भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
“जाओ तो जरा छड़ी ले के आओ! इस बदमाश का आज अच्छे से धुलाई करेंगें।” मास्टरजी ने जैसे ही चिल्लाया, नट एक छलांग से श्रेणी कक्षा से बाहर निकल गया। और उसके पीछे-पीछे मास्टरजी। इतनी आसानी से नट पकड़ में आने वाला नहीं था। इतनी तेज रफ्तार से वो भागा जैसे कहीं धुंआ हो गया हो। आज जैसे भी हो उसे पकड़ने का शपथ ले कर मास्टरजी उसे ढूंढते हुए उसके घर पहुंचे।
दो घंटे इंतजार करने के बाद नट एक राजा जैसी चाल चलकर जैसे ही घर पहुँचा, मास्टरजी तुरंत ही उसे कस के पकड़ लिए। नट के माता-पिता आश्चर्यचकित रह गए। मास्टरजी इतने समय से उनके घर पर बैठे रहे, इधर-उधर की बातें करते रहे परंतु नट के बारे में कुछ भी नहीं कहा। अचानक से ऐसा व्यवहार! ऐसा क्या कर दिया नट ने!
मास्टरजी ने जो बात बताई, घर के सभी सदस्य हक्के-बक्के रह गए। नट स्कूल नहीं जाता था, बदमाशियों में प्रथम था, झूठ बहुत बोलता था। हद कर दी उसने जब अपने परीक्षा के रिपोर्ट कार्ड में अपने पिताजी का जाली दस्तखत करके लाया। उसकी चोरी को मास्टरजी ने पकड लिया और बाकी अभी और भी बात थी।
वातावरण गंभीर था। सब निरव। क्या किया जाए जिससे नट में सुधार आए! इतना चंचल स्वभाव का लड़का स्थिर कैसे होगा! स्थिर होगा तभी तो पढ़ाई में मन लगेगा! उसी समय नट के मौसाजी उसके घर आये हुए थे। वे सब कछ सनने के बाद बोले, “उपाय है हमारे पास, जिससे नट बिलकुल सुधर जाएगा। इसके लिए माता-पिता, शिक्षक और खुद छात्र, सबको प्रयास करना पड़ेगा।” तभी एक साथ सब बोल पड़े, “क्या उपाय है बताइए, हम तैयार हैं।”
मौसाजी बोलने लगे, “प्रतिदिन योग, प्राणायाम, ध्यान इत्यादि करना पड़ेगा। इसी से चंचल मन स्थिर हो जाता है, और पढ़ाई में मन लगने लागता है। स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। स्कूल में शिक्षकों का काम है पढ़ाई शुरु करने से पहले छात्रों को कुछ समय ध्यान करने का अभ्यास कराए। इसी से एकाग्रता बढ़ती है।
माता-पिता द्वारा अपनी संतान को नैतिक शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार देने से उनका विकास सही ढंग से होता है। नट को तो मैं सब-कुछ सिखाऊंगा। मैं चाहता हूं मास्टरजी आप अपने विद्यालय में सभी छात्रों को ये सब कछ भी सिखाएँ। सभी का विकास होगा। बड़े होकर बच्चे देश का एक अच्छे नागरिक बन सकेंगे।
मौसाजी की बातों से सब प्रभावित हुए। किसी के कुछ कहने से पहले ही नट ने कहा, “मैं भी चाहता हूँ कि मैं अच्छा बच्चा बनूं, खूब पढ़ाई करूँ। पर क्या करूँ.. जब भी पढ़ने बैठता हूं, तालाब, आम का पेड़, खेल का मैदान सब कुछ आँखों के सामने नाचने लगता है। सच कहता हूं, अब से मन लगाकर पढूंगा। गुरुजनों की बात मानूँगा। शिकायत का एक भी मौका नहीं दूंगा।”
फिर मास्टर जी ने मौसा जी को कहा, “आपने तो उचित मार्गदर्शन किया। एक छात्र के विकास के लिए पहले परिवार और मात-पिता के बाद में गुरु और समाज की गुरुत्व पूर्ण भूमिका रहती है। सबसे महत्त्वपूर्ण तो छात्र स्वयं ही है।”
उचित मार्गदर्शन पाकर नट एक बहुत अच्छा बच्चा बना। परीक्षा में मार्क्स भी बहुत अच्छे आने लगे। इस बार मास्टरजी छड़ी नहीं अपितु मिठाई लेकर उसके घर आये।
असम्भव यहां कुछ भी नहीं है। पूरे लगन से कोई भी काम किया जाएगा तो इसका फल अवश्य मिलेगा। घर की नींव अगर मजबूत होगी तो उसके ऊपर जितने भी महल बनाओ नीचे गिरने का भय नहीं रहेगा। नट के साथ भी ऐसा ही हुआ। बड़ों से अच्छे मार्गदर्शन पा के वह एक अच्छा संस्कारी गुणी छात्र बना। अपने माता-पिता के साथ-साथ विद्यालय और अपने देश का भी नाम रोशन किया।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
