Hindi Story: दिवाली पास आ रही थी। सौदामिनी साफ सफाई में लगी हुई थी।
“ दोनों बच्चों के आने से पहले ही मैं उन दोनों के कमरे को व्यवस्थित कर दूं ताकि त्योहार के बीच कोई किचकिच न हो!”
यह सोचकर उसने अपने बड़े बेटे मयंक की अलमारी खोलकर उसे व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी।
उसने अभी मयंक की अलमारी खोला ही था कि कोने में छुपी हुई एक डायरी पर एकाएक उसकी नजर पड़ गई ।
उत्सुकतावश उसने डायरी उठा लिया। जैसे ही उसने डायरी खोला
मोगरे की खुशबू से उसका हाथ महक गया उसके हाथ में एक कागज का रंगीन मखमली टुकड़ा आ गिरा,उसी से खुशबू आ रही थी।
उसने उत्सुकतावश उसे खोल लिया ।
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वह एक प्रेम पत्र था!
“डियर आकांक्षा
तुम्हारे सामने आने के बाद मुझे बोलने की हिम्मत नहीं पड़ती कि मैं अपने दिल का इजहार कर सकूं
पर मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं तुम्हें यकीन तो नहीं होगा।
मैं तुम्हारे ऊपर दबाव भी नहीं डालना चाहता कि तुम भी मुझसे प्यार करो।
मगर मैं सीरियस हूं तुम्हारे लिए।
मेरे भविष्य की कल्पना में तुम हमेशा मेरे साथ ही रहतीं हो।
तुम्हारे बिना जिंदगी जिंदगी नहीं!
प्लीज तुम मेरे इस मौन आमंत्रण को स्वीकार कर लेना और मुझ गरीब पर उपकार कर देना
आई लव यू आकांक्षा!
तुम्हारा मयंक”
सौदामिनी के हाथ थरथरा उठे।उसने उस कागज को बार-बार देखा, बार-बार पढ़ा।
अपने बेटे का प्रेम पत्र पढ़कर वह घबरा गई थी।
अब उसे काम में मन नहीं लग रहा था। उसका बेटा मयंक उसके पास था भी नहीं।
वह हॉस्टल में था।दीवाली की छुट्टियों में आने वाला था।
इसीलिए वह चाहती थी कि उसके आने से पहले ही वह उसकी अलमारी को साफ कर दे ताकि सब कुछ सुव्यवस्थित हो जाए। लेकिन सफाई के चक्कर में उसके हाथ में यह उसके हाथ क्या लग गया!
सौदामिनी का दिमाग घूम गया।लगभग 25 साल पहले ऐसे ही कुछ हुआ था।
साकेत कॉलेज के सबसे शर्मीले और दब्बू लड़कों में से एक था।
वह सिर्फ पढ़ाकू और एंबीशस लड़कों में गिना जाता था।
उसे याद है उस दिन सभी दोस्त उसे बर्थडे विश कर रहे थे।साकेत ने भी उसके हाथ में एक गुलाब के फूल के साथ एक रंगीन कागज का टुकड़ा थमा दिया।
साकेत ने उसे ऐसे ही पत्र लिखा था जैसा मयंक ने आकांक्षा को लिखा था।
उस चिट्ठी में भी ऐसी ही गंध थी मोगरे की।
उस पत्र के गंध में सराबोर होकर वह कितना बहक गई थी।
उसी प्रेम की शक्ति पाकर वह अपने माता-पिता से बगावत कर साकेत के साथ घर से कोसों दूर निकल गई थी।
किस्मत अच्छी थी कि साकेत और उसे दोनों को नौकरी मिल गई थी।
मगर उसके घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए थे।
उसकी मां ने उससे कहा था “मीनू,
आज से इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं!
कभी भी इस घर की ओर मुड़ कर मत देखना!”
