जानिए किस देश में हुई है कॉटन कैंडी की ईजाद
गली-गली में बिकने वाला बुढ़िया के बाल की शुरुआत भारत में नहीं हुई है, बल्कि इसे अमेरिका में तैयार किया गया हैI आइए विस्तार से जानते हैं कि कॉटन कैंडी की शुरुआत कहाँ व कब हुई हैI
National Cotton Candy Day: ‘कॉटन कैंडी’ को भारत में कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे बुढ़िया के बाल, गुड़िय़ा के बाल, हवा मिठाई इत्यादिI यह एक स्वीट कैंडी है, जो रुई जैसी मुलायम होती है और मुंह में डालते ही घुल जाती हैI शायद ही ऐसा कोई हो, जिसने अपने बचपन में बुढ़िया के बाल नहीं खाए होंगेI बचपन में जैसे ही दोपहर में टन… टन… टन घंटी की आवाज सुनाई देती थी, घर के सभी बच्चे भागते हुए बाहर निकल जाते थे और ठेले वाले के पास जाकर खड़े हो जाते थे और उनसे बुढ़िया के बाल खरीद कर खाने का मजा लेते थेI हालांकि, अब ऐसा देखने के लिए बहुत ही कम मिलता है, क्योंकि अब कॉटन कैंडी ठेले पर नहीं बिकता हैI कहीं-कहीं पर कुछ मॉल में बुढ़िया के बाल यानी कॉटन कैंडी के दूकान नज़र आ जाते हैं, जिसे देखते ही सभी की बचपन की प्यारी यादें ताजा हो जाती हैंI
आपको बता दें कि हर साल 7 दिसंबर को नेशनल कॉटन कैंडी डे मनाया जाता हैI जब भी कॉटन कैंडी की बात आती है तो अधिकांश लोगों को यही लगता है कि इसकी शुरुआत तो भारत में ही हुई होगी और इसे भारतीयों ने ही मिलकर तैयार किया होगाI पर वास्तव में ऐसा नहीं है, गली-गली में बिकने वाला बुढ़िया के बाल की शुरुआत भारत में नहीं हुई है, बल्कि इसे अमेरिका में तैयार किया गया हैI आइए विस्तार से जानते हैं कि कॉटन कैंडी की शुरुआत कहाँ व कब हुई हैI
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पहली बार अमेरिका के लोगों ने चखा था कॉटन कैंडी का स्वाद

भारत के लगभग हर बच्चे ने अपने बचपन में कॉटन कैंडी का स्वाद जरूर चखा होगा, लेकिन इसका स्वाद पहली बार अमेरिका के लोगों ने लिया थाI बच्चों की पसंदीदा कॉटन कैंडी भारत में नहीं बनी है बल्कि अमेरिका में तैयार की गई हैI दरअसल, अमेरिका में रहने वाले दातों के एक डॉक्टर विलियम्स जेम्स मॉरिसन को नई-नई चीजें करना बहुत ज्यादा पसंद थाI वह हमेशा ही कोई ना कोई अनोखी चीज बनाने में व्यस्त रहते थेI एक बार उनकी मुलाकात 1897 में एक हलवाई से हुई और यहीं से कॉटन कैंडी बनाने की शुरुआत हुईI डॉक्टर विलियम्स जेम्स मॉरिसन ने हलवाई जॉन सी व्हाटर्न के साथ मिलकर एक अनोखी मशीन तैयार की, जो गर्म चीनी को घुमाते हुए कॉटन कैंडी बनाती थीI बाद में उनका यह अनोखा अविष्कार कई देशों में फैला और बच्चों को सबसे ज्यादा पसंद आने लगाI हालांकि, शुरुआत में इस आविष्कार के बारे में लोगों को कुछ भी पता नहीं थाI
तैयार होने के 7 साल बाद बाजार में आई थी कॉटन कैंडी

1907 में विलियम्स सेंट लुईस विश्व मेला में गए, जहाँ उन्होंने अपनी इस मशीन को लोगों को दिखाया साथ ही कॉटन कैंडी भी बना कर खिलाईI इसके बाद से ही इस मशीन की और इससे बनने वाली इस कैंडी की लोकप्रियता बढ़ती चली गईI अमेरिका में इस कैंडी को ‘फेयरी फ्लॉस’ का नाम दिया गया थाI
