Surya Tilak: रामनवमी के पावन अवसर पर, अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला का “सूर्य तिलक” दर्शन देखने को मिला। इस अद्भुत दृश्य ने भक्तों को भावविभोर कर दिया। जैसे ही सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति पर पड़ीं, पूरा मंदिर परिसर “जय श्री राम” के उद्घोष से गूंज उठा। सूर्य तिलक दर्शन की इस भव्य झलक को दर्शाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। यह अद्भुत दृश्य श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया और हजारों लोग इस दिव्य नजारे को देखने के लिए मंदिर पहुंचे।
सूर्य तिलक दर्शन क्या है?
सूर्य तिलक दर्शन एक विशेष अवसर है जब सूर्य की किरणें मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करती हैं और भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं। यह दर्शन भगवान सूर्य और भगवान राम के बीच संबंध का प्रतीक माना जाता है। सोशल मीडिया पर लोग सूर्य तिलक दर्शन के वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं। लोग इस अद्भुत नजारे को देखकर अपनी खुशी और भक्ति व्यक्त कर रहे हैं।
रामनवमी के पावन अवसर पर, रामलला का “सूर्य तिलक” दर्शन एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया। लाखों श्रद्धालु भक्त इस दिव्य अवसर का साक्षी बनने के लिए अयोध्या पहुंचे थे। स्टेशन से लेकर राम जन्मभूमि तक भक्तों की कतारें दर्शाती थीं कि यह क्षण कितना खास था। यह 500 साल से अधिक समय के बाद पहली बार था जब भगवान राम के अपने भव्य मंदिर में राम नवमी मनाई गई। राम मंदिर निर्माण के बाद यह पहला राम नवमी उत्सव था, जिसके कारण उत्साह और भी अधिक था। इस वर्ष, रामनवमी के अवसर पर, सूर्य की किरणों द्वारा रामलला का “सूर्य तिलक” अभिषेक किया गया। यह एक अद्भुत अनुष्ठान था, जो विज्ञान और आध्यात्मिकता के सुंदर संगम का प्रतीक था। भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। हर कोई रामलला के दर्शन करना चाहता था और इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनना चाहता था। यह दृश्य वाकई ह्रदयस्पर्शी और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर था।
कैसे किया था “सूर्य तिलक”
मंदिर की तीसरी मंजिल पर एक दर्पण सूर्य की किरणों को पकड़ता है। यह दर्पण किरणों को 90 डिग्री मोड़ता है और उन्हें पीतल की पाइप में भेजता है। पाइप के अंदर दूसरा दर्पण किरणों को 90 डिग्री और मोड़ता है, उन्हें गर्भगृह की ओर सीधा करता है। किरणें तीन लेंस से होकर गुजरती हैं जो उन्हें और अधिक केंद्रित करती हैं। गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले, किरणें एक अंतिम दर्पण से टकराती हैं, जो उन्हें सीधे रामलला के मस्तिष्क पर केंद्रित करती हैं। केंद्रित किरणें रामलला के मस्तिष्क पर 75 मिलीमीटर व्यास का एक उज्ज्वल गोलाकार तिलक बनाती हैं। यह प्रक्रिया विज्ञान और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत मिश्रण है। दर्पण और लेंस प्रणाली सूर्य की किरणों को सटीक रूप से निर्देशित करती है, जबकि यह अनुष्ठान भक्तों के लिए भगवान राम के प्रति समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है।
सूर्य तिलक दर्शन की कुछ रोचक बातें
यह दर्शन विज्ञान और तकनीक का अद्भुत मिश्रण है। दर्पणों और लेंसों की व्यवस्था इस प्रकार से की गई है कि सूर्य की किरणें गर्भगृह में प्रवेश कर सकें और भगवान की मूर्ति पर पड़ सकें। जब सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति पर पड़ती हैं, तो यह दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। भगवान का मस्तक तिलक से जगमगा उठता है, जो श्रद्धालुओं को भक्तिभाव से भर देता है। सूर्य को हिंदू धर्म में देवता माना जाता है। भगवान राम को सूर्य का अवतार भी माना जाता है। इसलिए, सूर्य तिलक दर्शन का विशेष धार्मिक महत्व है।
भारी संख्या में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
राम नवमी के पावन अवसर पर, रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर प्रशासन ने दर्शन का समय बढ़ाकर 19 घंटे कर दिया है था , जो मंगला आरती से प्रारंभ होकर रात्रि 11 बजे तक चला। जिससे श्रद्धालुओं को 19 घंटे तक भगवान रामलला के दर्शन का अवसर मिला। यह दर्शन मंगला आरती से प्रारंभ होकर रात्रि 11 बजे तक चला। चार बार लगने वाले भोग के लिए केवल 5-5 मिनट के लिए ही पर्दा बंद किया था। श्री राम जन्मोत्सव का प्रसारण अयोध्या नगरी में लगभग 100 बड़ी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से किया गया। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। जगह-जगह बैरियर लगाकर श्रद्धालुओं को कतार में दर्शन कराए जाने की व्यवस्था की गई थी। दो पहिया और चार पहिया वाहनों के संचालन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था।
