

क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार रूमेटाइड अर्थराइटिस में कनेक्टिव टीशू कार्टिलेज कम होने लगता है जिससे जोड़ों का आकार बिगड़ने लगता है और हड्डियां खराब होने लगती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार, रूमेटाइड अर्थराइटिस के कुल मामलों में से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं, जिनमें से 55 प्रतिशत 55 साल से अधिक उम्र की होती हैं। इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है।

आयुर्वेद के अनुसार इन्हें करें डाइट में शामिल

विटामिन सी रूमेटाइड आर्थराइटिस के प्रभाव को कम करने में मददगार हो सकता है।
Vitamin C may be helpful in reducing the effects of rheumatoid arthritis.

आयुर्वेद के अनुसार आम और वात दोष गठिया का प्रमुख कारण माने जाते हैं। आम दोष को खत्म करने के लिए आपको अपने पाचन को सुधारना होगा। जैसे-जैसे पाचन तंत्र दुरुस्त होगा आम दोष खत्म होने लगेगा और आपको गठिया से राहत मिलेगी। वहीं वात के लिए कई अन्य आयुर्वेदिक उपाय करने चाहिए। जिसमें नियमित व्यायाम और संतुलित आहार शामिल है।

1. नियमित खाएं खट्टे फल और बेरीज

विटामिन सी रूमेटाइड आर्थराइटिस के प्रभाव को कम करने में मददगार हो सकता है। इसलिए अपनी डाइट में नियमित रूप से आंवला, संतरे, कीवी, स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी जैसे खट्टे फलों को शामिल करें। आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार चेरी और ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी और रास्पबेरी आदि भी आर्थराइटिस को कम करने में फायदेमंद हैं। क्योंकि इसमें एंथोसायनिन नामक फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं जो सूजन को कम कर सकते हैं।

2. ये जड़ी-बूटियां हैं कमाल

आयुर्वेद में गुग्गल को एक पावरफुल जड़ी बूटी माना गया है। इससे आर्थराइटिस से राहत मिल सकती है। नियमित रूप से दिन में दो बार गर्म पानी से 1 से 3 ग्राम तक गुग्गल का सेवन करें। इसका सेवन भोजन के तुरंत बाद करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा। हालांकि अगर आपको किडनी से संबंधित कोई परेशानी है तो इसका उपयोग न करें।

3. अदरक है बेहद असरदार

आयुर्वेद में अदरक को बेहद असरदार औषधि माना जाता है। यह तंत्रिका संबंधी विकारों और मस्कुलोस्केलेटल विकारों के इलाज में मददगार है। ऐसे में रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों को इसका नियमित सेवन करना चाहिए। दिन में कम से कम 5 ग्राम अदरक का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। इससे पाचन तंत्र दुरुस्त होगा और आम दोष खत्म होने में मदद मिलेगी।

4. हल्दी है बहुत हेल्दी

हल्दी के मुख्य घटकों में से एक है करक्यूमिन। करक्यूमिन में मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया के रोगियों को बेहतर तरीके से चलने और सुबह की जकड़न और जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। अध्ययन बताते हैं कि हल्दी को काली मिर्च के साथ मिलाकर खाने से ज्यादा फायदा होता है। काली मिर्च में पिपेरिन होता है, जिससे शरीर द्वारा अवशोषित करक्यूमिन की मात्रा 2,000 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...