आज 25 साल बाद फिर से इतिहास दुहराने को तैयार है और वह एक अजनबी सी जैसे रेत के दलदल में खड़ी है,न जाने कब रेत उसके पैरों तले फिसल जाए और उसकी समाधि बन जाए।
उसका बेटा उसी रास्ते पर चल पड़ा है जहां से वह गुजर चुकी है।
सौदामिनी अवाक खड़ी रही जैसे उसके मुंह पर किसी ने तमाचा जड़ दिया हो!
साकेत की कही हुई बातें अभी तक उसके दिमाग में गूंज रही थी
अपने दिल का इजहार करते हुए साकेत ने उसे लिखा था
“तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा!
“ आई लव यू सौदामिनी!”
इसी शब्द ने उसे अपने माता-पिता से दूर कर दिया था।
सौदामिनी आज अपने आप को अपराधी महसूस कर रही थी
आज उसे महसूस हो रहा था उसके माता-पिता और परिवार को कैसा लग रहा होगा जब वह घर छोड़कर साकेत के साथ भाग आई थी।
शाम को जब साकेत घर वापस आया उसने सौदामिनी का उतरा हुआ चेहरा देख कर देख कर परेशान हो गया।
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है?”
सौदामिनी ने अपने बेटे की चिट्ठी उसके हाथों में रख दिया और बोली
“इतिहास दुहराने की तैयारी कर रहा है।
भगवान हर गलती की सजा देता है मुझे भी मिल गई।”
साकेत मौके की नजाकत देखकर उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला
“अपने आप को कोसना बंद करो। ऐसा क्या अपराध कर दिया तुम्हारे बेटे ने और यह आकांक्षा है कौन?”
“मुझे नहीं मालूम कौन है। उसकी सहपाठी होगी !”
“तो क्या हुआ, अगर लड़की अच्छी है तो शादी करने में बुराई क्या है ?”
“नहीं बात यह बात नहीं है मुझे अपने किए पर पछतावा हो रहा है।”
“कोई बात नहीं मीनू, जो काम आज तक नहीं कर पाए वह अब करेंगे मैं और तुम दोनों अपने घर चलेंगे और अपने परिवार से माफी मांग लेंगे। इस बात को ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है ।
अब जमाना बदल चुका है।हमने अपने बच्चों को जन्म दिया है। उनकी खुशी का ख्याल हमें ही रखना होगा।
हमें अपने बच्चों का साथ देना चाहिए।
जो गलती हमारे बड़े बुजुर्गों ने किया था।
वह गलती हम नहीं दोहराएंगे मीनू।
हमारे माता-पिता ने अपने झूठे अहंकार के कारण हमें अपने आप से दूर कर दिया। हमारे सिर से छत हटा दिया।हम वह गलती नहीं करेंगे।”
सौदामिनी साकेत की बातें सुनकर सहमत हो गई ।
साकेत ने कुछ ग़लत कहा भी नहीं था।
उसकी आंखों में आंसूआ गए। साकेत ने अपने दोनों बाहें फैला दिया
सौदामिनी उसकी बाहों में सिमट गई।
“हम दोनों ने सच्चा प्यार किया था ना मीनू, हमारे प्यार में कोई कमी नहीं थी।
हम दोनों के माता-पिता के झूठे अहंकार और खोखली रीति रिवाजों ने हमें डंस लिया।
हम ऐसा नहीं करेंगे।हम अपने बच्चों के लिए एक मजबूत ढाल बनेंगे।”
“आप बिल्कुल सही कह रहे हैं साकेत! मैं आज ही पता लगाती हूं कि यह आकांक्षा कौन है।
मैं अपने बेटे और उसके प्यार के बीच कभी भी नहीं आऊंगी।हर हाल में उसे अपनाऊंगी। मैं बेकार में ही घबरा रही थी। हमेशा से मुझे पता है कि आप ही मेरे संबल हैं,मेरी ताकत,मेरी हिम्मत,सबकुछ आप ही हैं!आपके बिना मैं कुछ भी नहीं।”सौदामिनी सिसक उठी।
“मैं भी तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूं।मेरी हिम्मत, मेरी खुशी, मेरा लक सब कुछ तुम ही हो मीनू।
आई लव यू सौदामिनी!”
